किसानों को फसल का उचित दाम मिल रहा होता तो वे नहीं करते आत्महत्या

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव बोले, मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री किसानों के मुद्दे पर असंवेदनशील    

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव देवास जिले के दर्जनों गांवों में ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों से मिले और उनके दर्द में सहभागी बने। उन्होंने किसानों की पीड़ा का अहसास करने के बाद कहा कि जिले के अधिकांश गांवों में ओलावृष्टि से 100 फीसदी फसलों का नुकसान हो चुका हैं, पहले से ही बर्बाद किसान ओलावृष्टि के बाद और भी अधिक परेशान हो गया हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान व कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन किसानों के मुद्दे पर पूरी तरह असंवेदनशील हैं। सोमवार को राजधानी भोपाल में संपन्न ‘‘फ्लाप किसान सम्मेलन’’ में जहां कृषि मंत्री बिसेन कहते हैं कि हम कोई भगवान नहीं हैं, जो ओलावृष्टि को रोक दें, वहीं मुख्यमंत्री जी, जहां एक ओर किसानों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ‘‘न मैं रोऊंगा, न किसान भाई-बहनों को रोने दूंगा’’ वहीं एक घंटे बाद छिंदवाड़ा पहुंचे मुख्यमंत्री एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उचक-उचक कर नाच रहे थे, क्या किसानों के प्रति उनकी यहीं संवेदना हैं? ओलावृष्टि के दौरान बिजली गिरने से 6 किसानों की मौत पर भी मुख्यमंत्री ने आज तक अपनी संवेदना भी व्यक्त करना उचित नहीं समझा! क्या किसान पुत्र मुख्यमंत्री का किसानों को लेकर यही चरित्र हैं? 
 

ओला पीडि़त किसानों से मिलने के बाद यादव ने कहा कि किसानों की जर्जर आर्थिक स्थिति को लेकर प्रदेश में 14 सालों से काबिज भाजपा सरकार के किसान पुत्र की दुहाई देने वाले प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान ने सिवाय राजनैतिक जुमलों के किसानों के हित में अब तक क्या किया, क्या वे वाकई में किसान पुत्र हैं, यदि हां तो व बतायें कि क्या आश्वासनों से किसानों का पेट भर जाएगा, उनकी जमीन पर बोई गई फसल का उचित दाम मिलेगा, आखिर मिलेगा कब? पिछले 14 वर्षों से मूर्ख बनाकर किसानों का वोट हथियाने वाले कथित किसान पुत्र मुख्यमंत्री, आप यह न भूलें कि किसानों के प्रति आपने जो बोया हैं, समय आ गया हैं आने वाले समय में आप वहीं काटेंगे।  
 

यादव ने कहा कि प्रदेश का किसान राज्य सरकार की योजनाओं से त्राहिमाम कर रहा हैं, कहीं कर्ज बोझ, कहीं फसल बीमा, कहीं खाद-बीज, बिजली-पानी, कहीं अतिवृष्टि-अल्पवृष्टि-ओलावृष्टि, कहीं उचित मुआवजे की मार, तो कहीं बिजली के भारी भरकम बिल, यानि किसान हर तरफ से परेशान। पिछले सालों में किसानों का प्याज 1 और 2 रूपये में बाजार में बिका, आलू सड़कों पर फेंका गया, दूध की नदिया सड़कों पर बहीं, लेकिन मुख्यमंत्री फिर भी आपके कानों में जूं तक नहीं रेंगी? किसान न तो अपने बेटी-बेटे की शादी-व्याह कर पा रहा हैं और न ही किसी नाते-रिश्तेदारी को निभा पा रहा हैं। 
 

यादव ने कहा कि प्रदेश का किसान बच्चों की शिक्षा तो दूर उनकी बीमारी का उचित इलाज भी नहीं करा पा रहा हैं। किसानों की दिन-रात की मेहनत से उगाई आलू-प्याज की फसल को राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते सरकार के संरक्षण में कालाबाजारियों, मुनाफाखोरों ने अपने भंडार भर लिये, और उसे बाद में बाजार में महंगे दामों पर बेचा गया। 
 

यादव ने राज्य सरकार और प्रदेश में सिर्फ और सिर्फ अपने पुत्र को अडानी-अंबानी बनाने वाले प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान से मांग की हैं कि अडानी-अंबानी की बातें छोड़कर किसानों की तरफ भी नजरें घुमाकर देंखें और बिना विलंब किये किसानों की हुई फसल बर्बादी का सर्वे करायें तथा प्रत्येक किसान को 50-50 हजार रू. प्रति हेक्टेयर मुआवजा तत्काल दिया जाये, ताकि किसानों पर आई विपदा पर कुछ मरहम तो लग सके।

(खबरनेशन / Khabarnation)
 

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