राजधर्म का पालन करने वाला विश्व में एक मात्र देश भारत ही है- शिवशंकर 

Khabar Nation

मुरैना

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के 22वें स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस,शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय,मुरैना में भारतीय ज्ञान परंपरा एवं न्यास की विकास यात्रा पर संगोष्ठी आयोजित की गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक एवं पर्यावरण गतिविधि के प्रांत संयोजक शिवशंकर ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर अपने विचार रखते हुए उदाहरण दिया कि 2 दोस्त साथ रहते थे और एक मित्र को बेटी की शादी के लिए जरूरत पड़ने पर उसने अपने खेत दूसरे मित्र को बेच दिया, जब दूसरे मित्र ने फसल के लिए उस खेद की जुताई की तो उसे उसमे एक अशर्फियों का घड़ा मिला जिसे उसने अपने मित्र को यह कहते हुए लौटाने आया कि खेत मैने लिया था पर उसमें निकली अशर्फियों का घड़ा मेरा नहीं हे वह तुम्हारा हे क्योंकि मैने खेत खरीदा हे खेत में गड़ा हुआ धन नहीं तब दूसरे मित्र ने भी इसे स्वीकार करने से यह कह कर मना कर दिया कि मैंने जमीन बेच दी तो यह भी मेरा नहीं हे यह बात जब वह दोनों लोग के आपस में कर रहे थे उस समय राजा का एक मंत्री वहां खड़ा उन दोनों मित्रों की बातों को सुन रहा था, जिसने यह सारी चर्चा राजदरबार में ले जाने के लिए कहा कि इस समस्या का निदान राजदरबार में ही संभव हे, इसलिए निदान के लिए दोनों लोग राजदरबार में पहुंचे,जब वह दोनों लोग राजदरबार में पहुंचे तब राजा ने पूरा किस्सा ध्यान से सुना और निर्णय दिया कि यह राज्य की भूमि में मिला हे तो यह राजकोष में जमा होगा और दोनों मित्र इसके भी सहज तैयार हो गए, यह कहते हुए उन्होंने कहा कि विश्व में एक मात्र देश भारत ही रहा हे जिसने हमेशा राजधर्म का पालन किया हे।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में आए जनभागीदारी के अध्यक्ष एवं प्रदेश संयोजक (खेल प्रकोष्ठ,भाजपा) ने शिक्षा नीति को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह युग सबसे अच्छा युग चल रहा हे जिसमें देश के प्रधानमंत्री ने अपनी कई नीतियों के माध्यम से युवाओ को बड़े सुनहरे अवसर प्रदान किए हे और आज युवा विश्व में देश का नाम रोशन कर रहा हे एवं भारत में लागू हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा में एक नई क्रांति का आहवान किया हे और हर छात्र इस नीति का लाभ लेते हुए देश को विश्वगुरु बनाने की ओर अग्रसर हो। इसी क्रम में मध्यप्रदेश की नई शिक्षा नीति  2020 की प्रदेश क्रियान्वयन समिति के सदस्य एवं न्यास के प्रांत संयोजक धीरेन्द्र भदौरिया ने बताया कि यूपीए सरकार में जब अर्जुन सिंह थे तब बिना पाठ्यक्रम तय किए, बिना किसी नीति के सीधे लेखन कार्य किए गए जिसकी वजह से भारत की शिक्षा पद्धति में कई अनावश्यक चीजें जोड़ी गई और भारत के मूल ज्ञान और इतिहास को ध्वस्त करने का काम किया गया ।

इसी के साथ उन्होंने न्यास के विषय चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास विषय पर भी सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए तृतीय उपनिषद में समाहित  पंच कोशीय अवधारणा को विस्तार से रेखांकित किया एवं यह शिक्षा नीति का उद्देश्य स्थूल से सूक्ष्म की अनंत यात्रा, आनंद यात्रा तक पहुंचाने वाली नीति यह यह भारतीय शिक्षा नीति हे यह नीति भारतीयों को विचार, व्यवहार व सोच से भारतीय बनाने पर बल देती हे उक्त बात भी उन्होंने कही। न्यास के केंद्रीय प्रचार समिति सदस्य एवं प्रांत प्रचार प्रमुख अर्पित शर्मा ने बच्चों को बताया कि माँ, मातृभूमि, मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं होता, एक मातृभाषा जो हमारे क्षेत्र की बोली होती हे और दूसरी मातृभाषा जो हमें पूरे देश में एक दूसरे से जोड़े रखती हे, इसीलिए हमें दोनों ही भाषाओं पर गर्व करते हुए उसे प्रसारित करना चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए। न्यास के विभाग संयोजक राजकुमार वाजपेयी ने न्यास की विकास यात्रा पर संपूर्ण जानकारी रखी। महाविद्याल के प्राचार्य डॉ. ऋषिपाल सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए सभी छात्र -  छात्राओं को संगोष्ठी के विषय का महत्व समझाया और कहा कि संस्कार के बिना शिक्षा हमेशा अधूरी रह जाती हे और हमें हमारे देश की संस्कृति एवं परंपरा के बारे में सदैव ज्ञान और गर्व होना चाहिए। करीब 2 घंटे चली इस संगोष्ठी में जो ज्ञान की गंगा बही उसमें छात्र - छात्राओं ने आनंद की अनुभूति की। यह समस्त जानकारी न्यास के केंद्रीय प्रचार समिति सदस्य एवं प्रांत प्रचार प्रमुख अर्पित शर्मा ने दी।
इसी के साथ कार्यक्रम में न्यास के विभाग प्रचार प्रमुख अंकित शर्मा, भारतीय भाषा अभियान के प्रांत संयोजक महिपाल सिंह भदौरिया, कार्यक्रम सहसंयोजक डॉ. प्रदीप सिकरवार, शहर के साहित्यकार एवं शिक्षक मनिंद्र कौशिक, युवा समाजसेवी संघ के स्वयं सेवक अंकित शर्मा,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महाविद्याल अध्यक्ष एंदल सिंह उपस्थित रहे।

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