भारतीय संस्कृति के संरक्षक थे सम्राट विक्रमादित्य

राज्यपाल पटेल द्वारा विक्रमोत्सव का शुभारंभ 
 

भोपाल। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उज्जैन में विक्रम अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया। राज्यपाल ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य के संरक्षण में भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत साहित्य का विकास हुआ। कालीदास जैसे महाकवि और ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर विक्रमादित्य दरबार के अभिन्न अंग थे। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ स्वराज संस्थान संचालनालय और संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आयोजन समिति अध्यक्ष एवं विधायक डॉ. मोहन यादव, प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव और शोध संस्थान के निदेशक डॉ. भगवती लाल राजपुरोहित भी मौजूद थे।
 

राज्यपाल ने कहा विक्रमादित्य ने बुद्धि और पराक्रम से अपनी अमिट पहचान बनाई। उनकी न्यायप्रियता का बोध कराने वाली बेताल पच्चीसी और सिंहासन बत्तीसी आज भी लोक प्रिय और प्रेरणास्पद हैं। इन्हें राष्ट्रीय चेनल पर प्रसारित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि पिछले 2 हजार सालों से भारत की सांस्कृतिक पहचान विक्रम संवत के साथ जुड़ी हैं। सारे मांगलिक काम भारतीय पचांग के अनुसार ही किये जाते हैं।
 

राज्यपाल ने सात विधाओं में विक्रम अंलकरण पुरस्कार प्रदान किये। भरत निजवानी को शौर्य अंलकरण, डॉ. मनोहर सिंह राणावत को पुरातत्व, विशाल सिंधे को शास्त्रीय वादन, प्राचार्य प्रो. जोगेश्वर प्रसाद चौरसिया को आयुर्वेद, डॉ. योगेश देवले को शास्त्री गायन, डॉ. प्रियंका वैद्य अष्टपुत्रे को शास्त्रीय नृत्य विधा और अभिभाषक पं. राजेश जोशी को विधिक क्षेत्र में विक्रम अलंकरण प्रदाय किया गया। इन्हें पुरस्कार स्वरूप 11 हजार रूपये और प्रशस्ति-पत्र दिया जायेगा। राज्यपाल पटेल ने तिथि आधारित केलेण्डर का विमोचन भी किया। (खबरनेशन / Khabarnation)
 

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