सरवास इंडिया : प्रवास द्वारा वैश्विक शांति आंदोलन

एक विचार Feb 26, 2024

 

 

पूना के एस.एम. जोशी सभागृह में सरवास इंडिया के तीन दिवसीय 73 वें वार्षिक सम्मेलन का समापन रविवार 25 फरवरी को हुआ। 

खबर नेशन / Khabar Nation

24 फरवरी के प्रथम सत्र के आरंभ में सबसे पहले संस्था के दिवंगत सदस्यों को मौन श्रद्धांजलि दी गई। तत्पश्चात सभी सदस्यों का परिचय हुआ। इस आयोजन में कई बुजुर्ग सदस्यों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई जो अपनी उम्र के 7 से 8 दशक पार कर चुके हैं। कई सदस्य तो ऐसे भी हैं जिनकी तीन पीढियां सरवास की सदस्य है। नेशनल सेक्रेट्री नितिन वानखेड़े ने बताया कि यूनाइटेड नेशंस द्वारा न्यूयार्क में महिला सशक्तिकरण पर एक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है सरवास सदस्य श्रीमती अमृता करकरे को भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए आमंत्रित किया गया है। 

सरवास के बारे में बताते हुए मध्यप्रदेश के अग्रणी इंजीनियरिंग कॉलेज एसजीएसआईटीएस के टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की विभागाध्यक्ष और सरवास इंडिया की डिप्टी नेशनल सेक्रेट्री डॉ. अंजना जैन ने बताया कि एस्पेरांटो भाषा में सरवास का अर्थ (वी सर्व पीस) "हम शांति बांटते हैं" होता है। संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध सरवास एक गैर-लाभकारी अंतरराष्ट्रीय सदस्य संगठन है जिसके विभिन्न देशों में फैले सदस्य अपनी यात्राओं के दौरान आपसी मेलजोल बढ़ाने के लिए एक दूसरे के साथ घरों और दिलों में रहकर अपने और अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी साझा करने के माध्यम से शांति और अंतर-सांस्कृतिक समझ पैदा करते हैं। इस संगठन की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद फैली वैश्विक अशांति से व्यथित होकर बॉब लुइटवेइलर द्वारा 1949 में "प्रवास द्वारा शांति" आंदोलन के रूप में की गई थी। आज यह संगठन एक वृहद रूप में 110 देशों में वैश्विक शांति के प्रसार के लिए काम कर रहा है। इसके सदस्य मेजबान और अतिथि दोनों ही हो सकते हैं। श्रीमती जैन ने बताया कि सरवास इंडिया की स्थापना 1951 में गांधीजी के परम अनुयाई और लोक अदालत विचार के जनक भाईजी श्री हरिवल्लभ पारिख द्वारा की गई थी। श्रीमती जैन ने आगे कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में यह एक अद्भुत बात है कि सरवास जैसी भी एक संस्था है जहां हम भगवान महावीर के "जियो और जीने दो" के सिद्धांत का पालन करते हुए सर्वजन सुखाय और वैश्विक शांति के लिए काम करते हैं।

वार्षिक साधारण सभा की विधिवत शुरुआत करते हुए सरवास इंडिया के अध्यक्ष प्रो. प्रकाश व्यवहारे ने अपने अध्यक्षीय स्वागत उद्बोधन में बताया कि हमें नियमित रूप से यात्राएं करना चाहिए और नए पारिवारिक मित्र बनाना चाहिए यह वैश्विक शांति प्रसार करने का एक प्रभावशाली माध्यम है। रामायण और महाभारत में भी कहा गया है कि श्रेष्ठ लोगों ने जिस मार्ग और आचरण को अपनाया हमें भी वही अपनाना चाहिए।

विशेष अतिथि पूना के पूर्व महापौर सतीश देसाई ने प्रस्ताव रखा कि आज यहां उपस्थित होकर मेरे मन में यह भावना जागी है कि सरवास इंडिया को पूना में एक अंतर्राष्ट्रीय युवा सरवास सम्मेलन आयोजित करना चाहिए जहां हम दूसरे देशों से आए अतिथियों को अपने घरों में ठहराकर भारतीय संस्कृति से परिचय करवाएंगे।

कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई और नितिन वानखेड़े द्वारा पिछले वर्ष हम्पी में संपन्न हुई वार्षिक बैठक में लिए गए निर्णयों की समीक्षा की गई और इस वर्ष में किए जाने कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। उनके द्वारा सरवास इंटरनेशनल द्वारा प्रतावित नियमों और विभिन्न देशों में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की जानकारी भी दी गई। 

इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष और नेशनल स्पेस सोसायटी की कार्यकारिणी के सदस्य और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक अविनाश शिरोडे, पूर्व नेशनल सेक्रेट्री और सरवास इंटरनेशनल कार्यकारिणी के सदस्य अभय साहा, प्रख्यात समाजसेवी श्यामला देसाई और अन्य राज्यों से आए सदयों के साथ इंदौर से मनीष जैन, अखिलेश, प्रो वंदना तारे, ख्यात लेखक और समाजसेवी राजकुमार जैन, श्रीमती स्मिता व्यवहारे, आदित्य ठाकरे, विशाखा ठाकरे भी मौजूद रहे।

समापन सत्र में युवा महोत्सव आयोजित करने एवम गणपति उत्सव और भारतीय शादियों के सीजन में अंतरराष्ट्रीय अतिथियों को आमंत्रित करने के बारे में चर्चा की गई ताकि वो अपने देश लौटकर बदलते भारत की तस्वीर अपने लोगों को दिखा सकें। सत्र के दौरान नवीन सदस्यों का सरवास परिवार में स्वागत किया गया। आभार प्रदर्शन श्रीमती रूपाली मेमने द्वारा किया गया।

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