इस बार एक साल पहले हो रहा है हरिद्वार महाकुंभ

 

उत्तराखंड सरकार की परेशानी बढ़ा सकता है श्रद्धालुओं के लिए तीन डुबकी वाला आदेश 

इन तारीखों में होंगे चार शाही स्नान


छह पर्व स्नान की तारीखें भी
हरिद्वार से लौटकर कीर्ति राणा 
इंदौर। हरिद्वार की तरफ जाने वाले रास्तों पर चल रहे चौड़ीकरण और पुल निर्माण के कार्यों पर कड़कड़ाती ठंड और कोहरे का असर देखा जा सकता है।घाटों के विकास-सौंदर्यीकरण का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है।यूं तो मकर संक्रांति पर हर की पौड़ी पर स्नान के लिए जुटे हजारों श्रद्धालुओं की आमद से कुंभ का आगाज मान लिया गया है लेकिन छह सामान्य और चार शाही स्नान वाला हरिद्वार कुंभ 28 जनवरी से शुरु होगा और समापन 27 अप्रैल को बैसाख पूर्णिमा के स्नान से होगा। मकर संक्रांति के स्नान पर उमड़े श्रद्धालुओं के मॉस्क विहीन चेहरों पर आस्था की चमक देख कर लग रहा था कि इस पवित्र नगरी से कोरोना डर कर भाग गया है।
एक साल पहले हो रहा है हरिद्वार कुंभ 
भाजपा की उत्तराखंड सरकार को कुंभ संबंधी तमाम कार्य एक साल पहले करना पड़ रहे हैं।पिछला कुंभ 2010 में हुआ था, बारह वर्ष बाद यह कुंभ 2022 में होना था लेकिन साल 2022 में बृहस्पति कुंभ राशि में नहीं होंगे, यह योग इस साल बना होने से अभा अखाड़ा परिषद से हुई चर्चा पश्चात 11वें साल में महाकुंभ पर्व आयोजित करना पड़ा है। 
उत्तराखंड सरकार कोरोना गाइड लाइन की सख्ती को कुंभ मेले के दौरान भी लागू रखने पर आमादा है लेकिन देश-विदेश से जुटने वाले करोड़ों श्रद्धालु कितना पालन करेंगे यह उसे भी पता नहीं है।पुलिस प्रशासन ने कोरोना के चलते तय यह किया है कि हर की पौढ़ी सहित अन्य घाटों पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को तीन डुबकी लगाने के बाद घाट पर तैनात पुलिसकर्मी नदी से निकाल कर घाट से बाहर कर देंगे।अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद जी द्वारा निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर का पद स्वीकारने के बाद आयोजित उनके पट्टाभिषेक समारोह में शामिल विभिन्न अखाड़ों के संतों का मत था कि धार्मिक मान्यताओं के चलते यह आदेश सरकार के लिए सिरदर्द का कारण भी ना बन जाए।उनका मत था कि पवित्र नदियों में स्नान के लिए या तो एक डुबकी या पांच डुबकी लगाने की परंपरा है, ऐसे में तीन डुबकी के बाद स्नानार्थियों को बाहर करने संबंधी आदेश अनावश्यक विवाद का कारण भी बन सकता है।वैसे भी तेरह अखाड़ों के स्नान पश्चात जब विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं को स्नान के लिए प्रवेश दिया जाएगा तब पुलिस के लिए भी अपने इस आदेश का पालन कराना संभव नहीं हो सकेगा।

दूसरी बार अभा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बने महंत नरेंद्र गिरि, महामंत्री हरिगिरी 
कनखल (हरिद्वार) में बड़ा उदासीन अखाड़ा में महंत रघु मुनि की मौजूदगी में सम्पन्न हुए अभा अखाड़ा परिषद के चुनाव में दूसरी बार महंत नरेंद्र गिरी अध्यक्ष और महंत हरि गिरी महामंत्री मनोनीत किए गए हैं। 
इस प्रतिनिधि से चर्चा में अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने चल रहे निर्मण कार्यों को लेकर संतोष जाहिर किया। साथ ही कहा कि अखाड़ा परिषद भी तेरह अखाड़ों के प्रमुखों से अनुरोध करेगी कि वे शिविरों में ठहरने वाले श्रद्धालुओं से कोरोना गाइड लाइन के पालन का अनुरोध करें। कुंभ के दौरान होने वाले कथा-प्रवचन आदि समारोह में भी वक्ता कोरोना से सजगता की अपील करेंगे। 

हरीश रावत के साथ इस्केप चैनल भी बह गई
चार साल बाद हर की पौड़ी पर लौट आई गंगा  
उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार के रहते तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के वक्त 2016 में एक शासनादेश जारी किया था।इस आदेश में 'सर्वानंद घाट से श्मशान घाट खड़खड़ी तक, वहां से हरकी पौड़ी होते हुए डामकोठी तक और डामकोठी के बाद सतीघाट कनखल से होते हुए दक्ष मंदिर तक बहने वाले भाग को इस्केप चैनल माना जाता है.' यानी तत्कालीन उत्तराखंड सरकार ने हर की पौड़ी से पहले और हर की पौड़ी के बाद बहने वाली करीब 3 किलोमीटर गंगा नदी का नाम बदलकर 'इस्केप चैनल' कर दिया था।
भाजपा को मिले बहुमत के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत जब मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर 17 दिन बाद हरिद्वार आए तो उन्होंने ऐलान किया कर दिया था कि कांग्रेस की सरकार ने गंगा नदी का नाम बदलने का जो गलत काम किया था उसको उनकी सरकार तुरंत सुधारने का काम करेगी।2016 के आदेश को रद्द करने के कारण ही मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने इस्कैप चैनल के बदले गंगा में स्नान किया।
इन तारीखों में होंगे चार शाही स्नान
पहला शाही स्नान : महाशिवरात्रि 11 मार्च।
दूसरा शाही स्नान : सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल।तीसरा शाही स्नान : मेष संक्रांति 14 अप्रैल।
चौथा शाही स्नान : बैसाख पूर्णिमा 27 अप्रैल। 

छह पर्व स्नान की तारीखें 
पौष पूर्णिमा : 28 जनवरी।
मौनी अमावस्या : 11 फरवरी।
फाल्गुन संक्रांति : 12 फरवरी।
वसंत पंचमी : 16 फरवरी।
माघी पूर्णिमा : 27 फरवरी।
चैत्र संक्रांति : 14 मार्च।  .

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