नरेंद्र मोदी की चहेती पी आर एजेंसी को काम देने मध्यप्रदेश माध्यम में षड्यंत्र दर षड्यंत्र

टेंडर माफिया की काली कारस्तानी

शिवराज और इकबाल की आंखों के तारे बने आय ए एस अफसर की मौजूदगी में हुआ खेल

चुनावी आचार संहिता लगने में पंद्रह दिन,आखिर काम देने की कौन सी मजबूरी ?

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चहेती पी आर एजेंसी मूव्हिंग पिक्सल प्रायवेट लिमिटेड को काम देने मध्यप्रदेश जनसंपर्क के माध्यम में षड्यंत्र दर षड्यंत्र किए जा रहे हैं। इस एजेंसी को काम देने जनसंपर्क और माध्यम के अफसरों ने टेंडर माफिया की तर्ज पर काम कर डाला। यह सब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की आंखों के तारे बने हुए आय ए एस अफसर की मौजूदगी के बाबजूद अंजाम दे दिया गया।

गौरतलब है कि खबर नेशन ने विगत 17 जुलाई को इस बात का खुलासा किया था कि " नरेंद्र मोदी की ब्रांडिंग एजेंसी को 10 करोड़ का काम देने की तैयारी "। इस खुलासे में नरेंद्र मोदी की ब्रांडिंग को लेकर काम कर रही मूविंग पिक्सल प्राइवेट लिमिटेड की जानकारी थी। गौरतलब है कि है कि मूविंग पिक्सल प्राइवेट लिमिटेड ने मोदी को केंद्र में रखकर कई बेहतर शॉर्ट फिल्में बनाई हैं।

मूविंग पिक्सल प्राइवेट लिमिटेड को काम देने माध्यम ने हाई लेवल ऑडियो विजुअल क्रिएटिव एजेंसीज का को रेट कांटेक्ट बेसिस पर इंपेनेलमेंट करने के लिए निविदा आमंत्रित की थी। सबसे पहले सबसे पहले मध्य प्रदेश में काम करने वाले फिल्म निर्माता को बाहर का रास्ता दिखाने 5 साल का ऑडियो वीडियो प्रोडक्शन अनुभव,  विगत 3 साल का 30 करोड रुपए का टर्नओवर एवं 3 वर्षों में एक करोड रुपए के कार्यादेश की शर्त जोड़ी गई। इस इंपेनेलमेंट के लिए नौ कंपनियों ने पार्टिसिपेट किया था । फाइनेंसियल बिड खोलने के बाद अचानक इस टेंडर को निरस्त कर दिया गया ।सूत्रों के अनुसार टेंडर निरस्त करने की वजह इस टेंडर में भाग लेने वाली एल-1,एल- 2 और एल-3 की भरी हुई निविदा दरें एक जैसी थी । इस टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर दबे जुबांन में चर्चा होने लगी। जनसंपर्क एवं माध्यम के अधिकारियों ने जब गंभीरता के साथ टेंडर प्रक्रिया का अवलोकन किया तो पता चला कि तीनों कंपनियों के टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने के समय का अंतराल एक ही दिन में एक का 7 मिनट और दूसरे का 2 घंटे रहा। यह संयोग था या कोई घोटाला पूरी प्रक्रिया को देखने के बाद इस बात को बल मिल रहा है कि इस टेंडर में भाग लेने वाली कंपनियों ने कर्ट्रेल (गिरोह) बनाकर भाग लिया है। 

 इसके बाद माध्यम के अधिकारियों की सांस फूल गई।  इसकी वजह है विश्व की नामी गिरामी कंपनी "ओगेल वी "जिसके भारत में कर्ता धर्ता पीयूष पांडे हैं जो ग्लोबल क्रिएटिव हेड के तौर पर जाने जाते हैं । ओगेल वी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पर्सनल छवि को भी निखारने का काम करती है। काफी लंबे समय से "ओगेल वी" मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी ब्रांड के तौर पर स्थापित करने का काम कर रही है।  सूत्रों के अनुसार शिवराज की ब्रांड इमेज बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने "ओगेल वी" की सिफारिश मध्य प्रदेश सरकार से की थी । "ओगेल वी" भी नरेंद्र मोदी के कैंपेन "अबकी बार -मोदी सरकार" और "हम मोदी जी को लाने वाले हैं" तैयार कर चुकी है। इस कंपनी की एक सबसे बड़ी कमजोरी है । "ओगेल वी" यूनाइटेड स्टेट के कानून और आचरण के अनुरूप कार्य करती है । जिसके चलते "ओगेल वी "जनसंपर्क और माध्यम के तथाकथित शिष्टाचार (रिश्वत का आदान-प्रदान) का पालन नहीं करती है।  मोटी कमाई के लालच में जनसंपर्क और माध्यम के अधिकारियों ने "ओगेल वी" की बनाई हुई फिल्मों को स्वीकार करने से मना कर दिया। सूत्रों के अनुसार "ओगेल वी" का एक मोटा भुगतान भी जनसंपर्क और माध्यम द्वारा नहीं किया गया है । जिसके चलते जनसंपर्क और माध्यम के अधिकारियों कोयह डर था कि हाई लेवल ऑडियो विजुअल इंपैनलमेंट असेसमेंट टेंडर की काली करतूतें जग जाहिर ना हो जाए । "ओगेल वी" से काम छीने जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारीयों का एक वर्ग खासा नाराज चल रहा है । ताबड़तोड़ तरीके से मूविंग पिक्सल प्राइवेट लिमिटेड को काम देने नया टेंडर जारी किया गया।  जिसमें शर्तों को थोड़ा आसान कर दिया गया। इस टेंडर में पांच कंपनियों ने पार्टिसिपेट किया।  जिसमें से एक कंपनी एड फैक्टर एडवरटाइजिंग को टेक्निकल अहर्ता पूरी न करने पर बाहर कर दिया गया । बची चार कंपनियों में स्पान कम्युनिकेशन ,डिग्री 360 सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड , कॉन्सेप्ट कम्युनिकेशन को पछाड़ते हुए मूविंग पिक्सल प्राइवेट लिमिटेड एल-1 के तौर पर आकी गई । जो तीन कंपनियां पिछले टेंडर में एल-1 एल-2 और एल -3 थी वही कंपनियां दोबारा टेंडर आमंत्रित करने पर एल-1 , एल-2 और एल-3 के तौर पर सामने आई है। यहां भी स्पष्ट तौर पर प्रतीत हो रहा है की मूविंग पिक्सल को काम देने अन्य कंपनियों ने ज्यादा रेट भरे । आखिर क्या जरूरत है इस टेंडर की जब आगामी विधानसभा चुनाव 2023 की आचार संहिता लगने में मात्र 15 -20 दिन ही बचे हैं। सूत्रों के अनुसार माध्यम में बिना आर्डर के मूविंग पिक्सल प्राइवेट लिमिटेड से फिल्में बनवाली गई है और अब सिर्फ एक औपचारिकता पूरी करने का निर्णय किया जा रहा है।

जब इस बारे में जनसंपर्क आयुक्त मनीष सिंह को वाट्सएप मैसेज भेजकर उनका पक्ष जानना चाहा तो लगभग तीन घंटे बीतने के बाद भी उनका पक्ष प्राप्त नहीं हुआ। वाट्स एप मैसेज की चैट का स्क्रीन शॉट संलग्न है देखें चित्र। आयुक्त जनसंपर्क एवं एम डी माध्यम से जानना चाहा था कि माध्यम द्वारा आमंत्रित हाईलेबल ऑडियो विजुअल इंपैनलमेंट असेसमेंट टेंडर को पूर्व में निरस्त करने का क्या कारण रहा ?

मात्र पंद्रह बीस दिन में चुनावी आचार संहिता लगना है ऐसे में इस टेंडर को स्वीकृत करने पर वर्तमान सरकार को क्या लाभ मिल पाएगा ?

सबसे बड़ा सर्वे :

मध्यप्रदेश का सबसे भ्रष्ट मंत्री कौन?

जवाब देगी जनता 

मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में संभावित हैं। विपक्षी दल कांग्रेस मध्यप्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहा है। खबर नेशन यह नहीं कहता कि सभी मंत्री भ्रष्ट हैं।

जनता जनार्दन भी कई मंत्रियों के भ्रष्टाचार का शिकार हुई है। आखिर क्या है वस्तु स्थिति?

कौन है मध्यप्रदेश का भ्रष्ट मंत्री

जनता फैसला करेगी।

हम सर्वे प्रक्रिया आपके समक्ष चालू कर रहे है । दी गई लिंक पर अपना मत देकर सर्वे प्रक्रिया में भाग ले  । आग्रह है आप खबर नेशन डॉट कॉम द्वारा करवाए जाने वाले सर्वे में अपना मत प्रकट करें। आपके निर्णय को प्रकाशित किया जाएगा लेकिन आपका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

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धन्यवाद

गौरव चतुर्वेदी

खबर नेशन

9009155999

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