पांच हजार सफाईकर्मी रोज उठाते हैं 650 टन कचरा... न दस्ताने हैं न जूते

खबर नेशन / Khabar Nation

आयोग ने कहा - कमिश्नर, नगर निगम भोपाल बतायें - ऐसा क्यूं ?
भोपाल शहर को साफ-सुथरा रखने और घरों से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्ट करने में पांच हजार सफाई कर्मचारी रोजाना सड़कों पर होते हैं, लेकिन ज्यादातर के पास न तो जूते हैं और न ही दस्ताने। बारिश से बचने के लिये रैनकोट तक नहीं हैं। भारी बारिश के दौरान ये कर्मचारी भीगते हुये घरों से कचरा कलेक्ट करते हैं। वहीं देश के सबसे साफ शहर इंदौर में सफाईकर्मियों के पास लगभग सभी जरूरी उपकरण मौजूद हैं। हालांकि नगर निगम प्रशासन का तर्क है कि सफाई कर्मचारियों के लिये शूज किट की राशि वेतन में जोड़ दी गई है। गमबूट भी दिये गये हैं और रैनकोट को पिछले साल दिया है। अब सवाल यह है कि इतना सामान देने के बाद भी यदि सफाईकर्मी गमबूट और दस्ताने पहने बिना ही साफ-सफाई के काम में जुटे हैं, तो फिर इसकी माॅनिटरिंग की जिम्मेदारी किसकी है ? इस मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने आयुक्त, नगर निगम, भोपाल से एक माह में जवाब मांगकर पूछा है कि ऐसा क्यूं हो रहा है ?

 
बिना जुर्म किये दो माह से जेल में बंद पीड़ित को दो लाख रूपये दो माह में अदा करें आयोग ने की अनुशंसा

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने बिना जुर्म किये पुलिस द्वारा दो माह तक पीड़ित को जेल में बंद रखने के एक मामले में अहम अनुशंसा की है। आयोग ने पीड़ित को दो लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि दो माह में अदा करने की अनुशंसा राज्य शासन को की है। मामला रायसेन जिले का है।
आयोग के प्रकरण क्र. 8426/रायसेन/2021 के अनुसार 28 सितम्बर 2021 को थाना सुल्तानपुर, जिला रायसेन में पदस्थ उपनिरीक्षक दीपक वर्मा द्वारा संतोष पुत्र केशू भील को गुजरात से बिना किसी अपराध के सुल्तानपुर लाया गया और पीड़ित को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया गया। उसके खिलाफ थाना सुल्तानपुर में कोई अपराध पंजीबद्ध नहीं था। उसे गिरफ्तार कर जेल भेजने की जानकारी उसके परिजनों को भी नहीं दी गई और अनुचित रूपयों की मांग भी की गई। पुलिस अधीक्षक, रायसेन द्वारा मामले की जांच कराई गयी। जांच में यह पाया गया कि थाना सुल्तानपुर में पंजीबद्ध अपराध किसी अन्य आरोपी सुनील भील के विरूद्ध था। पीड़ित संतोष भील को अनावश्यक रूप से पुलिस द्वारा बिना किसी अपराध के गिरफ्तार कर जेल भेजने के कारण उसे दो माह तक बिना कोई जुर्म किये गोहरगंज जेल अभिरक्षा मे रहना पड़ा। आयोग ने राज्य शासन को की गई अनुशंसा में कहा है कि थाना सुल्तानपुर के अपराध क्रमांक 291/17 में अनुसंधान अधिकारी शिकायतकर्ता/पीड़ित संतोष पिता केशु भील को बिना किसी आधार के गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भिजवाने और करीब 50 दिवस की अभिरक्षा में रखने के बाद ही उसे जेल से रिहा करने के कारण राज्य शासन संतोष पिता केशु भील को दो लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि दो माह में अदा करे। राज्य शासन चाहे, तो पीड़ित को अदा की गई क्षतिपूर्ति राशि संबंधित लोकसेवकों से वसूल कर सकता है। 

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