दिग्विजय सिंह की अनदेखी का मतलब

 

सुनियोजित रणनीति या दिग्गी का धैर्य....?

खबर नेशन/ khabar Nation

काँग्रेस के आला नेताओं में शुमार रहे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और एआईसीसी के पूर्व महासचिव दिग्विजय सिंह की अनदेखी राजनैतिक हलकों में सवाल खड़े कर रही है। राजनैतिक प्रेक्षक इसका कारण और दिग्विजय के अगले कदम को लेकर कयासबाजी भी कर रहें हैं। कहीं यह काँग्रेस की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा तो नहीं ? 
मध्यप्रदेश के दस साल तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान दिग्विजय सिंह को "मिस्टर बंटाधार" बताते हुए भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में सत्ता में आई थी। पन्द्रह साल के शासन के बाबजूद भाजपा काँग्रेस पर आक्रामक हमलें करते समय दिग्विजय सिंह के शासन काल का जिक्र करना नहीं भूलती हैं । दिग्विजय सिंह के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , भाजपा, भगवा आतंकवाद और मुस्लिम परस्त राजनीतिक बयानों के बाद काँग्रेस खुद कई बार पल्ला झाडते हुए नजर आती है । ये अलग बात है कि बाद में दिग्विजय के बयान और आरोप सही साबित होते नजर आते हैं।
कहीं यही कारण तो नहीं कि दिग्विजय को इसी कारण नजरअंदाज किया जा रहा हो । आने वाले समय में तीन महत्वपूर्ण राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होना है। हो सकता है कि काँग्रेस कोई खतरा उठाना ना चाहती हो।
अगर हम दूसरी तरफ देखें तो काँग्रेसी हलकों में अक्सर यह बात सामने आती रही है कि अखिल भारतीय काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के राजनैतिक सलाहकार के तौर पर अप्रत्यक्ष रुप से दिग्विजय सिंह भी गिने जाते थे। राहुल गाँधी के हालिया कदमों को देखें तो वे साफ्ट हिन्दुत्व के तौर पर धर्म निरपेक्ष छवि बनाते हुए नजर आ रहे हैं । बात चाहे गुजरात चुनाव के दौरान मंदिर जाने की रही हो या हालिया कैलाश मानसरोवर यात्रा की । राहुल गांधी के धर्म निरपेक्ष छवि गढ़ने के पूर्व दिग्विजय सिंह ने सपत्नीक गैर राजनीतिक नर्मदा परिक्रमा पूर्ण कर चौंका दिया । दिग्विजय सिंह हमेशा कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ नजर आए लेकिन अपने आपको सनातनी हिंदू बताने से भी नहीं चूके । इसलिए राजनैतिक हलकों में यह महसूस किया जा रहा है कि संभवतः दिग्विजय को पीछे रखने की काँग्रेस की यह रणनीति हो सकती है। इसका एक और कारण भी नजर आ रहा है कि दिग्विजय इन दिनों मध्यप्रदेश में समन्वय समिति के अध्यक्ष के तौर पर लगातार काम करते नजर आ रहे हैं। अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव पद से हटाए जाने के बाद दिग्विजय ने अभी तक कोई खास प्रतिक्रिया भी नहीं दी है। 
बात चाहे दिग्विजय की अनदेखी करने की हो या सुनियोजित रणनीति का हिस्सा या दिग्विजय सिंह का खामोशी भरा धैर्य.... सवाल खड़े करता है और इनके जबाब भविष्य के गर्त में ही मिल पाएंगे ।

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