मोदी सरकार के मंत्री पर लटकी तलवार, सदस्यता हो सकती हैं रद्द
गौरव चतुर्वेदी/ खबर नेशन/Khabar Nation
नरेन्द्र मोदी की सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग की राज्य मंत्री सावित्री. ढाकुर पर नाम निर्देशन पत्र में जानकारी छुपाने का आरोप है।
सावित्री ठाकुर मध्यप्रदेश की धार लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीतकर आई है। इन्हें आदिवासी एवं महिला कोटे से मंत्री बनाया गया हैं । सावित्री ठाकुर के लोकसभा निर्वाचन नामांकन फार्म में जानकारी छुपाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम मुवेल ने जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आपत्ति लगाई थी।
आपत्ति में सावित्री ठाकुर द्वारा 2018-19 की कर योग्य आय 38671/- रूपए बताई गई हैं। इस दौरान सावित्री ढाकुर 2014 से 2019 तक लोकसभा सदस्य थी। जिन्हें वेतन भत्ते के तौर पर 2,00,000/ रुपए प्रतिमाह मिलता था। आयकर अधिनियम के तहत समस्त कटौत्री के बाद कर योग्य आय लगभग 8 लाख रुपए होती है।ढाकुर 2014 से 2019 तक लोकसभा सदस्य भी।
इसी प्रकार नाम निर्देशन पत्र में आश्रित पारिवारिक सदस्यों की आय एवं संपति के कालम को भी छोड़ दिया गया हैं। आपत्ति के अनुसार इस कालम को शपथ पत्र में मुद्रित ही नहीं कि गया है जो शपथ पत्र के निर्धारित प्रारूप का उल्लंघन हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम मुवेल द्वारा लगाई गई आपत्ति को जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा खारिज कर दिया गया था। जब इस बारे में कांग्रेस प्रत्याशी मुवेल से बात की तो उन्होंने कहा कि वे इस मामले को लेकर न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे है।
पूर्ण शिकायत इस प्रकार है।
उपरोक्त विषय में सावित्री ठाकुर द्वारा सांसद रहते हुए पद का दुरोपयोग के साथ सांसद निधि राशी चौदह लाख उन्नम्बे हजार का दुरो उपयोग किया गया। वर्ष 2016-17 में प्राप्त आवंटन से ग्राम पंचायत बगवानिया में कुण्डा काकड़ पर सामुदायिक भवन निर्माण कार्य किया गया। जो कि सांसद ने अपने निजी जमिन पर निर्माण करवाया जिसमे खुद रहती है जो कि सावित्री ठाकुर ने निर्वाचन के शपत पत्र में उन्होने उल्लेखित है। उक्त जमिन का खाता खसरा नकल भी संलग्न है। ग्राम बगवानिया में आवास अथवा वाणिज्य भवन निर्मित होने का तथ्य छुपाया गया है इसमें फोटो संलग्न है निर्मित भवन शपत पत्र में उल्लेखित भूमि उक्त भवन निर्मित है। जो यह निजी फार्म हाउस में रहती है।
शपथ पत्र के भाग-क के बिन्दु क्रमांक 4 जो कि स्थाई लेखा संख्या और आयकर विवरणी से संबंधित है। इस कालम में स्वयं अभ्यर्थी के संबंध में वर्ष 2018-19 की कर योग्य आय रूपये 38671/- दर्शाई गई है। अभ्यर्थी सावित्री ठाकुर 14 मई 2014 से 13 मई 2019 तक धार लोकसभा क्षेत्र से सांसद रही है। तद्नुसार संसद् सदस्य [वेतन, मत्ता और पेंशन] अधिनियम, 1954 के अनुसार वर्ष 2018-19 में सांसद को वेतन और भत्तों के रूप में प्रतिमाह रूपये 2,00,000/- की राशि का भुगतान किया जाता है जिसमें से रूपये 1.00.000 वेतन की राशि कर योग्य आय होती है और शेष राशि रूपये 1,00,000/- कर मुक्त आय होती है। इस गणना के अनुसार सालाना वेतन से कर योग्य आय रूपये 12,00,000/ लीख होती है। इस कर योग्य आय में से आयकर अधिनियम की धारा 80सी के अंतर्गत अधिकतम रूपये 1,50,000/- की कटोत्री का दावा किया जा सकता है। यदि कोई गृह ऋण लिया गया है तो अधिकतम रूपये 2,00,000/- देय ब्याज की कटोत्री का दावा किया जा सकता है। तथा वेतन से प्राप्त आय में मानक कटोत्री रूपये 50,000/- का दावा किया जा सकता है। इस प्रकार कुल कटोत्री का योग्य रूपये 4,00,000/- होता है। तद्नुसार करयोग्य आय रूपये 8.00,000/- शेष रहती है। जबकि शपथ पत्र में कर योग्य आय रूपये 38.671/- दर्शाड़ गई है। यह त्रुटी लोक प्रतिनिधित्व की धारा 33 एवं 33 क का उल्लंघन है। यह प्रावधान नाम निर्देशन पत्र को निरस्त किये जाने को आकृषित करता है।
बिना शपथ पत्र अधुरा है। अपुरा शपथ पत्र शुन्य है और शुन्य शपथ पत्र व आधार पर नामनिर्देशन पत्र को अनिवार्य रूप से निरस्त किया जाना चाहिए।
अभ्यर्थी सावित्री ठाकुर दिनांक 14 मई 2014 से 13 मई 2019 तक धार लोकसभा क्षेत्र से संसद रही है जो कि उपरोक्त वर्णित दस वर्ष की कालावधि भी सम्मिलित है। अभ्यर्थी सावित्री ठाकुर के द्वारा प्रस्तुत किये गये नामनिर्देशन पत्र एवं संलग्न किये गये दस्तावेजो में मकान किराया, जलकर, बिजली बिल, टेलिफोन देयक के संबंध में लोकसभा सचिवालाय को द्वारा जारी किया गया अदेय प्रमाण पत्र (नोड्युस) नामनिर्देशन पत्र के साथ संलग्न नहीं है जो कि शपथ पत्र का एक आवश्यक भाग है।
अभ्यर्थी सावित्री ठाकुर के द्वारा अधुरा शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है जो विधिकि भाषा में शुन्य है। शुन्य शपथ पत्र के आधार पर नामनिर्देशन पत्र निरस्त किया जाना आवश्यक एवं न्याय संगत है।
प्रस्तुत आवेदन की आपत्तियां पूर्णतः विधि संमत् है, जो कि अभ्यर्थी सावित्रीठाकुर के नामनिर्देशन पत्र को निरस्त किये जाने के लिए पर्याप्त आधार को दर्शित करती है। अतः आवेदन को ग्राह्य कर आवेदक अभ्यर्थी सावित्री ठाकुर के नामनिर्देशन पत्र तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जावे।
अभ्यर्थी सावित्री चाकुर के द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र के पृष्ठ क्रमांक 12 पर विन्दुक्रमांक के शिर्षक सरकारी परिवाहन से संबंधित विभाग को शीला जिसके अंतर्गत वायुमान और हेलीकॉप्टर भी है) के अंतर्गत अभ्यर्थी के द्वारा स्वयं धति संयुका हिन्दु परिवार, आश्रीत-1. आश्रीत-2. एवं आश्रीत-3 के संबंध में जानकारी दी जाना थी, किन्तु शपथ-पत्र में आवेदक अभ्यर्थी के द्वारा स्वयं के संबंध में जानकारी दी गई है। किन्तु पति. संयुक्त हिन्दु परिवार, आश्रीत-1. आश्रीत-2. एवं आश्रीत के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस प्रकार पति, संयुक्त हिन्दु परिवार, आश्रीत 1 आश्रीत-2. एवं आश्रीत 3 के जानकारी से संबंधित कालम को खाली छोड़ा गया है। शपथ पत्र के अवलीकन से वह भी ज्ञात होता है कि शपथ पत्र में स्वयं पति, संयुक्त हिन्दु परिवार, आश्रीत-1, आश्रीत-2. एवं आश्रीत-3 से संबंधित कॉलम को मुद्रीत ही नहीं किया गया है, जो कि शपथ पत्र के निर्धारित प्रारूप के नियमों का उल्लंघन है। शपथ पत्र के निर्धारित प्रारूप के सबसे अंत में अभ्यर्थी शपथ ग्रहिता को निर्देशित किया गया है कि शपथ पत्र में कोई भी कॉलम खाली नहीं छोडे कॉलम खली होने की दशा में नामाकन निरस्त किया जावेगा। शपथ पत्र में पृष्ट क्रमांक 12 पर आवेदक अभ्यर्थी सावित्री ठाकुर के द्वारा छः कॉलम को शपथ पत्र में मुद्रीत नहीं करते हुए खाली छोडा गया है। यह स्थिति अभ्यर्थी सावित्री ठाकुर के नामनिर्देशन को निरस्त किये जाने को आकृषित है।
अभ्यर्थी सावित्री ठाकुर के द्वारा प्रस्तुत किये गये शपथ पत्र के पृष्ठ क्रमांक 11 एवं 12 पर विगत दस वर्ष में कोई विधायक अथवा सांसद रहा है तो ऐसी स्थिति में मकान किराया, बिजली बिल, जलकर एवं टेलीफोन देयक के संबंध में अदेय प्रमाण पत्र (नोड्युस) प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में शपथ पत्र के निर्धारित प्रारूप के पृष्ठ क्रमांक 12 पर यह निर्देश अवलोकनिय है-?
सरकारी शोध्य सरकारी आवास से संबंधित विभागो को शोध्य क. क्या अभिसाक्षी वर्तमान निर्वाचन की अधिसूचना की तारीख से पूर्व पिछले दस वर्ष के दौरान किसी समय सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आवास के अधिभोग में है?
टिप्पण- उपरोक्त सरकारी आवास के लिए भाटक, विद्युत प्रभार, जल प्रभार और टेलीफोन प्रभार की बाबत् संबंधित अभिकरणों का "बेबाकी प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
उपरोक्त निर्देशों के अध्ययन से यह स्पष्ट है कि अभ्यर्थी के द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला अदेय प्रमाण पत्र शपथ पत्र का एक भाग है इस प्रमाण पत्र के
इस मामले को लेकर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर ने कहा कि आपत्ति कोई भी लगा सकता हैं। उन्हें लग रहा था कि वे चुनाव हार जाएंगे ।
यह त्रृटि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 एवं 33 (क) का उल्लंघन है। न्यायालय में अगर आरोप सिंद्ध हो जाते हैं तो सावित्री ठाकुर की लोकसभा सदस्यता रद्द भी हो सकती हैं।