सरकार थी तब सुध नहीं ली, चुनाव आए तो कमलनाथ को याद आने लगे दिवंगत किसान : सिसौदिया

 

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा-15 महीने की सरकार ने नहीं बनाए दिवंगत किसानों के स्मारक, न माना शहीद

खबर नेशन / Khabar Nation  


भोपाल। वर्ष 2017 में मंदसौर जिले के पिपलिया मंडी में कांग्रेस के नेताओं ने किसानों को भड़काया और आंदोलन की आग में घी डालने का काम किया। इसी के चलते यह स्थिति बनी कि आत्मरक्षा के लिए पुलिस को हिंसक भीड़ पर गोलियां चलानी पड़ी थीं, जिसमें पांच आंदोलनकारियों की मृत्यु हो गई थी। कांग्रेस ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को खूब भुनाया, लेकिन जब कांग्रेस की सरकार बन गई तो कांग्रेस ने न तो पीड़ित परिवारों की सुध ली और न ही दिवंगत किसानों के स्मारक बनवाए। अब फिर से विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, इसलिए कांग्रेस को इन किसानों की याद आने लगी है और कमलनाथ 6 जून को पिपलियामंडी जा रहे हैं। कांग्रेस किसानों का उपयोग सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए ही करती है।
 

किसानों को भड़काया, मुद्दे का लाभ उठाया

श्री सिसौदिया ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान किसानों की भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने में कांग्रेस के नेताओं की ही भूमिका रही। गोली चालन में पांच आंदोलनकारियों की मृत्यु के बाद कांग्रेस इस मुद्दे का लाभ उठाने में पीछे नहीं रही। 2018 के विधानसभा चुनाव नजदीक थे, इसलिए कांग्रेस ने इसका राजनीतिक लाभ लेने की भरपूर कोशिश की। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना में दिवंगत किसानों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए नगद तथा एक परिवार से एक व्यक्ति को शासकीय नौकरी तक दे दी थी, लेकिन कांग्रेस मृतकों के स्मारक बनाने, मूर्तियां लगवाने तथा उन्हें शहीद का दर्जा देने पर अड़ी रही। इस घटना की पहली बरसी पर 6 जून, 2018 को राहुल गांधी समेत तमाम नेता पिपलिया मंडी पहुंचे और कांग्रेस को किसानों का सबसे बड़ा शुभचिंतक बताने का प्रयास किया।
 

सरकार बनी, तो बदल गया रवैया

श्री सिसौदिया ने कहा कि कांग्रेस की अवसरवादिता का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि घटनाक्रम की दूसरी बरसी से लेकर अभी तक कांग्रेस का कोई नेता पीड़ित परिवारों के बीच नहीं पहुंचा। यही नहीं, 2018 में जब प्रदेश में कांग्रेस की 15 महीने वाली सरकार बनी, तो उस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने ही उठाए मुद्दों को भूल गए। उन्होंने न तो दिवंगत किसानों के स्मारक बनवाए और न ही उन्हें शहीद का दर्जा दिया। अब 2023 के विधानसभा चुनाव नजदीक है, इसलिए कांग्रेस एक बार फिर इस मुद्दे को जीवित करने की जुगाड़ लगा रही है।
 

कांग्रेस सरकार ने माना आत्मरक्षा में चलाई थी गोलियां

श्री सिसौदिया ने कहा कि पिपलिया मंडी की घटना के बाद कांग्रेस ने प्रदेश भर में किसानों को भड़काने का प्रयास किया था और मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की सरकार के प्रति दुष्प्रचार किया था। लेकिन बाद में जब 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी, तो उस सरकार ने भी यह माना था कि पुलिस ने गोलियां आत्मरक्षा के लिए चलाई थीं। श्री सिसौदिया ने कहा कि 18 फरवरी, 2019 को सैलाना के कांग्रेस विधायक श्री हर्ष विजय गहलोत ने विधानसभा में इस संबंध में लिखित प्रश्न पूछा था। जिसके जवाब में तत्कालीन गृह मंत्री श्री बाला बच्चन ने बताया था कि 6 जून 2017 को महू नीमच हाईवे स्थित बही चौपाटी पर कार्यपालिक दंडाधिकारी की अनुपस्थिति में पुलिस द्वारा मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए आत्मरक्षार्थ सरकारी एवं निजी संपत्ति की रक्षा के लिए फायरिंग की गई। वहीं, थाना पिपलिया मंडी में हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तथा सरकारी एवं निजी संपत्ति की रक्षा के लिए एसडीएम मल्हारगढ़ श्री श्रवण भंडारी द्वारा विधिक प्रक्रिया के अनुसार गोली चलाने का आदेश दिया गया, जिसके उपरांत पुलिस ने आत्मरक्षार्थ गोली चलाई।


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