या तो मोदी सरकार में दम नहीं.....या प्रभात झा सरकार के तुम नहीं ?


इच्छा मृत्यु कामना की नौंवी बरसी....!


खबर नेशन /Khabar Nation

 


आज संयोग से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा की इच्छा मृत्यु कामना की नौंवी बरसी है । आज केन्द्र में भी भाजपा की सरकार है और मध्यप्रदेश में भी भाजपा सरकार है । क्या वह कामना प्रभात झा फिर दिखा सकते हैं ?
वर्ष 2011 में भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद  प्रभात झा ने मंहगाई के खिलाफ ध्यानाकर्षण के निराले प्रयास में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से उन्हें ‘इच्छा-मृत्यु‘ की अनुमति प्रदान करने की याचना की थी। झा ने याचना करते हुए कहा था कि सांसद होने के नाते उनमें आम जनता को महंगाई की मार खाते देखने की और शक्ति नहीं बची है।

पार्टी के राष्ट्रीय मुखपत्र ‘कमल संदेश’ के प्रधान सम्पादक श्री झा ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा था , ‘‘मैं संसद के उच्च सदन का सदस्य हूं। आम आदमी की तरह मुझे महंगाई से तो तकलीफ नहीं हो रही है पर राज्यसभा में बैठकर अगर मैं भारत के 100 करोड़ से अधिक लोगों की जिंदगी की चिंता ना करूं तो मेरा सदन में बैठना निरर्थक है।”

इच्छा-मृत्यु के अपने निर्णय से स्वयं के परिवार और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अवगत करा चुकने की जानकारी देते हुए उन्होंने राष्ट्रपति से कहा, ‘‘आपसे विनम्र निवेदन कर रहा हूं कि कांग्रेस-नीत संप्रग सरकार की ओर से महंगाई को मौत का पर्याय बनाने पर विराम लगाने के लिए मुझे यथाशीघ्र इच्छा-मृत्यु की अनुमति प्रदान करें।”

मीडिया में प्रसारित अपने इस पत्र में उन्होंने यह दावा भी किया था , ‘‘मेरा यह पत्र प्रसिद्धि पाने के लिए नहीं है, बल्कि यह मेरी वेदना का प्रकटीकरण है। मैं जो कुछ लिख रहा हूं वह ना भावनात्मक है ना प्रचार पाने लिए।”

झा ने राष्ट्रपति को लिखे अपने इस पत्र की प्रतियां उच्चतम न्यायायल के मुख्य न्ययाधीश, भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और संसद के दोनों सदनों के विपक्ष के नेताओं को भी प्रेषित की थी ।
आज पेट्रोलियम पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं । आम जनता पर मंहगाई की मार ना पड़े इसलिए पूर्ववर्ती सरकारें डीजल के दामों को किसी भी हालत में बढ़ने नहीं देती थी । भारत के इतिहास में पहली बार डीजल के दाम पेट्रोल को पार कर गये । आर्थिक विशेषज्ञ इसे भाजपा सरकार का गलत कदम बता रहे हैं । सरकार में बैठे हुए लोग विपक्ष में रहने के दौरान प्रतीकात्मक विरोध करते हुए सायकल, बैलगाड़ी पर चला करते थे । रसोई गैस का सिलेंडर धरने में सबसे आगे रखा करते थे । प्रभात झा ने एक कदम आगे बढ़कर इच्छा मृत्यु की मांग कर डाली थी । अगर उस समय मंहगाई का विरोध जायज था तो आज इस मुद्दे पर पूरी भाजपा बचाव की मुद्रा में क्यूं है ? क्या एक बार फिर प्रभात झा को अपनी ही सरकार से मंहगाई पर नियंत्रण या महामहिम राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग नहीं करना चाहिए ।
हालांकि झा अब राज्यसभा सदस्य नहीं हैं लेकिन भारत देश के आम नागरिक तो हैं । फिर वे क्यूं नहीं इक बार इस मुद्दे पर पूर्व की तरह मुखर होते हैं ।

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