शह मात का खेल

गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन/ Khabar Nation

शह मात का खेल

मध्यप्रदेश कांग्रेस की मीडिया सेल में शह मात का खेल जबरदस्त तरीके से चल रहा है। प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ दखल देकर अपनी नाराज़गी से भी सभी को अवगत करा चुके हैं। दिल्ली से आए एक आदेश के बाद शोभा ओझा ताकतवर हुई थी तो दिल्ली से आए दूसरे आदेश में के के मिश्रा ताकतवर हो गये। दोनों ही नेता इंदौर के हैं और दोनों के ही कक्ष आमने-सामने हैं पर  कांग्रेस का अनुवांशिक गुण गुटबाजी दूरियां खत्म ही नहीं होने दे रहा है।

द मैन ऑफ मैनेजमेंट  प्रशासन से प्रबंधन तक 

बात दखल की तो पत्रकारिता में अच्छा खासा दखल रखने वाले अनुराग उपाध्याय और सहयोगी शैफाली गुप्ता ने पत्रकारों के साथ साथ भाजपा कांग्रेस के बड़े-बड़े राजनेताओं सहित हाईलेबल अफसरों को भी चौंका दिया है। दोनों के प्रयासों से प्रकाशित एक कॉफी टेबल बुक "द मैन ऑफ मैनेजमेंट प्रशासन से प्रबंधन तक"

राजनेताओं को लालायित कर रही है कि ऐसा अवसर उन्हें भी मिलना चाहिए। कॉफी टेबल बुक मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के सहयोगी प्रवीण कक्कड़ पर प्रकाशित की गई है। जिसे प्रवीण कक्कड़ को खास तौर पर जन्मदिन के दिन गिफ्ट की गई। कक्कड़ भी इस बुक को देखकर आश्चर्यचकित रह गए। बुक में प्रवीण कक्कड़ के व्यक्तित्व और कृतित्व  का उल्लेख करते हुए उनके लिखे गए लेखों को समाहित किया गया है। जिसे कक्कड़ खासतौर पर रविवार के दिन या किसी विशेष त्यौहार या अवसर पर लिखते आए हैं।

भगोड़े पुलिस अधिकारी के खिलाफ परिजन कोर्ट की शरण में

मध्यप्रदेश पुलिस के एक अधिकारी अपने खिलाफ चल रही जांच को समाप्त कराने जी तोड़ प्रयास कर चुके हैं। फाइल मंत्रालय में अटकी हुई है। मामला ग्वालियर संभाग में आदिवासियों द्वारा पुलिस दल पर हमला किए जाने का है। जिसमें प्रभारी थानेदार की हत्या कर दी गई थी। पुलिस अधिकारी तब एस डी ओ पी हुआ करते थे और मौके से भाग खड़े हुए थे। अब इन्हें भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी बनना है और मामला आगे की पूरी कहानी को उलझाए हुए हैं। सरकार  इस अपराध के बाबजूद आज तक इस अधिकारी को मलाईदार पोस्टिंग से नवाजती रही है। सरकार से न्याय मिलता न देख परिजन कोर्ट की शरण का मन बना चुके हैं।

दीनदयाल का लक दक शो रुम

शानो-शौकत के साथ राजनीति करने में भारतीय जनता पार्टी का कोई जवाब नहीं है। सादगी, शुचिता और अनुशासन को चने मुरमुरे की तरह चबा चबाकर खत्म कर दिया गया है। राजधानी में भाजपा का नया दफ्तर बन रहा है तो किराए पर लिए सरकारी भवन को ऐसा सुसज्जित कराया मानों जिंदगी की सारी गुजर बसर यहीं होना है। प्रदर्शन की भूख यहीं समाप्त नहीं हुई। भोपाल के रानी कमलापति रेल्वे स्टेशन पर बन रही बंसल वन में अत्याधुनिक मीडिया सेंटर बना डाला। करोड़ रुपए के लगभग खर्च किया गया है । पार्टी के हित की सकारात्मक खबरें तो मीडिया को बुलाकर यहां से दे देंगे। पर पार्टी के आला पदाधिकारीयों को डैमेज करने वाली खबरों को रोकने का रास्ता नहीं सूझ रहा है। पार्टी की पुरातन विचारधारा को समर्पित नेता की एक टिप्पणी झकझोरने वाली है कि विचारधारा समर्पित संगठन स्थापित करने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय और समाज के असल दीनदयाल भी  इस वैभवता को देखकर रो रहे हैं।

विधानसभा भी बल्लेबाजी में पीछे नहीं

मध्यप्रदेश की विधानसभा भी शिवराज सरकार की तरह बल्लेबाजी करने में जुटी हुई है। हर बॉल पर रन लेना है और हर किसी को शतक बनाना है। शतक मतलब "राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट ,अंत काल पछताएगा जब विधानसभा जाएगी छूट "। चपरासी से लेकर आला अधिकारी तक विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर करवा रहा है। किसी का बेटा तो किसी की साली तो कोई भतीजावाद का झंडा थामे है। अध्यक्ष भी दिल खोलकर सबको उपकृत कर रहे हैं और सब अध्यक्ष जी को उपकृत करने तरह तरह के जतन कर रहे हैं। सत्र समाप्त होने के बाद भी अस्थायी नौकरी दी जा रही है।

कांग्रेस में शिवराज का टिकट पक्का

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तूती कांग्रेस में भी बोलती है। भले अपने बेटे कार्तिकेय को मनमसोसकर पर्दे के पीछे रखे हुए हैं पर कांग्रेस से उनके सगे साले संजय  मसानी का टिकट पक्का है। राजधानी के समीपस्थ जिले की एक विधानसभा क्षेत्र उनके नाम तय कर दी गई है। टिकट दिलाने की जबाबदारी भी राजनीति में उनके खास मित्र कमलनाथ की है। 2018 में संजय मसानी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे पर कमलनाथ के खास शिष्य प्रदीप जायसवाल ने निर्दलीय किला फतह कर दिखाया था।

तोमर की तारीफ में महाराज

महराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के तेवर इन दिनों जबरदस्त तरीके से बदले हुए हैं। कांग्रेस में तीखे तेवरों के कारण जाने जाते थे तो भाजपा में उनकी सुसंस्कारित छवि सुशील कन्या को मात देने वाली नजर आ रही है। कांग्रेस में मनचाहा पाया पर भाजपा में जीतने वाले प्रत्याशी पर ही दाव लगाने के मूड में हैं। यह सब देखकर सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व वर्तमान विधायकों की हवा निकल रही है। हाल ही में ग्वालियर में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान दिल खोलकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की विकास कार्यों की तारीफ कर गये। तारीफ की वजह कहीं तोमर का मध्यप्रदेश भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति का सर्वेसर्वा होना तो नहीं।

मध्यप्रदेश में लंबे समय बाद मिला मीडिया संस्थान को न्याय

बिजली बिलों के झटकों से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के एक समाचार पत्र संस्थान को लंबे समय तक अंधेरे में रहना पड़ा। विधुत कंपनी ने भारी-भरकम बिल थमा दिया था। जिसके बाद मीडिया संस्थान राष्ट्रीय हिन्दी मेल को मध्यप्रदेश विधुत उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम से राहत मिल गई। मीडिया संस्थान के प्रमुख से बिजली विभाग के सर्वेसर्वा प्रमुख सचिव संजय दुबे की अदावत मंत्रालय में चर्चा का विषय है। सो संजय दुबे के निर्देश पर विभाग माननीय उच्च न्यायालय चला गया। माननीय उच्च न्यायालय ने मीडिया संस्थान को राहत दे दी। लंबे समय बाद न्याय तो मिला भले न्यायालय से ही सही। यह देखकर भारत की चर्चित फिल्म जॉनी एल एल बी का सीन याद आ गया जब जज एक मृत व्यक्ति को हिरासत में भेज देता है। मृत व्यक्ति इस बात पर खुश हो जाता है कि किसी दस्तावेज पर उसका नाम तो आएगा। मीडिया के भी हालात कुछ कुछ मृत व्यक्ति जैसे हैं।

सबसे बड़ा सर्वे :

मध्यप्रदेश का सबसे भ्रष्ट मंत्री कौन?

जवाब देगी जनता 

मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में संभावित हैं। विपक्षी दल कांग्रेस मध्यप्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहा है। खबर नेशन यह नहीं कहता कि सभी मंत्री भ्रष्ट हैं।

जनता जनार्दन भी कई मंत्रियों के भ्रष्टाचार का शिकार हुई है। आखिर क्या है वस्तु स्थिति?

कौन है मध्यप्रदेश का भ्रष्ट मंत्री

जनता फैसला करेगी।

हम सर्वे प्रक्रिया आपके समक्ष चालू कर रहे है । दी गई लिंक पर अपना मत देकर सर्वे प्रक्रिया में भाग ले  । आग्रह है आप खबर नेशन डॉट कॉम द्वारा करवाए जाने वाले सर्वे में अपना मत प्रकट करें। आपके निर्णय को प्रकाशित किया जाएगा लेकिन आपका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

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धन्यवाद

गौरव चतुर्वेदी

खबर नेशन

9009155999

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