दिग्विजय सिंह ने स्वतः ही याद दिलाया
अनुसूचित जाति और जन जातियों पर बरपा कहर: अग्रवाल
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीटर पर वापसी करते हुए स्वयं के उस कार्यकाल को याद कर ठीक ही किया है। जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति पर कहर बरपाने के मामले चरम पर थे। इसलिए सिंह की स्मृतियों को ठीक प्रकार से ताजा कर देना उचित रहेगा।
अग्रवाल ने कहा कि यह दिग्विजय सिंह ही थे जिनका भोपाल घोषणा पत्र या दलित एजेंडा पार्ट 1 मध्यप्रदेश में लोगों को आपस में जातीय उन्माद में उलझाने और वर्ण संघर्ष का बड़ा कारण उनके कार्यकाल में बना था। गांव-गांव इस आग की तपिश में झुलसा था। अब दिग्विजय सिंह अपनी सत्ता वापसी के लिए जातीय संघर्ष में प्रदेश को झोंकने की ताक में हैं। उनके कार्यकाल में दलितों का कितना भला हुआ ये प्रदेश जानता है।
सच्चाई यह है कि वर्ष 200 में आदिवासियों के खिलाफ देश में हुए कुल अपराधों का 44% अकेले मध्यप्रदेश में घटित होता था । दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए देश में आदिवासी स्त्रियों से होने वाले अत्याचार का 60% अकेले मध्यप्रदेश में होता था। तब आदिवासी स्त्रियों की अपहरण की घटनाओं में मध्यप्रदेश का योगदान 54% प्रतिशत था । उनकी सरकार में तब आदिवासियों के विरुद्ध आगजनी की 35.5% घटनाओं में मध्य प्रदेश का नाम था।
अनुसूचित जाति जिसे दिग्विजय सिंह दलित कहते हैं वर्ष 2002 में उनके खिलाफ देशभर में हुए कुल अपराधों का 21.5% अकेले मध्यप्रदेश में होता था। 2002 में इसी वर्ग की महिलाओं के विरुद्ध देशभर में हुए कुल बलात्कारों का 31 प्रतिशत अकेले मध्यप्रदेश में होता था। देश मैं अनुसूचित जाति की स्त्रियों के अपहरण की घटनाओं में मध्यप्रदेश का हिस्सा 15.40 प्रतिशत था।
पूर्व मुख्यमंत्री को अपने कार्यकाल को कांग्रेस की उपलब्धि बतौर प्रस्तुत जरूर करना चाहिए ताकि भाजपा का कार्यकाल की तुलना उनके कार्यकाल से जनता भी कर सके। (खबरनेशन / Khabarnation)