मप्र मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी एवं माननीय सदस्य श्री राजीव टंडन ने ‘आठ मामलों में संज्ञान’ लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।

भोपाल,
‘‘
आठ मामलों में संज्ञान’’

खबर नेशन/ Khabar Nation

पुरानी दमकलों एवं 80 प्रतिशत अनट्रेंड स्टाॅफ के भरोसे राजधानी में आग से बचाव के इंतजाम

भोपाल शहर के सतपुड़ा भवन में लगी आग को वक्त पर कंट्रोल करने में नगर निगम फायर का अमला बेबस नजर आया। वजह अनट्रेंड फायर फाइटर्स और आधे-अधूरे आउटडेटेड संसाधन रहे। लिहाजा आग तेजी से फैली और छठवीं मंजिल तक पहुंच गई। निगम फायर बिग्रेड में 80 फीसदी फायर फाइटर्स दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी हैं जिनके पास कोई ट्रेनिंग नहीं है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने  कलेक्टर एवं कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

जलभराव से करंट फैला - नालों की नहीं की गई सफाई

भोपाल शहर में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक भी नाले की सफाई नही कराई गई। यह हाल तब हैं, जब बीते वर्ष जगह-जगह नावें चलानी पडीं थीं, लोग बेघर हो गये थे। कालोनियों में करंट से फैलने लोग दहशत में थे, मवेशियों की मौत हुई थी। हर वर्ष 15 मार्च से 15 जून तक नालों की सफाई और इनका गहरीकरण कराना होता है, जिससे नालों में वर्षा के पानी का निरंतर बहाव बना रहे और जल भराव की स्थिति न बने। अब हालत यह है कि नाले गाद और कचरे से भरे हैं। इनमें पानी का बहाव रूकना तय है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कमिश्नर, नगर निगम, भोपाल से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

तालाब में नहाने गये तीन बच्चों की दलदल में धंसने से मौत

सागर जिले की खुरई तहसील अंतर्गत ग्राम आसोली घाट में बीते रविवार शाम कोटवार के खेत पर बने छोटे तालाब (डबरी) में नहाने गये तीन बच्चे पांच फीट पानी के नीचे मिट्टी के दलदल में धंस गये, जिससे तीनों बच्चों की मौत हो गई। उनके साथ गई एक बालिका ने घटना की सूचना गांव में दी। इसके बाद गांव के लोग वहां पहुंचे और बच्चों को बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला। वे उन बच्चों को सिविल अस्पताल लेकर आये, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, सागर से प्रकरण की जांच कराकर मृतकों के वैध वारिसों को शासन की योजनानुसार मुआवजा राशि दिये जाने एवं घाट पर बच्चों की सुरक्षा के लिये की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

सूदखोरी के जाल में फंसे व्यापारी ने धमकियों से तंग आकर दी जान

रीवा जिले के गुढ़ निवासी व्यापारी राजकुमार जयसवाल ने सूदखोरों की धमकी से तंग आकर अपनी जान दे दी। सुसाइड नोट में लिखा है कि दो लाख रूपये के बदले 12 लाख चुकाये, फिर भी सूदखोरों की काॅपी में तीन लाख रूपये बकाया रहे। मृतक ने बीते छह जून को जहर खा लिया था। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने एसपी, रीवा से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

आंगनबाड़ी से मिली दवा खाने के बाद बिगड़ी गर्भवती महिला की तबीयत

छतरपुर जिले के सटई थानाक्षेत्र के ग्राम राईपुरा की एक गर्भवती महिला की अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो जाने की घटना सामने आई है। परिजनों का कहना है कि महिला ने आंगनबाड़ी से मिली दवा खाई थी, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई और जब तक उसे अस्पताल लाया जाता तब तक उसकी मौत हो गई। जिला अस्पताल में पुलिस ने पंचनामा बनाने के बाद शव को पोस्टमार्टम कराकर मामले की जांच शुरू कर दी है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, छतरपुर से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

पूरा अस्पताल फोटो सेशन में लगा रहा, गेट पर तड़पती रही गर्भवती

इंदौर जिले के महू सिविल अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। बीते सात जून को मानपुर के सेरकुंड गांव में आशा कार्यकर्ता डिलेवरी के लिये एक गर्भवती को लेकर आई थी, लेकिन अस्पताल के सभी कर्मचारी फोटो सेशन में जुटे रहे। गर्भवती दर्द से तड़पती रही। बाद में डाक्टरों ने आॅक्सीजन न होने और गर्भस्थ शिशु के सिर में सूजन बताकर महिला को इंदौर रैफर कर दिया। परिजन गर्भवती महिला को इंदौर एमटीएच अस्पताल ले गये। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, इंदौर से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

आईसीयू के एसी बंद, मरीजों को घर से लाने पड़ रहे कूलर-पंखे

जिला अस्पातल गुना के आईसीयू में पिछले लंबे समय से एसी काम नहीं कर रहा है। यह स्थिति जब सामने आई जब एक समाचार पत्र की टीम ने अस्पताल के वार्डों को जांचा। यहां गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीज व उनके परिजन अपने घरों से कूलर और पंखे की व्यवस्था कर जैसे-तैसे दिन काट रहे हैं। पिछले कई महीनों से अव्यवस्था जस की तस बनी हुई है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, गुना से 15 दिन में जवाब मांगा है।

लाखों के रहवासी मकान, लेकिन मालिकाना हक नहीं

बैतूल शहर बैतूल बाजार बस्ती मंें सालों से रह रहे परिवारों को जमीन का पट्टा तक उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसा नहीं है कि समय-समय पर इसके लिये प्रयास नहीं किये गये हों। पर जिस तरह से पट्टे प्रदान किये जाने मंे शासन प्रशासन हीला हवाली कर रहा है। उससे कुछ ऐसा प्रतीत हो रहा है, कि जानबूझकर इस काम में रोड़े अटकाये जाने की सोची समझी साजिश की जा रही है। बैतूल बाजार में लगभग 1237 पट्टों का वितरण किया जाना है। हालात ये हैं कि पट्टों से संबंधित समस्त दस्तावेज कलेक्ट्रेट से लेकर एसडीएम कार्यालय के बीच ही घूम रहे हैं। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, बैतूल से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जवाब मांगा है।

 

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