मध्य प्रदेश सरकार का करिश्मा

 
 
 बिना परीक्षा और साक्षात्कार आयोजित किए दे दिया द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी के समकक्ष शोध अधिकारी के पद पर रोजगार 
 
अपर मुख्य सचिव आई सी पी केसरी की अध्यक्षता में गठित समिति ने लिया था निर्णय
 
विषय के लिए भी हटकर दी गई छूट 
 
गौरव चतुर्वेदी/ खबर नेशन / Khabar Nation 
 
मध्य प्रदेश सरकार के अधीन पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ में शोध अधिकारी के पद पर फर्जी तरीके से नियुक्ति प्रदान कर दी गई। मजेदार पहलू यह रहा कि इस पर भर्ती के लिए ना तो कोई परीक्षा आयोजित की गई और ना ही साक्षात्कार लिया गया। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आईसीपी केसरी की अध्यक्षता में गठित समिति ने यह निर्णय कर डाला । 
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के संसदीय कार्य विभाग के अंतर्गत संचालित पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ में शोध अधिकारी( संविदा ) के पद पर डॉ अर्चना पांडे को नियुक्ति दे दी गई।  नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर फर्जीवाड़े का आरोप लगाया जा रहा है। यह पद द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी के समकक्ष का पद है। जिसे मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से परीक्षा या साक्षात्कार द्वारा ही भरा जा सकता है।
 इस नियुक्ति को लेकर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आईसीपी केसरी पर निजी स्वार्थ, सांठगांठ करने एवं नियम विरुद्ध तरीके अपनाए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। बाद में इस नियुक्ति को नियमितता भी प्रदान कर दी गई । 
जब इस मामले को लेकर सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी मांगी गई तो लोक सूचना अधिकारी डॉ प्रतिमा यादव ने अपने जवाब में ही इस बात का खुलासा कर दिया कि इस पद के लिए कोई भी परीक्षा और साक्षात्कार आयोजित नहीं किया गया था।  खबर नेशन के पास उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार श्रीमती यादव ने इस बात का भी खुलासा किया कि आउट सोर्स संविदा पर भर्ती किए जाने संबंधी नियम संसदीय पीठ के पास उपलब्ध नहीं है और ना ही संधारित किए गए हैं।  उन्होंने जवाब में यह भी स्वीकारा कि इस पद के लिए ना तो आवेदन पत्र का प्रारुप जारी किया गया था और ना ही कोई निर्देश जारी किए गए।  उन्होंने स्वीकारा कि विज्ञापन जरूर जारी किया गया था । 
 
प्रक्रिया के दौरान संविदा नियुक्ति के पदों पर मध्य प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण ) अधिनियम 1994 एवं उसके अधीन समय-समय पर जारी नियम निर्देश लागू होंगे का हवाला दिया गया है लेकिन इसका भी पालन नहीं किया गया। इसी के साथ ही न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता विभागीय नियमों के तहत विहित की गई है लेकिन इसका भी पालन नहीं किया गया।  मूलतः यह पद राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन ,सांख्यिकी अर्थशास्त्र या विधि में  स्नातकोत्तर योग्यता या एमफिल या पीएचडी और शोध संबंधी कार्यानुभव रखने वाले आवेदक को ही दी जा सकती थी। लेकिन डॉ अर्चना पांडे को इस पद पर नियुक्त करने के लिए किसी भी संकाय में स्नातकोत्तर और पीएचडी की योग्यता के साथ विज्ञापन जारी कर दिया गया । आधार यह बनाया गया कि पूर्व में भर्ती के प्रयास किए गए लेकिन पूर्ति नहीं हो सकी। 
जब इस मामले को लेकर पंडित कुंजीलाल दुबे संसदीय विद्यापीठ की संचालक डॉ प्रतिमा यादव से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि कुछ भी गलत तरीके से नहीं किया गया है । सब कुछ नियमानुसार हुआ है । जो आवेदन मंगाए गए थे । उनमें सबसे ज्यादा क्वालीफाई अर्चना पांडेय थी। इसलिए उनका चयन किया गया ।
जब इस मामले को लेकर अपर मुख्य सचिव संसदीय कार्य विभाग विनोद कुमार से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि यह मामला अभी जानकारी में आया है । अगर कोई शिकायत होती है तो जांच करवा कर ही बता पाऊंगा।

 


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गौरव चतुर्वेदी
खबर नेशन
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