"हम बीमार से लड़ रहें   हैं, या बीमारी से ? सेनेटाइजर पर लूट बंद हो और जाँच शुल्क पर पुनर्विचार हो": गोविन्द मालू

"मानक के लिए सेनेटाइजर फेक्ट्री का निरीक्षण किया जाए"

आईसीएमआर  के आर टी पीसीआर जाँच के निजी लैब के 4,500 रुपये के बंधन को समाप्त करने के निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए, सेनेटाइजर के मानक और मूल्य पर नियंत्रण बेहद जरूरी। यह माँग केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से एक पत्र में करते हुए खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष श्री गोविन्द मालू ने कहा कि जब निजी लैब को जाँच के अधिकतम शुल्क का निर्धारण हुआ तब से केवल एक माह में ही सामग्री के मूल्य ऐसे नहीं बढ़े कि निजी लैब को 4,500 रुपये में जाँच की पड़तल ही नहीं बैठ रही हो। आपने कहा कि इसलिए आईसीएमआर का यह तर्क ग़लत है कि सामग्री के मूल्य बढ़ गए ।जबकि स्वदेशी किट भी उपलब्ध हो गई है। तब तो शुल्क कम होना चाहिए। आपने कहा कि इसी तरह बाजार में सेनेटाइजर के मूल्य और मानक में न तो कोई साम्यता है, ना ही गुणवत्ता नियंत्रण इस बाबद भी गाइड लाइन बननी चाहिए। और जँहा सेनेटाइजर का उत्पादन हो रहा हो वँहा औचक निरीक्षण करवाया जाए, र्क्योंकि यह सुरक्षा कवच है,और आम जन इसे ही संक्रमण से बचाव का साधन मान रहे हैं। आपने कहा जिसमें सुरक्षा के तत्व ही नहीं हों, और दाम भी मनमाने तो वह दुहरी मार करेगा। तो क्या हम बीमार से लड़ रहे हैं या बीमारी से? संक्रमण भय से त्रस्त जनता से सेनेटाइजर के नाम पर छल कपट, लूट खसोट बंद हो, स्थानीय प्रशासन भी इस खेल पर ध्यान देगा तो " इंदौर मॉडल" देश अपनाएगा।

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