घटिया मास्क , दवाओं का टोटा , बेहाल अस्पताल, प्रोटोकॉल का उल्लंघन कोरोना की बढ़ती वजह या फिर शासन-प्रशासन का आंख मूंदना

 

आखिर कौन है यमराज ?
खबर नेशन / Khabar Nation
संपूर्ण देश में कोरोना संक्रमण चरम पर है । मध्यप्रदेश भी इन सबसे अछूता नहीं है । इस बेहाल तस्वीर का अगर आकलन किया जाए तो प्रमुख तौर पर आम नागरिकों का घटिया मास्क पहनना , अस्पतालों में संसाधनों का ना होना , दवाईयों और आवश्यक वस्तुओं की कमी , और कोविड 19 को लेकर जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों का जमकर उल्लंघन होना है । मध्यप्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के कोरोना संक्रमण को लेकर पल पल बदलते नियम भी हास्यास्पद और क्रूरता की और इशारा कर रहे हैं ।

अनावश्यक भीड़ अस्पतालों में : मध्यप्रदेश स्वास्थ्य के मामलों में कभी भी बेहतर स्थिति में नहीं रहा । खासकर सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा तो किसी से छिपी हुई भी नहीं है। कहने को तो इंदौर भोपाल में निजी अस्पतालों की भीड़ है लेकिन ये कसाई खानों में तब्दील हो चुके हैं। आई सी यू और कमरों की मारामारी ने अच्छे अच्छों को सामान्य वार्ड के बिस्तरों पर इलाज करवाने के लिए मजबूर कर दिया है । जो इलाज घर पर किया जा सकता है उसके लिए गली मोहल्ले के डॉक्टर मरीजों के परिजनों को अस्पताल के लिए रैफर कर रहे हैं । यहां डॉक्टर मौत के डर से नहीं कमीशनखोरी के लालच में कदम उठा रहे हैं ।

दवाईयों का टोटा :  बाजार में आवश्यक दवाओं का टोटा पड़ गया है । रेमडीसीवर जैसे इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही है । मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर इस बात का खुलासा कर रहे हैं कि अनावश्यक तौर पर मरीजों को रेमडीसीवर का इंजेक्शन लगाया जा रहा है । लोग भविष्य के संकट से बचने स्वैच्छा से रेमडीसीवर का इंजेक्शन खरीदकर घर में रखें हुए हैं । इसके अलावा भी घटिया क्वालिटी के मास्क , पी पी ई किट, दास्तानें सरकारी ही नहीं निजी अस्पतालों में उपयोग किए जा रहे हैं ।  आवश्यक संसाधन खरीदने के दौर में मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग के एक बड़े अधिकारी ने 150 करोड़ रुपए का घोटाला कर डाला ।

प्रोटोकॉल का उल्लंघन

आम जनता के साथ साथ सरकार भी कोविड19 के दिशा-निर्देशों का जमकर उल्लंघन कर रही है । चुनाव के बहाने राजनैतिक दल तो पीछे हैं ही नहीं सत्ता पक्ष भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। खुद शिवराज चुनावी सभाओं में और जनजागरण के नाम पर अपने आस-पास भीड़ लगाये हुए नजर आते हैं।शासन -प्रशासन भी कभी भी अपने नियमों को बदल देता है । इस पूरे दौर में कोविड से निपटने में शासन-प्रशासन अक्षम नज़र आ रहा है ।

सेनेटाइजर भी घटिया

कोरोना संक्रमण के साथ ही बाजार में आम उपभोक्ता की जेब कैसे काटी जाए को लेकर उपक्रम शुरू हो गये । गली मोहल्ले में बिना सरकारी स्वीकृति के प्लास्टिक की बोतलों में सेनेटाइजर भरकर बेचना शुरू कर दिया । नियमों की अनदेखी के कारण लगातार हाथ पैरों में एलर्जी के प्रकरण बढ़ते जा रहे हैं । एक दौर तो शराब में अधिक पानी और रंग मिलाकर सेनेटाइजर के नाम पर बेचा गया । दवा बाजार और केमिकल इंडस्ट्रीज से जुड़े व्यापारियों ने कोरोना संक्रमण के नाम पर जबरदस्त मुनाफाखोरी की और आम नागरिकों के जीवन को खतरे में डालने का काम कर दिया । अस्पतालों में कई सारे प्रकरण ऐसे सामने आए जिनमें शराब ना मिलने पर सेनेटाइजर ही पी लिया।  ऐसे ही इंदौर में इन दिनों ऐसी ऐसी कंपनियों को सेनेटाइजर बनाने की अनुमति दे दी गई है , जिन्हें दवा व्यवसाय का अनुभव ही नहीं था । मध्यप्रदेश में Purest के नाम से सेनेटाइजर बेचा जा रहा है । इस सेनेटाइजर के घटिया क्वालिटी एवं शारीरिक नुकसान होने को लेकर मध्यप्रदेश शासन को शिकायत की गई है । जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि इस सेनेटाइजर में एथेनॉल का उपयोग किया जा रहा है । जिसका लगातार उपयोग से शरीर पर चकत्ते और खुजली की समस्या खड़ी हो जाती है । पैक्ड बोतल के ऊपर घातक रसायन के मिले होने का कोई विवरण नहीं दिया गया है । जो दवा एवं औषधि नियमों के मुताबिक दण्डनीय अपराध है ।
इसे इंदौर की कोई कलरकेम इंडस्ट्रीज लिमिटेड बना रही है । जिसे पूर्व में पेंट, वॉल पुट्टी और वार्निश बनाने की अनुमति प्रदान की गई थी । गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व इंदौर के साजन नगर इलाके में भारी मात्रा में इथेनॉल स्टॉक पाए जाने पर कार्रवाई की गई थी । तब यहां बड़ी मात्रा में इथेनॉल का उपयोग किया जा रहा है तो प्रशासन चुप क्यों हैं ? सूत्रों के अनुसार एक बड़े भाजपा नेता और इंदौर में पूर्व में पदस्थ रहे एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के संरक्षण के चलते इस संस्थान पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है ।

Share:


Related Articles


Leave a Comment