केंद्र ने भावांतर योजना और मध्यप्रदेश के हक के हजारों करोड़ रूपये रोके

राजनीति Mar 10, 2019

कमलनाथ सरकार अपने वचन निभा रही है, मोदी सरकार प्रदेश को धोखा दिये जा रही है

खबरनेशन/Khabarnation  


मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जहां एक ओर हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश के किसानों को न सिर्फ उनकी फसलों के उचित दाम मिले, अपितु आकंठ कर्ज में डूबे किसानों को कर्ज के अभिशाप से मुक्त किया जाये। वहीं दूसरी ओर समूची भाजपा अपनी चुनावी हार का बदला हर क्षण किसानों से लेने पर आमादा है। याद कीजिए चुनाव हारते ही मध्यप्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं ने दिल्ली से दिसम्बर माह में यूरिया की सप्लाई रूकवा दी थी। मगर कमलनाथ जी ने तीन दिन तक दिल्ली में रहकर तत्परता से मध्यप्रदेश में यूरिया की आपूर्ति को सुनिश्चित किया। इसके बाद भाजपा नेताओं ने किसानों की कर्ज माफी में भ्रम फैलाकर रोड़े अटकाना प्रारंभ किये। क्योंकि भाजपा नहीं चाहती थी कि मध्यप्रदेश के 50 लाख किसानों का 40 हजार करोड़ रूपये का कर्जमाफी अभियान सफल हो पाये। मगर मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की दृढ़इच्छा शक्ति का परिणाम है कि 25 लाख किसानों का दो लाख रूपये तक का कर्ज माफ हो रहा है और यह प्रक्रिया 50 लाख किसानों की कर्जमाफी तक जारी रहेगी। 

अर्थात एक तरफ मध्यप्रदेश के भाजपा नेता किसानों के साथ षडयंत्र कर रहे हैं तो दूसरी ओर मोदी सरकार भी मध्यप्रदेश के किसानों और नागरिकों के साथ कुठाराघात कर रही है। आईए, सिलसिलेवार तरीके से हम मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं और केंद्र की मोदी सरकार के किसान विरोधी रवैये को बेनकाव करें।
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को जो विरासत में मिला है वह है प्रदेश की आर्थिक बदहाली, चरम पर अपराध, भीषणतम कुपोषण, संस्थागत भ्रष्टाचार इत्यादि। जिसे कमलनाथ सरकार निरंतर और तत्परता से समाप्त करने की दिशा में अग्रसर है। 

भाजपा शासन के 15 वर्षों में आर्थिक रूप से बदहाल प्रदेश: 
आर्थिक बदहाली की स्थिति यह है कि जब 2004 में भाजपा सरकार सत्ता में आयी थी, जब मध्यप्रदेश पर 41012 करोड़ का कर्ज था, जो 2019 में बढ़कर 187636 करोड़ हो गया। केपिटल और रेवेन्यु एक्सपेंडीचर का अंतर पांच गुना हो गया। अर्थात 2018 में प्रदेश के विकास पर तो मात्र 31061 करोड़ खर्च किया और भाजपा सरकार ने अपनी प्रसिद्धि वेतन पेंशन इत्यादि पर 155623 करोड़ खर्च किया। इतना ही नहीं 2018-19 में राजस्व आधिक्य मात्र 262 करोड़ रह गया था, जो भाजपा सरकार द्वारा जुलाई 2018 में पहला सप्लीेमेंट्री बजट लाने पर यह राजस्व घाटा 9885 करोड़ रूपये पहुंच गया। साथ ही जून 2018 से दिसम्बर के बीच मध्यप्रदेश में चार बार वेज एंड मींस के हालात निर्मित हुए। इतना ही नहीं भाजपा सरकार में तो मध्यपदेश ओवर ड्राफ्ट की स्थिति में पहुंच गया था, मगर इसे छिपाने के लिए तत्कालीन सरकार ने 4000 करोड़ रूपये के भुगतान पर रोक लगा दी थी। इतनी भयंकर आर्थिक बदहाली का प्रमाण स्वयं भाजपा सरकार के वित्त मंत्री रहे जयंत मलैया ने अपने वक्तव्य में कहा था कि कमलनाथ सरकार किसानों का कर्ज माफ ही नहीं कर सकती है, क्योंकि हम पूरा खजाना खाली कर गये हैं। 

भावांतर योजना में मोदी सरकार का किसानों को धोखा: 
इतनी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद दृढ़ता से कमलनाथ सरकार प्रदेश की तरक्की में लगी हुई है। मगर मोदी सरकार ने लाखों किसानों के भावांतर भुगतान योजना के 1017 करोड़ रूपये रोक दिये हैं। खरीफ 2017 के 576 करोड़, खरीफ 2018 सोयाबीन के 321 करोड़ और अतिरिक्त 6 लाख मीट्रिक टन के 120 करोड़ रूपये। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने मध्यप्रदेश के केंद्रीय करों के हिस्से के 2000 करोड़ रूपये भी कम दिये हैं। मध्यप्रदेश को केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में 59 हजार करोड़ रूपये प्राप्त होने थे, जिसे कम करके 57 हजार करोड़ रूपये कर दिया गया। इसी तरह शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाले पैसे में भी 500 करोड़ रूपये कम दिये हैं। वहीं महिला एवं बाल विकास में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सैलरी में भी 90 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष की कमी कर दी है। अर्थात एक तरफ मध्यप्रदेश भाजपा की तत्कालीन सरकार प्रदेश को आर्थिक रूप से बर्बाद कर गयी है तो दूसरी ओर मोदी जी मध्यप्रदेश के साथ आर्थिक कुठाराघात कर रहे हैं। 

भाजपा ले रही किसानों से प्रतिशोध: 
भाजपा नेता लगातार किसानों की तरक्की में बाधा बनकर खड़े हो रहे हैं और मनगढ़ंत और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। बीते दिनों भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार पर्याप्त मात्रा में धान की खरीदी और उसका भुगतान नहीं कर रही है। जबकि सच्चाई यह है कि खरीफ सीजन 2019 में कमलनाथ सरकार ने 21.18 लाख मीट्रिक टन धान की रिकार्ड खरीदी की और यह आंकड़ा आश्चर्यजनक रूप से पिछली भाजपा सरकार से लगभग 4.50 लाख मीट्रिक टन अधिक था। क्योंकि खरीफ सीजन 2018 में भाजपा सरकार में धान की खरीद मात्र 15 लाख 59 हजार मीट्रिक टन की गई थी।


याद कीजिए हाल ही में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह आरोप लगाया था कि कमलनाथ सरकार गेहूं की खरीद पर प्रोत्साहन राशि नहीं दे रही है। जबकि गेहूं की सरकारी खरीदी प्रारंभ भी नहीं की गई थी। हाल ही में कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के किसानों के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए गेहंू पर 160 रूपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि की घोषणा की है। अब मध्यप्रदेश में 2000 रूपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदा जायेगा। इतना ही नहीं खरीफ 2018 हेतु फ्लेट भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत मक्का हेतु प्रोत्साहन राशि 250 रूपये प्रति क्विंटल भी कमलनाथ सरकार ने तय की है। 

कमलनाथ सरकार की किसानों को सौगात: 
वहीं 07 फरवरी, 2019 को किसानों के हक में क्रांतिकारी निर्णय लेते हुए यह तय किया कि 10 हाॅर्स पाॅवर तक के पंप वाले किसानों की बिजली की दरें आधी की जायेंगी। वर्तमान में 1400 रूपये प्रति हाॅर्स पाॅवर की दर से यह विद्युत दर निर्धारित की जाती थी, जिसे कमलनाथ सरकार ने एक दम आधा 700 रूपये कर दिया और मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य हो गया जहां किसानों को सबसे सस्ती दर अर्थात 44 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली का बिल देना होगा। इसके फलस्वरूप 19 लाख किसान लाभान्वित होंगे। 

याद कीजिए, पिछली भाजपा सरकार ने जो घोषणाएं की थीं, उसमें भी बजट में पर्याप्त प्रावधान न कर प्रदेश के नागरिकों को ठगा था। ज्ञातव्य है कि चुनाव जीतने के लिये सरल बिजली बिल माफी योजना की घोषणा संबल 2018 घोषित की गई थी। जिसके तहत हितग्राहियों को 200 रूपये मासिक निर्धारित किया गया था, इस हेतु भी बजट में प्रावधान मात्र 100 रूपये का किया गया था। इस योजना के 59 लाख उपभोक्ताओं को 987 करोड़ रूपये का भुगतान कमलनाथ सरकार कर रही है। इसी तरह पिछली सरकार ने मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी योजना की घोषणा की और बजट का प्रावधान मात्र 100 रूपये रखा। इस योजना में भी 76 लाख उपभोक्ताओं के लिये 795 करोड़ रूपये की निधि का प्रबंधन कमलनाथ सरकार कर रही है। 

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रदेश के भाजपा सांसदों और नेता प्रतिपक्ष के यहां प्रतिकात्मक रूप से धरना देकर आग्रह कर रही है कि मोदी सरकार के मध्यप्रदेश विरोधी इस रवैये के विरोध में वे भी अपने स्वर मुखर करें और मध्यप्रदेश के हक का पैसा प्रदेश को दिलवाने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। 

 

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