मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने छह मामलों में संज्ञान लिया

खबर नेशन / Khabar Nation
आयोग के माननीय सदस्य मनोहर ममतानी ने संज्ञान लेकर संबंधित विभागाधिकारियों से समय-सीमा में जवाब मांगा है।


मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जिला जेल रायसेन में बंद एक कैदी की तबीयत बिगड़ने पर इलाज के दौरान संदिग्ध हालत में मौत हो जाने के मामले में संज्ञान लिया है। आबकारी विभाग की कार्यवाही के चलते मृतक राहुल पुत्र रमेश ठाकुर (24 वर्ष) जेल में बंद था। रात में वह बाथरूम गया था, जहां पैर फिसलने से उसे चोट आ गयी थी। सुरक्षाकर्मियों ने जिला चिकित्सालय, रायसेन में उपचार कराया और उसे जेल ले आये। पुनः गुरूवार और शुक्रवार की रात उसकी तबीयत बिगड़ी। इस पर सुरक्षाकर्मी उसे लेकर पुनः जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे, जहां रात तीन बजे बंदी की मौत हो गयी। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने अधीक्षक/जेल प्रबंधक, जिला जेल रायसेन से सभी आवश्यक दस्तावेजों सहित एक माह में जवाब मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने विदिशा जिले में शर्मशार कर देने वाली एक घटना पर संज्ञान लिया है। बीते शनिवार की दोपहर तीन बजे कलेक्ट्रेट, विदिशा के पीछे, जहां मेडिकल काॅलेज एवं जिला अस्पताल का रास्ता जुड़ता है वहां एक कुत्ता अपने मुंह में मानव भ्रूण दबाकर लोगों को जाता हुआ दिखाई दिया। वहां से गुजर रहे विद्यार्थीयों ने यह देखा, कुत्ते को भगाया, कुत्ता भू्रण छोड़कर भाग गया। इस बीत पुलिस और नगर पालिका को सूचना दी गई, तब वही कुत्ता उस भ्रूण को लेकर फिर भाग गया। एक कर्मचारी ने बताया कि जिला अस्पताल और मेडिकल कॅालेज में प्रसव के दौरान जिन नवजातों की मौत हो जाती है, उन्हें उनके परिजन या अस्पताल के कर्मचारी रेलवे पटरी के आसपास फेंक जाते हैं, जिन्हें आवारा कुत्ते व अन्य जानवर उठाकर ले जाते हैं। जबकि ऐसे नवजात शिशु या अविकसित भ्रूण के शव को जमीन में गहराई में गाड़ा जाना चाहिए। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, विदिशा से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने विदिशा जिले में ‘‘स्कूल के लिये रोज सात किमी पैदल चलकर जातीं हैं बेटियां’’ शीर्षक वाली मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विदिशा जिले के गांव मारखेड़ा और गुरोद की कक्षा 11वीं एवं 12वीं की किशोरवय छात्राओं को करीबी गांव जोहद के हायर सेकण्डरी स्कूल जाने के लिए रोज पांच से सात किमी की पदयात्रा करना पड़ती है। यही स्थिति जिले के सभी 88 हायर सेकण्डरी स्कूलों की भी है, लेकिन आज तक इन बेटियों को परिवहन की सुविधा उपलब्ध ही नहीं हो पाई है। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, मप्र शासन, मंत्रालय, भोपाल से एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी कहा है कि छात्राओं को शिक्षा पाने का मौलिक/मानव अधिकार प्राप्त है। छात्राओं द्वारा विभिन्न कठिनाईयों के कारण पढ़ाई छोड़ देने के मामले देखे जाते हैं। इस मामले में भी छात्राओं को उनके मौलिक/मानव अधिकार तक पहुंच में बाधा/कठिनाई हो रही है। मप्र शासन की ओर से इस संबंध में सकारात्मक कार्यवाही अपेक्षित है। इसी अनुरूप प्रकरण की जांच करायें और जांच में सभी संवैधानिक/वैधानिक परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत ही प्रतिवेदन दें।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भिण्ड जिले में ‘‘स्कूल 14 किमी दूर होने के कारण दसवीं के बाद बालिकाओं की छूट रही पढ़ाई’’ शीर्षक वाली मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भिण्ड जिले के मेहगांव-मौ मार्ग पर स्थित गाता गांव में हायर सेकण्डरी स्कूल न होने से अधिकांश छात्राओं की 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छूट जाती है। क्योंकि हायर सेकण्डरी कक्षाओं की पढ़ाई करने के लिये 14 किमी दूर मेहगांव जाना पढ़ता है। बालिकाओं के परिजन इतनी दूर आने-जाने की अनुमति नहीं देते हैं और दूर भेजने में पढ़ाई का खर्च भी अधिक आता है।। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, मप्र शासन, मंत्रालय, भोपाल से एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी कहा है कि विद्यालय के उन्नयन का प्रस्ताव यदि प्राप्त हुआ है, तो उस पर निर्णय लें और 10वीं कक्षा के पश्चात् छात्राओं के लिए विद्यालय की व्यवस्था सरल एवं सुलभ हो, जिससे उन्हें विद्यालय की पढ़ाई नहीं छोड़नी पडे़, इसके लिये शासन स्तर पर की गई कार्यवाही के संबंध में भी स्पष्ट प्रतिवेदन दें।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इंदौर जिले में एक छात्रा द्वारा मनचले की हरकतों से तंग अकर फांसी लगा लेने की घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार 11वीं में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा ने घर के सामने रहने वाले मनचले से परेशान होकर फांसी लगाकर जान दे दी। उसने थोड़ी देर पहले ही कहा था कि, मां यह मनचला मुझे पढ़ने नहीं देगा। स्कूल जाने से लेकर घर तक मेरा पीछा करता है। इतना तंग कर दिया है कि समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूं ? परिजनांे ने बताया कि तीन थानों में आरोपी के खिलाफ शिकायत भी की, लेकिन पुलिस ने उसे नाबालिग बताकर छोड़ दिया। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने पुलिस कमिश्नर, इंदौर से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी कहा है कि पीड़ित छात्रा के परिजनों द्वारा आरोपी के विरूद्ध जो तीन शिकायतें की गईं थीं, उन पर की गई कार्यवाही का विवरण (सभी आवश्यक दस्तावेजों सहित) एवं पीड़ित छात्रा की मृत्यु के उपरांत की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन दिया जाये।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सीहोर जिले के एक मामले में संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार सीहोर जिले के दोराहा के सीनियर कन्या छात्रावास की छात्राओं ने अपनी ही वार्डन के खिलाफ धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इन छात्राओं ने आरोप लगाया कि छात्रावास की वार्डन अनीता सिंह द्वारा सभी छात्राओं से बदतमीजी की जाती है और छात्रावास के अन्य कार्य भी कराये जाते हैं। वार्डन द्वारा छात्राओं से जबरदस्ती गेंहू की सफाई, लकड़ी की कटाई के साथ छात्रावास परिसर की घास भी कटवाई जाती है। काम नहीं करने पर इन छात्राओं को छात्रावास से निकाल देने की धमकी दी जाती है। छात्राओं को भोजन भी अत्यंत निम्न कोटि का दिया जता है। छात्राओं ने अधिकारियों से वार्डन को बदलने की मांग की है। मामले में मप्र मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर, सीहोर से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

 

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