मध्यप्रदेश विधान सभा समीक्षा

एक विचार Jan 18, 2020


रमेश ठाकुर

लोक सभा एवं राज्य सभा द्वारा पारित संविधान में एक सौ छब्बीसवें संशोधन विधेयक 2019 से संबंधित संकल्प को राज्य विधान सभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के आज अंतिम दिन सर्वसम्मति से स्वीकृति दे दी गई। 

प्रमुख विपक्षी दल भाजपा की ओर से सदन में इस बात पर आपत्ति व्यक्ति की गई कि केन्द्र द्वारा भेजे गये संशोधन विधेयक से संबंधित प्रस्ताव को सदन में मंजूरी के लिए सशर्त प्रस्तुत किया है। इस प्रस्ताव में जोड़ी गई शर्त को हटा कर उसे यथावत प्रस्तुत करना चाहिए। 

उल्लेखनीय है कि संविधान में संसद और राज्यों की विधान सभाओं में एग्लोइंडियन . आंग्ल भारतीय समुदाय . के व्यक्तियों के मनोनयन का प्रावधान है। केन्द्र सरकार इस प्रावधान को अब आगे जारी नहीं रखना चाहती है। 

लेकिन राज्य सरकार प्रावधान को जारी रखना चाहती है। इस लिए केन्द्र के प्रस्ताव में अपनी ओर से यह संषोधन भी राज्य सरकार ने जोड़ा दिया है। 

संसदीय कार्यमंत्री गोविन्द सिंह ने कहा कि आंग्ल भारतीय समुदाय के व्यक्ति को राज्य विधान सभा में मनोनीत किए जाने संबंधी प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा गया हैए पर वे उसे स्वीकृति नहीं दे रहे हैं।
 
केन्द्र सरकार के प्रस्ताव में राज्य सरकार द्वारा किये गये परिवर्तन के खिलाफ विपक्ष द्वारा उठाई गई आपत्ति पर सदन में काफी देर तक शोर.शराबा हुआ। 

सदन की कार्यवाही जब प्रारंभ हुई उस समय भी विपक्ष की ओर से किसानों और अतिथि विद्वानों से संबंधित मामलों को लेकर शोर.शराबा किया गया।

 
भाजपा के वरिष्ठ सदस्य नरोत्तम मिश्रा का कहना था कि उनके विधान सभा क्षेत्र में ओले गिरने से किसानों का काफी नुकसान हुआ है। 

सरकार किसानों से धान की खरीदी भी नहीं कर रही है और न ही उन्हें धान का पैसा दिया जा रहा है। 

इस पर संसदीय कार्य मंत्री गोविन्द सिंह ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में कलेक्टर को कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। 

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने भी कहा कि आवश्यक कार्यवाही की जाएगी और धान खरीदी के लिए नये केन्द्र भी खोले जाएंगे। 

किसानों को उनका पैसा 5 दिन में नहीं दिए जाने पर संबंधित केन्द्रों के खिलाफ कार्यवाही भी की जाएगी। 

शो.षशराबे के बीच नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने अतिथि शिक्षकों और अतिथि विद्वानों के आंदोलन का मुद्दा उठाया। 

उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि किसी भी अतिथि शिक्षक या अतिथि विद्वान को सेवा से बाहर नहीं किया जाएगा। लेकिन उसके लिए जो प्रक्रिया है, उसका पालन तो किया जाएगा। 

मंत्री द्वारा दिए गए जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने बाद में सदन से बहिर्गमन किया। 

लोक सेवा आयोग की हाल ही की परीक्षा में आदिवासी समुदाय से संबंधित पूछे गये प्रश्न को लेकर भी सदन में भारी शोर.शराबा हुआ। 

बहिर्गमन से लौट कर भाजपा सदस्यों ने केन्द्र द्वारा भेजे गए संशोधन विधेयक से संबंधित संकल्प पर प्रारंभ हुई चर्चा में भाग लिया। 

भाजपा की ओर से पूर्व विधान सभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा और कांग्रेस की ओर से कांतिलाल भूरिया ने चर्चा की शुरूआत की। 

इनके साथ ही कांग्रेस के कुणाल चौधरीए अशोक मर्सकोले और भाजपा के श्री राम दांगोरेए हरिशंकर खटीकए देवेन्द्र वर्मा आदि ने भी चर्चा के दौरान अपना पक्ष सदन में रखा। 

चर्चा समाप्त होने पर सदन में प्रस्तुत संकल्प को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। 

संकल्प पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। 

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