रोशन लाल ने बनाई गन्ना बुवाई की अनोखी "बड चीपर मशीन

भोपाल। नरसिंहपुर जिले के विकासखंड गोटेगाँव के ग्राम मेख के किसान रोशनलाल विश्वकर्मा ने ऐसी मशीन बनाई है, जिससे खेत में गन्ना की बुवाई में 90 प्रतिशत तक बीज की बचत होती है। मशीन की उपयोगिता को देखते हुए देश के गन्ना उत्पादक उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तामिलनाडु आदि प्रदेशों में ही नहीं, बल्कि ब्राजील, केन्या, इथोपिया जैसे देशों में भी इसकी माँग बढ़ गई है। कृषक रोशनलाल अपनी मशीन बड चिपर के लिए न केवल प्रदेश में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कृत हो चुके हैं। इन्हें जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा कृषक फैलो सम्मान से भी अलंकृत किया गया है। अभी हाल ही में उन्हें राजस्थान राज्य के उदयपुर में किसान वैज्ञानिक के रूप में सम्मानित किया गया है।

रोशनलाल बताते हैं कि गन्ना लगाने की सामान्य पद्धति में सीधे गन्ने के टुकड़ों को खेतों में लगाया जाता है, ऊपर से मिट्टी पूर दी जाती है। इसके बाद इसमें पानी देकर गन्ने को दबाना पड़ता है। इस पद्धति में एक एकड़ में 35 से 40 क्विंटल गन्ना बीज लगता है। इनके द्वारा बनाई गई बड चिपर मशीन से गन्ने के टुकड़ों से केवल उसकी आँख (बड) सुरक्षित निकाल ली जाती है। गन्ने की इसी आँख (बड) को खेत में सीधे लगाया जा सकता है या इस बड से पॉलीथिन में या प्लास्टिक की ट्रे से गन्ने की पौध भी तैयार की जा सकती है। गन्ने की आँख से गन्ने के कल्ले निकलते हैं। 

बड चिपर मशीन से गन्ना लगाने में केवल गन्ने की आँख वाला छोटा-सा डेढ़ इंच का गन्ने का टुकड़ा ही लगाना होता है। शेष गन्ने का उपयोग गुड या शक्कर बनाने में किया जाता है। इस विधि में एक एकड़ में केवल डेढ़ क्विंटल गन्ना ही लगता है। सामान्य पद्धति से गन्ने के बीजोपचार में अधिक मेहनत लगती है। बड चीपर वाली पद्धति में गन्ने का बीजोपचार आसान हो जाता है। इससे गन्ने में कोई रोग नहीं लगता और अधिक पैदावार होती है। पुरानी पद्धति से गन्ना लगाने में औसतन एक एकड़ में 300 से 400 क्विंटल गन्ना पैदा होता है, वहीं बड पद्धति से लगाने में 400 से 500 क्विंटल गन्ना पैदा होता है। इसके अन्य फायदे भी हैं। खेत में गन्ने के बीज का परिवहन आसान होता है, श्रम की बचत होती है, मजदूर भी कम लगते हैं और किसान की आय में वृद्धि होती है।

रोशनलाल ने मशीन का अविष्कार वर्ष 2003 में किया था। वर्ष 2006 से गन्ना किसानों को मशीन देना प्रारंभ किया। इन्होंने इस मशीन का पेटेंट भी करा लिया है। इस मशीन के 3 मॉडल तैयार किये हैं। पहला मॉडल हाथ से चलाने वाली बड चिपर मशीन, दूसरा मॉडल पैरों से चलाई जाने वाली फुट मशीन और तीसरा मॉडल मोटर द्वारा चलित पॉवर मशीन है। गन्ना उत्पादक लोगों की माँग पर मशीन को देश-विदेश भिजवाते हैं। हस्तचलित मशीन केवल 1200 रुपये में उपलबध कराते हैं। बड चिपर की बिक्री से उन्हें साल-भर में करीब 5 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है। रोशनलाल अब तक 10 हजार से अधिक मशीन देश में और 100 से अधिक मशीन विदेशों में सप्लाई कर चुके हैं। (खबरनेशन / Khabarnation)

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