नेहरू-लियाकत समझौते का परिष्कृत रूप है नागरिकता संशोधन कानूनः योगी आदित्यनाथ

 

 

 खबर नेशन / Khabar Nation 

 

                ग्वालियर। नागरिकता संशोधन कानून किसी की नागरिकता को छीनने का नहीं, बल्कि नागरिकता देने का कानून है। यह किसी धर्म, भाषा, जाति या क्षेत्र के खिलाफ नहीं है, बल्कि 1950 में हुए नेहरू-लियाकत समझौते का ही परिष्कृत रूप है। यह बात उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीएए के प्रति जनजागरण को लेकर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून पर कांग्रेस और विपक्ष भ्रम फैलाकर लोगों को आगजनी, तोड़फोड़ के लिए उकसाकर अराजकता फैला रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने ग्वालियर में स्व. विजयाराजे सिंधिया के देश के प्रति योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि उनका जीवन समाज और देश के लिए समर्पित था।

 

संविधान को रौंदने वाली कांग्रेस कर रही संविधान बचाने की बात

 

                ग्वालियर के जीवाईएमसी मैदान में लोगों को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने देश-दुनिया में इस कानून का गलत प्रचार किया। ऐसा लोकसभा चुनाव के पहले भी कांग्रेस ने किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेर दिया और इससे साबित हो गया कि सभी प्रचार फर्जी था। अब कांग्रेस संविधान बचाने की बात कर रही है।  यह वही कांग्रेस है, जिसने आपातकाल के नाम  पर संविधान को रौंदा था और अब उसे बचाने की बात कर रही है। कांग्रेस और उनके सहयोगियों के शासित राज्य नागरिकता कानून को लागू नहीं करने की बात कर रहे हैं, लेकिन यह क्या संविधान को चुनौती देना नहीं है? ऐसा लगता है कि कांग्रेस एक बार फिर से 1975 की भूमिका में आ गई है।

 

भारत ने माना समझौता, पाक ने नहीं

 

                योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1946 में देश में राष्ट्रीय असेंबली के चुनाव हुए। डॉ. भीमराव अंबेडकर मुंबई से चुनाव में खड़े हुए, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने पराजित करा दिया। तब कोलकाता से जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अपनी सीट रिक्त करके अंबेडकर को राष्ट्रीय असेंबली में भिजवाया था। जब विभाजन हुआ तो यही मंडल पाकिस्तान के कानून मंत्री बने और अंबेडकर भारत के तथा उन्होंने देश का संविधान बनाया। विभाजन के बाद पाकिस्तान में दलितों, हिंदुओं सिक्खों पर अत्याचार हुए। उसी समय मंडल को पाकिस्तान छोड़ना पड़ा और उन्हें पूरी जिंदगी कोलकाता में शरणार्थी की तरह बितानी पड़ी। भारत ने तो नेहरू-लियाकत समझौते का पालन किया और किसी अल्पसंख्यक को परेशान नहीं किया, लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदूओं की आबादी कम होती गई। इससे लगता है कि देश को एक नागरिकता कानून की जरूरत है।

 

शरणार्थियों-घुसपैठियों में अंतर नहीं कर पा रही कांग्रेस

 

                योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि पाकिस्तान में जितने अल्पसंख्यक हैं, उनके लिए भारत के रास्ते खुले हुए हैं। इसीलिए 1955 में नागरिकता कानून बना, जिसे संशोधित करके सीएए के रूप में लागू किया गया है। अब कांग्रेस शरणार्थी और घुसपैठियों में अंतर नहीं कर पा रही है। देश में जितनी भी आंतकी घटनाएं हुई हैं, वे सब घुसपैठियों ने की है। कांग्रेस सहित विपक्षी दल आंतकी घुसपैठ, अलगाववाद, नक्सलवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, इसे लोगों को समझाने की जरूरत है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जितनी भी योजनाएं शुरू की, उसका फायदा किसी जाति या धर्म के लोगों को नहीं, बल्कि देश के लोगों को हुआ है। ऐसे में लोग कैसे उन पर भेदभाव का आरोप लगा सकते हैं।

 

झूठ का सहारा लेकर हिंसा फैला रहे वामपंथी

 

                उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली की जेएनयू में झूठ का सहारा लेकर वामपंथियों ने हिंसक माहौल बनाया, लेकिन दिल्ली पुलिस ने साजिश का खुलासा कर दिया और बताया कि परीक्षा प्रक्रिया को बाधित करने के लिए कैंपस में हिस्सा रची गई। अब समय आ गया है कि जन जागरण के माध्यम से देश के लोगों को इस स्थिति के बारे में बताया जाए। इससे विपक्ष का भ्रम भी दूर होगा। देश को बदनाम करने और अंतिम सांसें ले रहे आतंकवाद, अलगवाद को जो आक्सीजन मिल रही है, इसे रोकना होगा। उन्होंने कहा कि देश का कोई भी नागरिक इस पर मौन नहीं रह सकता, क्योंकि यह सभी का दायित्व है। यदि संविधान अधिकार देता है तो लोगों को अपने दायित्व भी निभाने चाहिए।

 

अब माफी मांग रहे तोड़फोड़ के आरोपी

 

                योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राम मंदिर पर फैसले के समय विपक्ष ने कहा था कि राम मंदिर निर्णय आने पर उप्र में खून की नदियां बह जाएंगी, लेकिन हमने शांति बनाए रखी। वहीं,  सीएए पर कांग्रेस ने हिंसक माहौल बना दिया, लेकिन हमने तय किया कि जो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा, उसका पैसा संबंधित आरोपी से वसूल किया जाएगा। अब वहां धरना-प्रदर्शन और तोड़फोड़ नहीं हो रही है, बल्कि आरोपी लोग माफी मांग रहे हैं। ऐसे लोगों की वास्तविकता सामने आनी चाहिए और इसके लिए हमारी सरकार ने आरोपियों के पोस्टर शहरों में लगाए हैं।

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