विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता बहाल करने के लिए प्रतिनिधिमंडल ने दिया राज्यपाल को ज्ञापन

 

प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मंत्री शामिल

  खबर नेशन / khabar Nation

                भोपाल। भारतीय जनता पार्टी विधायक श्री प्रहलाद लोधी की विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सदस्यता खत्म किए जाने के विरोध में भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल महोदय से इस मामले में हस्तक्षेप कर प्रहलाद लोधी को न्याय देते हुए उनकी सदस्यता बहाल करने की बात रखी। प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री राकेश सिंह, नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव एवं पूर्व मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल के साथ विधायक श्री प्रहलाद लोधी ने भी राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।

प्रदेश सरकार लोकतंत्र का गला घोंटकर बहुमत बनाए रखना चाहती है : राकेश सिंह

                राज्यपाल को ज्ञापन प्रस्तुत करने के पश्चात प्रदेश अध्यक्ष श्री राकेश सिंह ने मीडिया चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार लोकतंत्र का गला घोटने का काम कर रही है। पवई विधायक श्री प्रहलाद लोधी का मामला इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सेशन कोर्ट से एक मामले में श्री लोधी को सजा होती है, उन्हें जमानत भी मिलती है और अपील का अधिकार भी मिलता है। सजा होने के 48 घंटे भी नहीं बीतते और तत्काल विधानसभा अध्यक्ष द्वारा निर्वाचन आयोग पवई सीट को रिक्त करने की सूचना भेज देते हैं। उसी मामले में जब हाईकोर्ट दण्डादेश पर स्टे कर देता है, तो उसके आधार पर श्री लोधी की सदस्यता को लेकर विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय स्वतः ही समाप्त हो जाता है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी 8 दिन बीत चुके हैं लेकिन मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष उस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। यह सीधे-सीधे संविधान और कानून का उल्लंघन है।

                उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल महोदय से भेंट कर उनसे निवेदन किया है कि सीट रिक्त करने की घोषणा विधानसभा अध्यक्ष नहीं कर सकते। यह अधिकार केवल राज्यपाल महोदय के पास है, जिसका अतिक्रमण करके विधानसभा अध्यक्ष ने सीट रिक्त करने की सूचना निर्वाचन आयोग को भेज दी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद उसको सुधारना था, लेकिन इस मामले में कांग्रेस लगातार राजनीति कर रही है। श्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार ऐेसे कृत्य कर लोकतंत्र का गला घोंटकर मध्यप्रदेश में अपना बहुमत बनाकर रखना चाहती है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी किसी भी कीमत पर इसे स्वीकार नहीं करेगी।

डरी हुई सरकार अपने आपको बचाने के लिए षडयंत्र कर रही है : शिवराज सिंह

                भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एक डरी हुई सरकार अपने आप को बचाने के लिए षडयंत्र कर रही है। वह षडयंत्र करके एक विधायक जो पहले निचली अदालत के फैसले के कारण अयोग्य घोषित हुए थे। लेकिन हाईकोर्ट के स्टे के कारण स्वतः ही उनकी अयोग्यता समाप्त हो गई, लेकिन सरकार षडयंत्रपूर्वक उनको विधानसभा से बाहर रखने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि इस षडयंत्र में विधानसभा अध्यक्ष निष्पक्ष नहीं हैं वह पक्षपाती हो गए हैं और इसलिए न्याय की प्रत्याशा में जैसी सुप्रीम कोर्ट की रूलींग है। उसके अनुसार आज राज्यपाल महोदय को हम लोगों ने ज्ञापन दिया है। उन्होंने कहा कि हमारा विश्वास है कि विधानसभा अध्यक्ष ने जो असंवैधानिक फैसला किया है, वह विधि सम्मत नहीं है। विधायक प्रहलाद लोधी विधानसभा के सदस्य हैं और अगले सत्र में हम विधानसभा में उनको लेकर जाएंगे। श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस लगतार षडयंत्र रचने का काम कर रही है लेकिन भारतीय जनता पार्टी इस षडयंत्र को सफल नहीं होने देगी।

विधानसभा अध्यक्ष का फैसला असंवैधानिक : गोपाल भार्गव

                नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव ने कहा कि पवई से भाजपा के विधायक प्रहलाद लोधी बड़े बहुमत से चुनाव जीतकर आए लेकिन विधानसभा अध्यक्ष षडयंत्र रचकर श्री लोधी की सदस्यता समाप्त करने का काम कर रहे है। उनका यह फैसला असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि विधायक की सदस्यता को लेकर संविधान की धारा 191 और 192 में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि यह अधिकार सिर्फ राज्यपाल महोदय को है।

                श्री भार्गव ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी के इशारे पर उठाया गया कदम है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब निचली अदालत ने श्री प्रहलाद लोधी को दो साल की सजा सुनाई तो विधानसभा ने एक दिन में फैसला लेते हुए श्री लोधी की सदस्यता खत्म करने का फैसला ले लिया। जबकि श्री प्रहलाद लोधी की सजा पर हाईकोर्ट की रोक के एक सप्ताह बीतने के बाद अब विधानसभा अध्यक्ष कोर्ट के फैसले का परीक्षण करने की बात कर रहा है, जो कि न्याय संगत नहीं है। उन्होनें कहा कि अगर हाईकोर्ट के निर्णयों का पालन नहीं होता है तो यह सीधे सीधे न्यायालय की अवमानना है।

                उन्होंने कहा कि भारत के विधि और संवैधानिक इतिहास में पहली बार हुआ है जिसमें हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना की गई है। उन्होंने कहा कि हमारा पक्ष विधी सम्मत और न्याय सम्मत है, क्योंकि उच्च न्यायालय से हमारे विधायक को स्टे मिला है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि श्री लोधी को विधानसभा की सदस्यता से वंचित किया जाए।

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