मोबाइल के अधिकतम प्रयोग से बढ़ रहे हैं नेत्र रोगी

खबरनेशन/Khabarnation  

इंदौर। बढ़ती उम्र में ज्यादातर लोगों की आंखों पर प्रभाव पड़ता है,कई बार लोगों को 45 से 50 की उम्र के बाद ही धुंधला दिखना या कम दिखने जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं,एपिरेटिनल मेंब्रेन (ईआरएम) बढ़ती उम्र से जुड़ी हुई बीमारियां है,इसी तरह मोतियाबिंद,अपवर्तक त्रुटि,आँख की जन्मजात असंगति,ऑप्टिक एट्रॉफी, कॉर्निअल रोग,कांचबिंदु, रेटिनल रोग,एम्ब्लिओपिक, अन्‍य (सजातीय विवाह, आघात, आदि) दृष्टिहीनता उत्पन्न करने वाली स्थितियों के बचाव या त्वरित उपचार से 80 प्रतिशत मामलों में अन्धवत्व‍ से बचा जा सकता है,यह इज़हारे ख़्याल संस्था मिशन शिफ़ा-ए-रहमानी के रिजवान खान ने फ्री आई चेकअप कैंप के मोके पर व्यक्त किये। 

यह फ्री आई चेकअप कैंप सेंटर फॉर साईट के माध्यम से लगाया गया था। इस कैंप का फायदा 180 से ज्यादा पीड़ितों ने उठाया,सेंटर फॉर साईट के मार्केटिंग हेड इन्तिखाब आलम और डॉक्टर वासुदेव चौहान ने बताया कि कैंप के दोरान 26 से ज्यादा मरीज़ मोतियाबिंद के,2 बच्चे भेगेपन, 40 से ज्यादा मरीज़ दूर और निकट दृष्टिदोष से पीड़ित,ज्यादातर मरीज़ सरदर्द,आंखों की जलन,आंखों के लालपन या आंखों में पानी आना आदि के पाए गए। जिन्हें उनके उपचार हेतु काउंसलिंग की गई।

संस्था के शकील शेख ने बताया की कैंप के दौरान कुछ बच्चे ऐसे भी पाए गए जिनका दृष्टिदोष मोबाइल की अधिकतम प्रयोग करने के कारण उत्पन हुआ है।ऐसे बच्चों को डॉक्टर वासुदेव चौहान द्वारा कम उम्र मे ही चश्मा लगाने की सलाह दी गई। यह विषय अत्यंत गम्भीर है क्योंकि यह सिर्फ एक शुरुआत भर है और जल्द ही यदि इस पर विचार नहीं किया गया तो आधी से अधिक आने वाली नस्ल दृष्टिदोष से पीड़ित हो जाएगी।क्योंकि भारत मे पूर्व से ही विश्व के एक-चौथाई दृष्टिहीन लोग यानि 9 लाख से 12 लाख तक भारत में रहते हैं और मोबाइल का अधिकतम प्रयोग इस संख्या को और बढ़ा देगा। संस्था मिशन शिफा-ए-रहमानी के कार्यकर्ता मफाज़ खान, अबरार, गोपाल सेन, निलोफर मिर्ज़ा, साजिद आलम, दानिश रहमानी आदि ने कैंप में आये सभी मरीजों को अपनी सेवाएं प्रदान की और जाच हेतु मार्गदर्शन दिया। अंत मे संस्था की और से रिजवान खान और शकील शेख ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

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