स्कूल में बंधती है भैंस, क्लासों में भरा रहता है भूसा

 

मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के हालात

खबर नेशन / Khabar Nation / रिपोर्टर कल्किराज डाबी


मध्यप्रदेश के देवास जिले के स्कूल में भैंस बंधती है और क्लासों में भूसे के ढेर लगे रहते हैं। आदिवासी बहुल इलाके में स्कूल पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस बात का पता है लेकिन उन्होंने भी दबंगों के आगे घुटने टेक रखे हैं।
सवाल है कि क्या इन आदिवासियों को शिक्षा का अवसर उपलब्ध करवा पाएगी सरकार ? सोनकच्छ विधानसभा से मात्र 9, 10 किलोमीटर दूर शिक्षा को तरस रहे हैं आदिवासी बच्चे। 

मूल भारतीय संविधान के भाग 4 (डीपीएसपी) के अनुच्छेद 45 और 39 (f) राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित सामान और सुलभ शिक्षा का प्रावधान किया गया है । अनुच्छेद 21A के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार को एक मौलिक अधिकार बना दिया गया था।
 यह पूरा मामला
करीब 1 महीने पहले नेशनल मीडिया के पत्रकार और अन्य पत्रकार सूत्रों के अनुसार ग्राम जलेरिया पहुंचे । जहां देवगढ़ रोड पर ग्राम से करीब 3 किलोमीटर दूर भैरूपुरा में शासकीय प्राथमिक विद्यालय  स्थित है।  यहां स्कूल का कुछ अलग ही नजारा था । स्कूल में बच्चों की क्लास रूम में भैंस बंधी हुई थी । स्कूल का हर कोना भूसे और कंडौ से भरा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि स्कूल कम भैंस का तबेला ज्यादा है । इसी तबेले में करीब 6 भैंस बंधी हुई थी।

 आदिवासियों से बात करने पर पता चला
जब स्कूल की हालत के बारे में आदिवासी और बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि यह स्कूल करीब 3,4साल से बंद है ।  तभी से गांव के दबंग लोगों ने कब्जा कर रखा है ।हम आदिवासी लोग हमारे बच्चों को कैसे पढ़ाएं । स्कूल में मास्टर नहीं है। स्कूल में चारों तरफ भैंस बंधी हुई है। हमारे मोहल्ले में आंगनवाड़ी केंद्र भी नहीं है।  गांव भी यहां से 3,4 किलोमीटर दूर पड़ता है। जब इस विषय में गांव के सरपंच ऋतुराज से बात की तो उन्होंने बात करने से ही मना कर दिया। उसके बाद जिलाधिकारी शिक्षा विभाग से बात की तो उन्होंने कहा कि स्कूल खुलवा देंगे लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया।
 सोनकच्छ विधानसभा से मात्र 9 ,10 किलोमीटर दूर है भैरूपुरा जलेरीया गांव। 
हैरान करने वाली बात तो यह है कि सोनकच्छ विधानसभा से मात्र 9, 10 किलोमीटर की दूरी पर सोनकच्छ देवगढ़ रोड पर यहां छोटी सी आदिवासियों की झोपड़ी पर मंत्री सांसद और विधायक की नजर क्यों नहीं पड़ती।  जबकि यहां सोनकच्छ और हाटपिपलिया विधानसभा को जोड़ने वाला एक मुख्य मार्ग है। ग्रामीण में एक स्कूल ऐसा भी है जहां पिछले 10 सालों से दबंग लोगों ने कब्जा किया रखा है । जो उसी में रह रहे हैं। इन दबंग लोगों से क्या सरकार  शासकीय प्राथमिक विद्यालय मुक्त करा पाएगी।

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