मोदी की वक्र दृष्टि के बावजूद क्या नेता पुत्रों में सी एम शिवराज के पुत्र सफलता के झंडे गाड़ पाएंगे ?

गौरव चतुर्वेदी/ खबर नेशन/Khabar Nation

सहज, सरल, सौम्य कार्तिकेय की प्रशासनिक दखलंदाजी

वो सहज है,सरल है, सौम्य है और पढ़ा लिखा भी है। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान की। इन दिनों जबरदस्त तरीके से सामाजिक, और राजनीतिक क्षेत्र में प्रशासनिक दखलंदाजी के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जुटे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी के हालिया नियंता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वंशवाद के खिलाफ बिगुल बजाकर नेता पुत्रों पर वक्र दृष्टि बनाए हुए हैं। क्या शिव पुत्र कार्तिकेय सफल हो पाएंगे?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और साधना सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय हाल ही में विदेश से कानून की मास्टर डिग्री लेकर लौटे हैं। सूत्रों के अनुसार कानून की डिग्री लेने के पहले भी कार्तिकेय जबरदस्त तरीके से राजनीति में पैर जमाने की कोशिश में जुटे हुए थे। उस दौरान मध्यप्रदेश के की भाजपा नेताओं ने दबे छुपे अंदाज में कार्तिकेय के क्रियाकलापों की जानकारी शिवराज पर निशाना साधते हुए भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेताओ तक पहुंचाई थी। जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए कार्तिकेय को पढ़ाई के लिए विदेश भेज दिया।

हाल ही में विदेश से लौटे कार्तिकेय वापस अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं। इन गतिविधियों को कार्तिकेय की फेसबुक वॉल पर भी देखा जा सकता है।

हाल ही में एनजीओ संभावना के द्वारा स्कूल के उन्नीकरण के लिए शिक्षा अधिकारियों और बिजली की समस्या के समाधान के लिए ग्रामीणों की उपस्थित में अधिकारियो के साथ कार्तिकेय ने बैठक ली।

कार्तिकेय के फेसबुक वॉल के अनुसार CM राइज़ स्कूल के अतिरिक्त ग़ैर सरकारी संगठनों के सहयोग से एवं अपने NGO सम्भावना के माध्यम से मैंने बकतरा से गोपालपुर तक 12 अन्य स्कूलों को विकसित करने का फ़ैसला किया है। प्रथम चरण में चयनित इन स्कूलों के संरचनात्मक विकास व आधुनिक तकनीक के उपयोग से शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए कार्य किया जाएगा।

क्षेत्र के बच्चों के उज्जवल भविष्य निर्माण के संकल्प के साथ इस कार्ययोजना पर प्राचार्यों तथा ज़िला शिक्षा अधिकारियों के साथ आज प्रारम्भिक बैठक भी की।

राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में कार्तिकेय के इस व्यवहार को लेकर दखलंदाजी के तौर पर माना गया। सवाल है कि किस हैसियत से कार्तिकेय अधिकारियों को दिशा निर्देश दे रहे थे। जबकि वे किसी भी राजनीतिक पद पर कार्य नहीं कर रहे हैं। 

इसी प्रकार  मूँग की फसल को MSP में शामिल कर बाज़ार मूल्य 4 हज़ार रु. से बढ़ा कर 7275 रु./ क्विंटल करने के किसान हितैषी निर्णय के लिए राज्य सरकार का आभार। 

क्षेत्र के अधिक से अधिक किसान भाई अपनी मूँग की फसल MSP पर बेच सकें इसलिए आज सिहोर किसान मोर्चा के ज़िला अध्यक्ष  मानसिंह जी व किसान बंधुओं के साथ बैठक की व इस ख़रीदी कार्यक्रम को ‘मूँग महोत्सव’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस आयोजन में भी कार्तिकेय के बिना किसी पद पर होने के बाद शामिल होने पर चर्चा की जा रही है। 

राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में कार्तिकेय के इन क्रियाकलापों पर चर्चा तो हो रही है लेकिन कोई खुलकर बोलना नहीं चाहता। दोनों मामले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले के हैं और शिवराज से हर कोई खास अपने रिश्तों की मधुरता बनाए रखना चाहता है।

 

 

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गौरव चतुर्वेदी
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