खांटी देवदुर्लभ कार्यकर्ता ने उड़ाई भाजपा की चिड़िया

ट्विटर पर निकला पूर्व मंत्री बिजेंद्र सिंह सिसौदिया का दर्द
गौरव चतुर्वेदी / खबर नेशन Khabar Nation

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिजेंद्र सिंह सिसौदिया का दर्द ट्विटर पर छलक पड़ा। गौरतलब है कि सिसौदिया भाजपा के देवदुर्लभ कार्यकर्ताओं में गिने जाते हैं। राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि यह दर्द सिर्फ सिसौदिया का है या भाजपा के उन असंख्य कार्यकर्ताओं का जो वर्तमान दौर में उपेक्षित चल रहे हैं ।सिसौदिया का यह दर्द कांग्रेस नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके समर्थकों को सशर्त तव्वजो दिए जाने को लेकर भी माना जा रहा है। पूरे मध्यप्रदेश में फैले सिंधिया समर्थकों का आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है।

सिसौदिया ने अपने दर्द से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा , केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल , राष्ट्रीय मंत्री भाजपा अरविंद मेनन , मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्यप्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा , मध्यप्रदेश भाजपा के प्रभारी पी मुरलीधर राव, और प्रदेश महामंत्री सुहास भगत प्रदेश सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा को अवगत कराया है । इस सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम संजय भाई जोशी का है।जो पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) भारतीय जनता पार्टी हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का कुछ समय पूर्व तक संजय जोशी से छत्तीस का आंकड़ा रहा है ।

बिजेंद्र सिंह सिसौदिया का छलका हुआ दर्द इस प्रकार है - हमारे घर में , बहुत अनजान चेहरे दिखाई देने लगे हैं ,कई ने हमारी बनाई दीवार पर , नेम प्लेट भी लगा दी मकान की नींव से छत तक बनाने में जिन्होंने जीवन लगा दिया,  वे चेहरे इस भीड़ में नहीं है, कुछ है , वे शक्ति, खुद को बचाने में लगा रहे हैं। हां आशा निराशा के भंवर में, अब कुछ आवाज सुनाई देने लगी है

बिजेंद्र सिंह सिसौदिया के ट्वीट पर आए हुए रिप्लाई के कुछ जवाब बड़े ही खुलासा करने वाले हैं

किशोर खंडेलवाल लिखते हैं - बहुत दर्द होता है भाई साहब गांव गांव, बस्ती बस्ती साइकिल पर भुना चना मुरमुरे लेकर निकलते थे आज हम गुमनाम हैं । परम पूज्य श्रद्धेय ठाकरे जी भी कई बार व्यथित होकर मुझसे कहते थे- किशोर यह राजनीति हमारे जैसे लोगों के लिए नहीं है ।अब तो तो सलाह मशविरे के लायक भी नहीं रहे हम।

अभिजीत बजाज लिखते हैं - वक्त का पासा है आज घूम गया बस बातों में श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल जी बातें बाकी समय तो गैरों को मनाने में लुट गया अपनो का क्या है जो साथ है वो तो गैरों के लिए छूट गया समय पर ना करी कद्र तो क्या करें ये वो वक्त है फिर बदलेगा

कुमार जीवन सिंह परिहार लिखते हैं - आधार स्तंभों को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए यह तो नींव के पत्थर है जिस पर महल आज खड़ा है ।

शुभम पुष्पद लिखते हैं - कांग्रेश से आयात किए ही हमेशा उम्मीदवार और पदाधिकारी रहेंगे तो दीनदयाल जी जिन की धड़कनों में हैं वे कहां जाएंगे

शिवराम सिंह रघुवंशी लिखते हैं - पहले ₹2 की रसीद से फिर ₹5 की रसीद से फिर मोबाइल से अब सीधे आओ और पद पाओ.... संगठन नहीं चला रहे हैं .....सत्ता चला रहे हैैं

राहुल सिसोदिया लिखते हैं - रात कितनी भी लंबी हो लेकिन सुबह को नहीं रोक सकती 

राजेश मांझी लिखते हैं - एकदम सही कहा आदरणीय आपने

अरुण राव लिखते हैं - समझने वाले समझ गए।

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