क्या अस्पतालों में सेवा भाव बचा भी है या नहीं

एक विचार Jun 30, 2019

खबर नेशन/Khabar Nation  

अब तो यह एक पुराने जमाने की बात हो गई है कि अस्पताल लोगों की सेवा करने के लिये बने हैं, बनाये गये हैं या बनाये जाते है। अब तो हम सब को यह बात बहुत ही अच्छे से पता है कि अस्पताल किसी भी मरीज का इलाज करने के लिये कम और एक तरह से लूटने के लिये ज्यादा बनाये जाते हैं। जिस तरह से अस्पतालों के स्तर में भारी गिरावट आ गई है वही हाल डाक्टरों का भी हो गया है। पुराने जमाने में फैमिली डाक्टर नाम की एक चीज हुआ करती थी। यह फैमिली डाक्टर अपने जानने वाले परिवार के हर सदस्य को नाम से जानता था और उन की बीमारियों से भी वाकिफ था। पर आज कल इस तरह के फैमिली डाक्टर जैसे गायब ही हो गये हैं। यह सब मैं इसलिये लिख रहा हूं क्यूंकि अभी हाल ही मंे मैं बीमार हो गया था और मुझे कुछ समय जबरदस्ती एक अस्पताल मंेबिताना पड गया था। यहां पर मुझ को यह बताने में जरा भी झिझक नहीं है कि मैं अपनी ही गल्ती से बीमार हो गया था। 

हुआ ऐसा कि मैने दो तीन दिन तक ठीक से खाना नहीं खाया जिस के कारण एक रात को नौ बजे करीब मैं बेहोष हो गया। इस बेहोशी की हालत में ही मुझ को जैसे तैसे एक अस्पताल मंे भतींे करा दिया गया और यहां पर मुझे कुछ दिन रहना पड गया। अब तो कोई भी अस्पताल मरीजों कीे सेवा कम और उन से पैसे लूटने के लिये ज्यादा बना है। किसी भी अस्पताल को बनाने का आज कल एक ही मकसद होता है। और यह मकसद तो सब का पता ही होता है। 

जिस भी डाकटर ने वो अस्पताल बनाया है उस को जल्द से जल्द करोडपति बना देना।मैने अपनी आंखों से देखा है कि एक बीमार औरत का एक अस्पताल में केवल 15 दिनों में करीब एक लाख रूपये की दवाई दी गई और उस के बाद उस की मौत हो गई। आज कल जब एक मरीज किसी अस्पताल में लाया जाता है तो  डाक्टर को उस के इलाज की कम और इस बात की ज्यादा चिंता होती है कि उस से कितने पैसे बनाये जा सकते हैं।

 
हर बार की तरह आज का समापन भी एक अच्छे शेयर के साथ

दुश्मनों से मोहब्ब्त होने लगी है मुझे

जैसे जैसे दोस्तों को आजमाता जा रहा हूं मै।

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