प्रदेश कांगे्रस विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति प्रकोष्ठ का ‘विमुक्त दिवस’ पर कार्यक्रम


भोपाल, 31 अगस्त 2019
प्रदेश कांगे्रस कार्यालय भोपाल में विमुक्त दिवस का आयोजन किया गया, 31 अगस्त, शनिवार को विमुक्त घुमक्कड़-अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति प्रकोष्ठ द्वारा विमुक्त दिवस समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम के संबंध मंे जानकारी देते हुए प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष देवीसिंह चैहान ने बताया कि विमुक्त घुमन्तु जनजातियां अपने हुनर एवं कलाओं में माहिर हैं। इन जातियों ने भारत में रचनात्मक कार्यों का विकास किया है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में विमुक्त एवं घुमन्तु जातियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इन जातियों के हुनर के कारण अंग्रेजों को मुंह की खानी पड़ी। बड़ी असफलता के बाद अंगे्रजों ने इन जातियों को दबाने और कुचलने के लिए इन पर जन्मजात अपराधिक कानून-1871 लगा दिया, जिसके कारण इन जातियों का व्यापर करना, गांव एवं शहर में आना जाना एवं रूकना प्रतिबंधित कर दिया और साथ ही साथ जानवरों जैसा सलूक करने लगे। अंगे्रजों ने इन जातियों को अलग-अलग कंपाउंड बनाकर निगरानी में रखते थे। इन्हंे थानों में हाजिरी देनी पड़ती थी इस अत्याचार के कारण इन जातियों के लोग जंगलों में छुपकर रहने लगे। जिसकी वजह से ये जाति लोग आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से बहुत पिछड़ गये। भारत को आजादी 1974 को मिली किंतु यह जातियां 1952 में आजाद हुईं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी ने 31 अगस्त 1952 इन जातियों को डिनोटिफाईट कर इस काले कानून से मुक्त किया। इसलिए इस दिन को मुक्ति दिवस के रूप में मनाते हैं। 
प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष देवीसिंह चैहान ने बताया कि आज मप्र कांगे्रस कार्यालय में प्रथम बार यह समारोह आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य समाज में जागरूकता लाना है। कांगे्रस की दिग्विजयसिंह सरकार ने इन जातियों के विकास के लिए एक अभिकरण बनाया, किंतु भाजपा के 15 सालों के शासन में इनके लिये कोई कार्ययोजना नहीं बनायी गयी। परंतु अब मुख्यमंत्री कमलनाथ जी इन जातियों के विकास के लिए आगे आये हैं और वे चाहते हैं कि ये जातियां विकास की उच्चधारा में साथ आयें। 
कार्यक्रम में प्रदेश के मंत्रीद्वय ओमकार सिंह मरकाम, सचिन यादव के अलावा पदाधिकारीगण बेलिया नायक, तेजावत जी, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, विधायक कुणाल चैधरी, प्रकाश जैन, राजीव सिंह, विजय सिरवैया, अर्जुनसिंह काकोडिया, श्रीमती सुमित्र कास्डेकर, नारायण सिंह गराठिया, जगदीश गरासिया, मानसी मनावत, दौलत पटेल, धनराजसिंह चैहान, सागर कछावा, श्रवणसिंह राठौर सहित बड़ी संख्या में प्रकोष्ठ के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन ललित पवार ने किया।

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