जमीनी पार्षद, महापौर या अध्यक्ष के उच्च पद तक पहुंचता है तो भाजपा को इसमें आपत्ति क्यों ?

एक विचार Oct 09, 2019

पार्षदों के जरिए महापौर, नगर पालिका व नगर परिषदों के अध्यक्ष के चुनाव का आखिर भाजपा क्यों विरोध कर रही है, भाजपा का विरोध समझ से परे ?

यह निर्णय तो कांग्रेस सरकार ने ही 20 वर्ष पूर्व लिया था, विकास कार्य अवरुद्ध की निरंतर मिल रही शिकायतों को देख इस निर्णय को वर्तमान में बदला गया है।

यदि कोई जमीनी पार्षद, महापौर या अध्यक्ष के उच्च पद तक पहुंचता है तो भाजपा को इसमें आपत्ति क्यों ?

खरीद फरोख्त का आरोप लगाकर भाजपा कर रही है पार्षदों का अपमान

इस विरोध से भाजपा की विकास विरोधी मानसिकता उजागर: नरेंद्र सलूजा

 खबर नेशन/Khabar Nation 

भोपाल, मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया कि नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश-2019 को मंजूरी के साथ अब महापौर, नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे, यह निर्णय बेहद स्वागत योग्य है, लेकिन इसका भाजपा क्यों विरोध कर रही है, यह समझ से परे है? यह निर्णय तो 20 वर्ष पूर्व कांग्रेस सरकार ने ही लागू किया था, विकास कार्य अवरुद्ध के निरंतर सामने आ रहे मामले को देखकर इस निर्णय को वर्तमान में बदला गया है। यदि इस निर्णय से कोई जमीनी, आर्थिक रूप से कमजोर जनप्रतिनिधि महापौर व अध्यक्ष जैसे उच्च पद पर पहुंचता है तो भाजपा को इसमें आपत्ति क्यों है? आखिर भाजपा इस निर्णय से बार-बार पार्षदों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाकर, पार्षदों की निष्ठा पर संदेह व्यक्त कर, क्यों उनका अपमान कर रही है? क्यों उन्हें लगता है कि पार्षदों को पैसे के बल पर खरीदा जा सकता है?

सलूजा ने कहा कि भाजपा खुद को लोकप्रिय पार्टी मानती है तो फिर इस निर्णय से उसे हार का डर क्यों सता रहा हैं? क्यों उसे लग रहा है कि पार्षद चुनाव में जनता उसको हरा देगी? प्रत्यक्ष प्रणाली से होने वाले चुनाव में विकास कार्य भी प्रभावित होते थे क्योंकि बहुमत किसी अन्य दल का व महापौर-अध्यक्ष किसी अन्य दल के होने से, आपसी प्रतिस्पर्धा में विकास कार्य प्रभावित होते थे। इस निर्णय से उस पर रोक लगेगी। इससे विकास कार्यों में तेजी आएगी व आपसी सामंजस्य बना रहेगा, तानाशाही व मनमानी समाप्त होगी। ऐसे कई उदाहरण प्रदेश में आज भी मौजूद है। भाजपा को तो इस निर्णय का स्वागत करना चाहिए लेकिन उसका विरोध बता रहा है कि सिर्फ हार के भय से वह इस निर्णय का विरोध कर रही है।

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