जीवों के प्रति संवेदना के लिए जैन सहित अजैन ने आयंबिल तप कर किया एक दिन का रसत्याग

 

- तिलकनगर श्रीसंघ के तत्वाधान में हुए आयोजन में जुटे शहरभर के श्रीसंघ, लोगों ने कतार में लग किया अपनी बारी का इंतजार 
- पहली बार आयंबिल का तप करने वाले भी दिखे खुश, पन्यास प्रवर राजरत्नविजयजी के पास पहुंचकर बोले- बहुत अच्छा लगा आयंबिल करके

इंदौर (12 अगस्त 19)। तिलकनगर स्थित श्री तिलकेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर पर पन्यास प्रवर राजरत्नविजयजी महाराज ठाणा-5 व साध्वी निर्मलगुणाश्रीजी ठाणा-5 की निश्रा में चातुर्मास हो रहा है। तिलकरनगर श्रीसंघ के तत्वावधान में सोमवार को विश्व के अबोले जीवों के प्रति संवेदना के उद्देश्य से भव्य सामूहिक आयंबिल (रसत्याग) तप आराधना का आयोजन रेसकोर्स रोड स्थित बॉस्केटबॉल परिसर में हुआ। इसमें शहरभर के श्रीसंघों से हजारों की संख्या में समाजजन पहुंचे और आयंबिल कर जीवों के प्रति संवेदना रखते हुए रसत्याग किया यानि केवल उबला हुआ भोजन ग्रहण कर जीवों की शांति के लिए सामूहिक तौर पर नमस्कार महामंत्र का जप कर प्रार्थना की। जीवों के प्रति संवेदना के उद्देश्य से हुए इस आयोजन में बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग जुटे और कतार में लग अपनी बारी का इंतजार किया। वहीं इस आयोजन में शहरभर के श्रीसंघों ने व्यवस्थाओं में अपना सहयोग प्रदान किया। तो श्रीसंघ द्वारा निर्धारित आराधना करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का लक्ष्य संख्या से आकड़ा भी ज्यादा रहा। 
आयंबिल तप आराधना की शुरुआत बॉस्केटबॉल परिसर में सुबह 10 बजे से हुई। यहां तीन अलग-अलग हॉल में तप आराधना करने वाल श्रावक-श्राविकाओं के लिए व्सवस्था की गई थी। सभी को दिए गए नि:शुल्क पास के बाद उन्हें प्रवेश दिया गया। इसके बाद सभी को सैकड़ों की संख्या में लगी कार्यकर्ताओं ने आयंबिल तप कराया। आयंबिल तप यानि उबला हुआ भोजन जिसमें केवल अनाज होता और वो भी बिना मिर्च-मसाले का। आयंबिल शुरु करने के पहले आरधकों ने अबोल जीव की शांति के लिए 12 नवकार का जाप भी किया। वहीं बीच-बीच में स्वयं महाराजश्री भी आराधना स्थल पहुंचे और जीवों के प्रति संवेदना हेतु प्रार्थना की। वहीं जीवन में पहली बार आयंबिल तप करने वाले भी काफी खुश दिखाई दिए। तप करने के बाद वे महाराजश्री के पास पहुंचे और उनसे बोले कि तप करने बाद उन्हें मन से खुशी हो रही है। जिस पर महाराजश्री ने उनकी अनुमोदना की। 
ट्रस्ट के देवेंद्र झवेरी ने बताया कि आयंबिल तप के लिए श्रीसंघ ने 2000 की संख्या निर्धारित की थी। लेकिन समाजजन में उत्साह ऐसा रहा कि यह आंकड़ा दो हजार से पार पहुंच गया। इसमें बड़ी संख्या में अजैन समाज के लोगों ने भी सामूहिक आयंबिल तप किया और श्रीसंघ द्वारा जीव दया के उद्देश्य से किए गए इस आयोजन को लेकर श्रीसंघ की अनुमोदना की। सामूहिक आयंबिल तप आराधना में 8 साल से लेकर 80 साल तक बुजुर्ग भी शामिल थे। आयोजन के लिए लोगों का अच्छा प्रतिसाद मिला। क्योंकि इंदौर में पहली बार सामूहिक रूप से इस स्तर का आयंबिल तप आयोजित किया गया था और उसे करने के लिए लोगों ने कतार में लग अपनी बारी का इंतजार किया। आयोजन में लभार्थी मुकेश मनोज पोरवाल और पारस निशांत कोठारी परिवार रहे। वहीं प्रभावना के लाभार्थी राजकुमारी विनोद कोठारी परिवार रहे। 
आपको जीवन में मार्ग दिखाने के लिए पर्याप्त है भगवान महावीर के 27 भव
सामूहिक आयंबिल तप आराधना के पहले प्रात: चातुर्मास निमित प्रवचन तिलकरनगर स्थित उपाश्रय में हुए। इसमें पन्यास प्रवर राजरत्नविजयजी महाराज ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि संसार में जीवों को बचाने की ताकत हमारे पास नहीं है। वो ताकत केवल भगवान के पास ही है। संसार में भगवान महावीर के 27 भव मनुष्य को जीवन में मार्ग दिखाने के लिए पर्याप्त है। अच्छे कार्य दुर्भाव और अच्छे भाव दोनों से हो सकते हैं। लेकिन याद रखिए जबतक किसा के प्रति आपको संवेदना नहीं होगी तब तक आपका भव शुरु नहीं हो सकता। और जब तक आपका नाम मुख्य होगा तब तक आप किसी की संवेदना बगैर राग-द्वेष के नहीं समझ सकते। ट्रस्ट के कैलाश सालेचा ने बताया कि चातुर्मास निमित प्रवचन प्रतिदिन प्रात: 9 से 10 बजे तक हो रहे हैं।

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