अब कमलनाथ पर दॉव खेला कांग्रेस ने

साथ में चार कार्यकारी अध्यक्ष भी

सिंधिया को बनाया कैम्पेन कमेटी का अध्यक्ष

खबरनेशन / Khabarnation

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव 2018 के लिए तुरूप के पत्ते के तौर पर वरिष्ठ नेता कमलनाथ को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया हैं। इसी के साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गये हैं और मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे दौड़ रहे सिंधिया को प्रचार समीति का अध्यक्ष बनाते हुए कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर किसी को भी घोषित ना करने का निर्णय लिया हैं। नई टीम में दिग्विजय सिंह की भूमिका भी तय नहीं की हैं।

कांग्रेस के बहुत पुराने सांसद कमलनाथ की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष के रूप में आज हुई नियुक्ति से पार्टी को क्या लाभ होगा यह तो वक्त ही बतायेगा पर उन के आने से उस में एक नयी रौनक हर हाल में आने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं। कांग्रेस मध्यप्रदेश में 2003 से सत्ता से बाहर हैं क्योंकि उस साल से ले कर अब तक वो तीन विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं।

कांग्रेस सब से पहले 2003 के चुनाव हारी जो कि दिग्विजय सिंह के 10 साल का मुख्यमंत्री काल खतम होने के बाद हुए थे। इस के बाद कांग्रेस 2008 में उस समय हारी जब सुरेश पचौरी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे और फिर वो 2013 में उस वक्त हारी जब कांतिलाल भूरिया ने पचौरी की जगह ले ली थी।
पर कमलनाथ के आने से प्रदेश कांग्रेस में सारे समीकरण एक बार फिर से बदल जायेंगे।

यहां पर यह बताना बहुत जरूरी हैं कि कमलनाथ सब से पहले 1980 में छिंदवाडा से लोक सभा चुनाव जीते थे और तब से वो वहां से केवल एक ही बार हारे हैं।

यहां पर यह भी कहना गलत नहीं होगा कि वो हारने के लिये यहां पर नहीं आयेंगे और कांग्रेेस की जीत के लिये अपना पूरा दम लगा देंगे। उनके आने से प्रदेश में सत्तारूढ भाजपा के लिये कुछ तो दिक्क्तें बढ ही सकती हैं। यह माना जा रहा था कि अरूण यादव के अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस के लिये जीत पाना बहुत ही ज्यादा कठिन होता पर इस तरह  की बात कमलनाथ के बारे में नहीं कही जा सकती हैं। कमलनाथ के साथ ही कांग्रेस ने सिंधिया को प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया हैं और चार कार्यकारी अध्यक्षों की भी बात की हैं। ये चार हैं जीतू पटवारी, बाला बच्चन, रामनिवास रावत और सुरेन्द्र चौधरी। कमलनाथ के आने से सिंधिया के सर्मथकों में कुछ तो नाराजगी हो सकती हैं पर इस का बहुत ज्यादा मतलब नहीं हैं। जो भी हो कमलनाथ के आने से इस साल के अंत में  प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव और दिलचस्प हो जायेंगे।

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