मैं ऐसा किसान नहीं, जो किसान को मरने दूँ- "कमलनाथ"


अजीत लाड़ / खबर नेशन Khabar Nation
कांग्रेस से बागी हुए नारायण पटेल की वजह से रिक्त हुई मांधाता सीट पर उपचुनाव का शोर बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे मतदान की तिथि नज़दीक आ रहीं। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों द्वारा चुनावी प्रचार गति पकड़ रहा है। इसी कड़ी में आज कांग्रेस प्रत्याशी उत्तम पाल सिंह के पक्ष में चुनावी जनसभा को सम्बोधित करने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पुनासा पहुँचें। ग़ौरतलब हो कमलनाथ सभास्थल पहुँचने से पूर्व ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग गए। जहां उन्होंने महादेव की पूजा-आराधना की। उसके बाद जनसभा को सम्बोधित करते हुए कमलनाथ ने बागी हुए कांग्रेसी विधायकों को जमकर आड़े हाथ लिया। नारायण पटेल जो कांग्रेस छोड़ भाजपा से चुनाव मैदान में हैं, उनका तो नाम तक भुलाने की कोशिश की, लेकिन उनपर दग़ाबाज़ी का आरोप जमकर लगाया। 

 कमलनाथ ने जनसभा को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने जब संविधान लिखा, तो कभी नहीं सोचा होगा कि कोई जनप्रतिनिधि अपने हित के लिए इस्तीफा देगा। तभी तो बाबा साहेब ने संविधान में नियम बनाया था कि किसी चुने हुए जनप्रतिनिधि की मृत्यु पर ही उपचुनाव कराया जाएगा। लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि आज विधायक के बिकने से उपचुनाव होने लगें हैं। कमलनाथ ने अपनी सभा में उमड़े जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि 15 साल और 7 माह का हिसाब जनता उससे (शिवराज सिंह चौहान) मांगें, जो हमारे 15 माह का हिसाब मांगता है। 


किसानों के मुद्दे को उठाते हुए कमलनाथ ने कहा कि यह हमारे लिए ख़ुशी की बात है कि हमने मांधाता के किसानों का कर्जमाफी सत्ता में रहते हुए सबसे पहले करनी शुरू की और मैं आज तीसरी बार यहां उपस्थित होकर किसान भाइयों को यह विश्वास दिलाता हूं कि हमारी सरकार बनी तो मैं फ़िर कर्जमाफी करूँगा। मैं वह किसान नहीं जो किसानों को मरने के लिए छोड़ दूं। मैं कमलनाथ हूँ और मैं हमेशा किसानों के साथ खड़ा रहूंगा। इसके अलावा कमलनाथ ने कहा कि तीन तारीख़ के बाद न तो ये टैंट रहेंगे न ये चुनाव लेकिन रहेगा तो प्रदेश और मांधाता का युवा, जिसके लिए रोजगार और शिक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। कमलनाथ ने कहा कि हमने 15 महीने की सत्ता में युवाओं और किसानों की फ़िक्र की, क्या यही हमारी ग़लती थी? इस मुद्दे पर विचार मतदाताओं को करना होगा। 


वहीं शिवराज सिंह चौहान सरकार के कामकाज पर तीखे सुर में कमलनाथ ने वार किए। उन्होंने कहा कि मुझसे 15 माह का हिसाब मांगने वालों ने 15 वर्षों में जितने उद्योग स्थापित नहीं करवाएं, उससे अधिक तो बंद पड़ गए। क्या यही है विकास? क्या यही है एक मामा और किसान पुत्र का कर्तव्य? इतना ही नहीं कमलनाथ ने कहा कि बीते 15 सालों में नौजवानों का जीवन अंधकार में चल गया है और सूबे में सिर्फ़ शराब की फैक्टरियां लगी। मामा के राज में भांजियों पर अत्याचार बढ़ें क्या इसे ही शिवराज विकास कहते हैं? यही विकास है तो इसे जनता को स्वीकार नहीं, तभी तो इन्हें सत्ता से बाहर किया, लेकिन बिकाऊ लोगों की वजह से इन्होंने सत्ता पुनः हथिया ली। अब जनता को सभी का हिसाब लेना होगा और बिकाऊ नेताओ को उनकी जगह बतानी होगी।

  कमलनाथ ने यह भी कहा कि मैंने पिछड़ी जाति को 27 फीसदी आरक्षण देकर क्या गुनाह किया? मैं जानता हूँ मछुआरे को क्या देना है। मांधाता की क्या प्राथमिकता है। इसके अलावा उन्होंने इमारती देवी को आइटम कहने वाले विषय पर भी अपने विचार रखें और कहा कि आज भी मंच पर आयटम नंबर दो राजनारायण और नंबर तीन आयटम अजय सिंह है। ऐसे में कोई बेवज़ह मौन पर बैठ गया तो वह उसका विषय है क्योंकि उसके पास कुछ कहने और करने को नहीं, इसलिए बेवज़ह बतंगड़ खड़ा कर रहा है।

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