अनादिकाल से भारतीय शिक्षा पद्धति गुरूकुलों के कारण विश्व विख्यात रही

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता राजो मालवीय ने कहा कि संस्कृत भाषाओं की जननी हैं। विश्व को ज्ञान की रश्मि भारतीय गुरूकुलों से मिली। आज भी विदेशों में भारतीय गुरूकुलों की स्थापना के लिए विद्वान लालयित हैं। हजारों विदेशी छात्र भारतीय गुरूकुलों में प्रवेश लेने भारत आते हैं। गुरूकुल में प्रशिक्षित छात्रों ने विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों में स्थान बनाया हैं। गुरूकुल का छात्र केशव आईआईटी मुंबई में सूर्य विज्ञान और खगोल शास्त्र पढ़ाता हैं। तृप्तिश नाम का छात्र इन्डोनेशिया में योग विज्ञान पढ़ाता हैं। मालवीय ने कहा कि अनादिकाल से भारतीय शिक्षा पद्धति गुरूकुलों के कारण विश्व विख्यात रही। वेद ग्रंथ स्वावलंबन और अनुशासन की शिक्षा में विश्व में अद्वितीय अद्वितीय निर्णय हुए हैं।

उन्होंने कहा कि गुरूकुलों में प्रदेश के लिए जाति नहीं पूछी जाती। अलबत्ता कड़े नियमों का पालन और अनुशासन का पालन अनिवार्य हैं। कृषि कर्म शिक्षा के पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग होता हैं।

मालवीय ने कहा कि गुरूकुलों में शिक्षा का माध्यम की संस्कृत होता हैं। संस्कृत के साथ अंग्रेजी का ज्ञान भी प्राथमिकता के आधार पर दिया जाता हैं। ज्ञान विज्ञान के सभी संकार्य इन गुरूकुलों में उपलब्ध होने के कारण यहाँ प्रदेश के लिए देश-विदेश के हजारे छात्र हर वर्ष आते थे। चेन्नई में अकेले तीन गुरूकुल संचालित हैं, इनमें मैचेदी, प्रयोधनी और वेद विज्ञानम् प्रमुख हैं। मैत्रेयी गुरूकुल में सिर्फ कन्या छात्रों को प्रवेश दिया जाता हैं। (खबरनेशन / Khabarnation)
 

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