हिरासत में युवक की मौत का दुख भी और टीआई के सस्पेंड होने का अफसोस भी
खबरनेशन/Khabarnation
इंदौर। गांधी नगर थाना में हिरासत में हुई युवक की मौत को पुलिस के सीनियर अफसरों ने संजीदगी से लिया लेकिन टीआई को तत्काल सस्पेंड किये जाने पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं क्षेत्र के रहवासी जो जनसंवाद के माध्यम से गांधी नगर टीआई नीता देअरवाल से जुड़े थे उनको हिरासत में युवक की मौत का बहुत दुख भी है लेकिन अपनी प्रिय थाना प्रभारी के निलंबन पर अफसोस भी है। मानना है कि सिस्टम ही कुछ ऐसा बना है कि जो असल दोषी रहते हैं वह बच जाते हैं,तत्काल सिर्फ टीआई का निलंबन ही क्यों किया गया,हालांकि बाद में समाज के लोगों द्वारा नामजद पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी जिनकी मारपीट से युवक की हालत खराब हुई और मौत हो गयी।गर्मी के दिनों में पुलिस को ज़्यादा सख्ती करना भारी पड़ा।फिर वैसे भी गांधीनगर थाना जिस भवन में चल रहा है वहां तो यूँ ही दम घुटता है।
टीआई के निलंबन पर सवाल
हिरासत में युवक की मौत पर एसएसपी रुचिवर्धन ने टीआई को तत्काल सस्पेंड इसलिए किया क्योंकि उनपर राजनीतिक दबाव बना दिया गया और बलाई समाज के अध्यक्ष मनोज परमार ने ऐसा डराया कि लोग सड़कों पर हिंसक हो सकते हैं। मनोज परमार की धमकी से पुलिस घबरा गई। फिर बताते हैं केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत,प्रदेश मंत्री लक्ष्मी साधौ, विधायक रघुनाथ यादव आदि नेताओं के दबाव से ही आला अफसरों ने कार्यवाही की। आचार संहिता के चलते नेता के फोन पर अगर सस्पेंड किया गया है तो सवाल उठना लाज़मी है।फिर युवक की मौत के बहाने आचार संहिता का अचार बनता रहा लेकिन पुलिस तमाशा देखती रही।भीड़ इकट्ठी होती रही और छुटभैये नेतागिरी कर हंगामा करते रहे और पुलिस मामले को शांत करने के बजाय लापरवाही करती रही। शुक्र है भीड़ हिंसक नहीं हुई,वरना हालात बिगड़ते देर नहीं लगते।कुल मिलाकर गांधी नगर थाना एपिसोड में पुलिस के बड़े अफसरों ने टीआई से लेकर पुलिसकर्मियों को निलंबित किया वह दबाव के कारण ही किया,इसमें अधिकारियों ने स्वेच्छा से कुछ नहीं किया।
टीआई के लिए रहवासियों की सहानुभूति
इतना सब कुछ होने के बाद भी घटना का एक दूसरा पहलू भी सामने आया। जिसमें लिंबोदी गारी, नैनोद,पालाखेड़ी,बांगड़दा और कई कॉलोनी के रहवासी जो जनसंवाद के माध्यम से गांधी नगर थाना से जुड़े थे उनको युवक की मौत का अफसोस तो है लेकिन उनकी टीआई के निलंबन पर उनके साथ भी सहानुभूति है।उनका मानना है टीआई मेडम दोषी नहीं हैं। वह तो क्षेत्र में लगातार पुलिसिंग कम्युनिटी के माध्यम से पुलिस की छवि बदल रहीं थी और मिलनसारिता से पेश आती थीं।
गौरतलब रहे पिछले दिनों टीआई नीता देअरवाल ने 100 युवाओं की 20 टीम रात्रि गश्त के लिए बनाई थी ताकि पुलिस और रहवासी दोस्तों जैसे रहें। और चोरी,लूट,डकैती जैसी वारदातों को रोकने के लिए पुलिस की मदद करें। पुलिस ने इन्हें व्हाट्सअप ग्रुप बनाकर भी जोड़ा,लोगों को सिटी बांटी ताकि रात को संदिग्ध या चोर दिखे तो सिटी बजाकर सतर्क कर दें।जिससे क्राइम रेट कम किया जा सके।कॉलोनियों के लोगों का भी मानना है कि पिछले महीने तो हमने टीआई मेडम का सम्मान किया था क्योंकि क्षेत्र में बढ़िया काम कर रहीं थी फिर ये हादसा कैसे हो गया।