अध्यापकों के संविलियन का फैसला ऐतिहासिक

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसौदिया ने कहा कि शिवराज सरकार ने कर्मचारियों के हित में कई बड़े फैसले लिए है। अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन का ऐतिहासिक फैसला कर प्रदेश सरकार ने अध्यापकों का सम्मान बढ़ाया है। मध्यप्रदेश के इतिहास में आज का दिन ऐतिहासिक है। प्रदेश में शिक्षा जगत को कांग्रेस ने कर्मी कल्चर बनाया था, उसे भाजपा सरकार ने पूरी तरह समाप्त कर शिक्षकों को अध्यापक बनाया है।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत एवं नगरीय निकायों में 1994 से 1997 तक शिक्षकों के नियमित रिक्त पदों के विरूद्ध कांग्रेस सरकार ने शिक्षाकर्मी वर्ग 1, 2 एवं 3 पर मात्र 1000, 800 और 500 रूपए मासिक मानदेय पर भर्ती की थी। बाद में 1998 में नियम बनाकर शिक्षाकर्मी नाम से नियुक्ति की जाने लगी। शिक्षकों को कांग्रेस ने शिक्षाकर्मी बनाकर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया था। कांग्रेस ने शिक्षा का स्तर घटाया और शिक्षक के सम्मान को कम करने का काम किया लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद मध्यप्रदेश के शिक्षकों के नाम को सम्मान दिया गया और वेतनमान भी बेहतर किए गए।

सिसौदिया ने कहा कि शिक्षक समाज का महत्वपूर्ण अंग है और भविष्य के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है,इसलिए उनके सम्मान और वेतनमान का पूरा ध्यान रखा। संवेदनशील सरकार ने अध्यापकों की मांगों को पूरा किया। संविदा कर्मियों के लिए सरकार ने बडा फैसला किया कि अब संविदा कर्मी हटाए नहीं जायेंगे एवं इनकी जांच होगी। अवकाश की पात्रता भी रखी गयी है। वेतन विसंगतियों को दूर करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से शिक्षकों का एक ही कैडर है और यह राज्य शासन के कर्मचारी है। यह नहीं होने के कारण वे कई सुविधाओं से वंचित थे। अब नियमित कर्मचारी होने से इन्हें सभी सुविधाओं के साथ मान सम्मान भी मिलेगा। कर्मचारियों के कल्याण के लिए जो काम शिवराज सरकार ने किए है, आज तक इससे पहले किसी भी सरकार द्वारा नहीं किए गए।

(खबरनेशन / Khabarnation)
 

 

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