माॅचागोरा बाँध में पानी पर तैरते सोलर प्लाॅट से बिजली पैदा करे, मध्यप्रदेश सरकार- एड. आराधना भार्गव

एक विचार Jul 22, 2020

छिन्दवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले के चैरई ब्लाॅक में, माॅचागोरा नामक बाँध बनाया गया है, जिसमें छिन्दवाड़ा जिले के चैरई, छिन्दवाड़ा तथा अमरवाड़ा ब्लाॅक के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। माॅचागोरा बाँध जिस जगह पर बनाया गया है, वह छिन्दवाड़ा जिले की सबसे उपजाऊ एवं सिंचिंत भूमि थी। माॅचागोरा बाँध में जिले के 31 गाँव प्रभावित है, जिसमें से धनौरा, बारह, भुतेरा, भूला, चंदिया, खैरी लद्दू पूर्णतः जलमग्न हो चुके है। सरकार द्वारा जो मुआवजे की राषि दी गई है वह इतनी कम है कि ज्यादातर किसान खेती योग्य भूमि खरीदने में असमर्थ रहे, वे किसान से खेतिहर मजदूर बन गए। पुनर्वास स्थल पर सुविधाओं का आभाव होने के कारण रोजगार के अवसर भी समाप्त हो चुके है। खेती तथा घर पूर्णतः जलमग्न होने के कारण तथा सरकार द्वारा रोजगार उपलब्ध ना कराने के कारण गांव को नवजवान डिप्रेषन में जा रहा है। पुनर्वास स्थल पर रोजगार गैरंटी योजना के अन्तर्गत कोई काम शुरू नही किया जा रहा है। मेरे बताने का आशय विस्थापन से किस तरह परिवार विनाश कि ओर जाता है यह दर्द और पीड़ा माॅचागोरा बाँध के विस्थापित किसानों से अच्छा कौन जान सकता है ? छिन्दवाड़ा जिले की सबसे उपजाऊ एवं सिंचित भूमि पर बाँध इसलिये बनाया गया कि अडानी पेंच पाॅवर प्रोजेक्ट को पानी उपलब्ध कराया जा सके। बाँध बनने के पूर्व ही बाँध का पानी अडानी को बेच दिया गया। छिन्दवाड़ा जिले के ग्राम चैसरा में, अडानी द्वारा थर्मल पाॅवर बनाने के लिये मध्यप्रदेष विद्युत मण्डल ने 2010 में ग्राम चैसरा, डागावानी पिपरिया, थाॅवरीटेका, हीवरखेड़ी धनौरा, पिण्डरई सराफ, खामी हीरा की जमीन 13 लाख रूपये एकड़ से बेच दी। मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल ने 25/11/1988 को पारित आवार्ड से उक्त जमीन अधिग्रहित की, अधिग्रहित जमीन को बेचने का अधिकार मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल को नही था। मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल थर्मल पाॅवर बनाने में असमर्थ रहा, तो उसे किसानों की जमीने किसानों को वापस करनी थी। वर्तमान में माॅचागोरा बाँध का पानी अधिग्रहित भूमि के करीब पहुँच चुका है और पानी उपलब्ध होने के कारण जमीन पर किसान  चार फसलें पैदा करके प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर हजारो बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करा सकता है। अडानी द्वारा थर्मल पाॅवर बनाने पर प्लाॅंट के 20 किलोमीट के दायरे में कोई खेती नही होगी। जो किसान माॅचागोरा बाँध के पानी का उपयोग करके 4 फसलें पैदा कर रहे है, वहाँ एक भी दाना फसल का पैदा नही होगा। थर्मल पाॅवर का पानी वापस बाँध में जाने पर बाँध में पल रही मछलीयाँ मर जायेगी। दूषित पानी पशु तथा मानव जीवन को भी संकट में डालेगा। थर्मल पाॅवर के लिये कोयला चाहिए छिन्दवाड़ा जिले का कोयला भी प्लाॅट में उपयोग किया जायेगा पिण्डरई सराफ तथा खामी हीरा में घना जंगल है जहाँ से कोयला निकाला जायेगा। जंगल तथा खेती योग्य जमीनों का फिर अधिग्रहण होगा। कोयला एवं सीमेन्ट परिवाहन के लिए रेल की पटरियाँ डाली जायेगी जिसमें किसानों की जमीनें अधिग्रहित की जायेगी, और थर्मल पाॅवर से निकलने वाली राख से सीमेंट बनाई जायेगी। सीमेन्ट उद्यौग तथा उसमें काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के रहने लिए फिर किसानों की जमीन अधिग्रहित की जायेगी। थर्मल पाॅवर से कार्बन का उत्सर्जन भी बहुत अधिक तादात में होगा, जो मानव एवं पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव डालेगा। ग्राम हीवरखेड़ी की भूमि जिसका खसरा नम्बर 328, 353, 436, 465, 479/1, 479/2, 497, रकबा 1.902 है। उसी प्रकार मद रास्ता एवं पानी के नीचे खसरा नं. 277, 279, 280, 320, 325, 394, 396, 397, 398, 399, 400/1, 400/2, 400/4, 417, 423/2, 425/1, 425/2, 432, 434, 437, 438, 445, 449/1, 490, 510/1, 510/2, में रकबा 13.084 है, घास में दर्ज है। सम्पूर्ण जमीन अडानी के नाम पर कर दी गई है। ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं को चराने के लिये चरनोही की जगह नही बची है। अगर सरकार को गौ रक्षा करनी है तो अडानी द्वारा गैर कानूनी तरीके से घांस तथा सार्वजनिक उपयोग की जमीनें वापस कर पशु चारागाह के रूप में उपयोग में लाना गांव तथा गौवंश के हित में होगा। जिस तरीके से ओंकारेश्वर बाँध में, मध्यप्रदेश सरकार पानी पर तैरते सौलर प्लाॅट से बिजली पैदा कर रही है उसी तर्ज पर माॅचागोरा बाँध मंे सोलर प्लांट लगाने से छिन्दवाड़ा जिले की अडानी पाॅवर प्लांट  के कब्जे की उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण रोका जा सकता है। सोलर प्लाॅट से बिजली बनने पर जमीनों का अधिग्रहण नही होगा। तथा पर्यावरण प्रदूषण से भी छिन्दवा़ड़ा जिला मुक्त होगा। पानी पर तैरते सौलर प्लाॅट से बिजली बनने पर न तो किसान की जमीन अधिग्रहित होगी, ना उनके लिए पुनर्वास की आवश्यकता पड़ेगी। माॅचागोरा बाँध से प्रभावित परिवार के पढ़े लिखे नवजवानों को रोजगार भी मिलेगा तथा माॅचागोरा बाँध के पानी में थर्मल पाॅवर का प्रदूषित पानी नही पहुँचेगा। तैरते सौलर प्लांट की देखरेख के लिए नाव द्वारा सुरक्षा हो सकेगी। अतः इसमें भी छिन्दवाड़ा जिले के 28 हजार मछुआरों को रोजगार मिलेगा।  इसके विपरीत अडानी थर्मल पावर प्लांट डालने पर 750 लोगों को ही रोजगार दे पायेगा। थर्मल पाॅवर की योग्यता ना रख पाने के कारण छिन्दवाड़ा जिले के नवजवानों को रोजगार मिलने का तो सवाल ही पैदा नही होता। माॅचागोरा बाँध में पानी पर तैरते सौलर प्लाॅट से  बिजली बनाने की सरकार तैयारी करे, तथा भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के धारा 24 (2) के मुताबिक गैर कानूनी तरीके से अदानी पेंच पावर प्रोजेक्ट के नाम पर हड़पी जमीन किसानों को वापस की जाए ताकि क्षेत्र के किसान पानी तथा बिजली का उपयोग करके प्रदेश को जैविक दूध, फल, सब्जी तथा अनाज का उत्पादन कर देश के विकास के पहिये को आगे बढ़ायें।  

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