मोदी सरकार के अंतिम जुमला बजट में किसानों को मिली केवल 17 रूपये रोज की राहत पहले के ‘मास्टर-स्ट्रोकों’ की तरह मोदी का यह ‘मास्टर-स्ट्रोक’ भी संवेदनहीन और शर्मनाक : शोभा ओझा

राजनीति Feb 01, 2019

खबरनेशन/Khabarnation  

भोपाल, प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा कि मोदी सरकार के वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा आज पेश किया गया अंतिम बजट, दरअसल अंतरिम बजट होने के बावजूद इस तरह से पेष किया गया जैसे ये कोई पूर्ण बजट हो! होना तो यह चाहिए था कि अंतरिम बजट की बजाय सरकार अपने अन्तिम दिनों में लेखानुदान पेष करती और जब आम चुनाव के बाद नई सरकार बनती तो वह अपना पूर्ण बजट पेश करती। 

अपने हर फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने बजट के पश्चात कहा कि हमने जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना लागू की है, उससे 12 करोड़ किसानों को 6 हजार रूपये प्रतिवर्ष का फायदा होगा। इसका मतलब यह हुआ कि प्रत्येक किसान परिवार को 500 रूपये प्रतिमाह! क्या इस प्रकार मिलने वाली 17 रूपये प्रतिदिन की आमदनी किसानों का सम्मान है या उनका अपमान! मोदी जी को स्पष्ट करना चाहिए? दरअसल पहले के ‘मास्टर-स्ट्रोकों’ की तरह मोदी का यह ‘मास्टर-स्ट्रोक’ भी संवेदनहीन, शर्मनाक और जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। 

शोभा ओझा ने कहा कि बेहतर होता कि केंद्र सरकार मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा लिये गये जनहितैषी निर्णय की तरह किसानों की पूर्ण कर्जमाफी करती और मध्यप्रदेश के 65 लाख किसानों को मिली 50 हजार करोड़ कि राहत की तरह का कोई ठोस फैसला लेती! कमलनाथ जी के इस ऐतिहासिक फैसले से प्रत्येक कर्जदार किसान को लगभग 76 हजार रूपये का औसतन फायदा पहुंचा है। कांग्रेस की सरकारों और केन्द्र में बैठी जुमला सरकार के बीच यही फर्क है। अपने इस फैसले को ‘ऐतिहासिक’ बताने वाले प्रधानमंत्री को यह भी बताना चाहिए की उन्होंने अपनी एक पूर्व योजना, जिसे भी उन्होंने ‘ऐतिहासिक’ करार दिया था ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’, उसका आज के बजट भाषण में कही कोई जिक्र क्यों नहीं था? इस जुमला सरकार के झुठे दावों का कहीं कोई अंत नहीं है! 

आज के बजट भाषण में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि 143 करोड़ एलईडी बल्ब्स बांटे गये लेकिन इनकी सरकारी बेवसाइट यह कहती है कि दिनांक 31 जनवरी 2019, यानि कल तक केवल 32.3 करोड़ बल्ब्स का ही वितरण अब तक हुआ है । बडे़-बडे़ दावे करते हुए, उन्होंने लगभग 34 करोड़ जनधन खाते खुलने की बात कही है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उनमें से कितने खाते अभी चालू हालत में हैं और उनमें से कितने खातों में अभी रूपया जमा है! इसके आंकडे़ भी सार्वजनिक होने चाहिए।

ओझा ने कहा कि नया जुमला बजट पेष करने के पहले वित्तमंत्री को यह भी स्पष्ट करना चाहिए था कि क्यों प्रतिष्टित पत्रकारों, सामाजिक संस्थाओं और तमाम सर्वे ऐजेंसियों ने सरकार के बडे़-बडे़ दावों कि समय-समय पर पोल खोली, चाहे खुले में षौच मुक्त गांवों की संख्या के दावे हों, घरेलू बिजली कनेक्षनों की संख्या के दावे हों, रसोई गैस सिलेंडर कनेक्षनों कि संख्या के दावे हांे या मुद्रा लोन के हितग्राहियों कि संख्या के दावे हों, सभी मोर्चाें पर सरकार के दावे बिलकुल फर्जी पाये गये हैं । 

ओझा ने कहा कि भाजपानीत केंद्र सरकार ने अपने पहले बजट में दावा किया था कि हम कृषि सुधार लागू करेंगे, दूसरे वर्ष उन्होंने कहा कि हम न्यूनतम विक्रय मूल्य निर्धारित करने के लिए स्वामीनाथन आयोग कि रिर्पोट को लागू करेंगे, तीसरे बजट में उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना एक ‘गेम चेंजर’ सबित होगी, चैथे वर्ष उन्होंने कहा कि हम किसानों की समस्याओं का समाधान ढूंढेंगे और पांचवंे वर्ष उन्होंने किसानों के हाथ में 500 रूपये पकड़ा कर, अपना पल्ला झाड़ लिया है, इससे शर्मनाक कुछ और नहीं हो सकता। जब मोदी सरकार ने किसानों के उपर बजट को केन्द्रित रखा तब उसने इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा कि वे गरीब जो किसान नहीं हैं उनके लिए भी इस बजट में प्रवधान होना चाहिए था। षहरी गरीबों के लिए भी सरकार के पास क्या योजना है, इस बात का बजट में कहीं कोई जिक्र नहीं है। 

शोभा ओझा ने कहा कि कुल मिलाकर मोदी सरकार के इस आखिरी जुमला बजट में न तो किसान को कोई बड़ी राहत मिली है, न गरीब और मध्यम वर्ग को इससे कोई फायदा पहुंचा है। समाज के किसी भी तबके को यह बजट संतुष्ट नहीं कर पाया है। दरअसल अपने अन्तिम वर्ष में मोदी सरकार के अमीर हितैषी वित्तमंत्री द्वारा पेष किया गया बजट षब्दों की बाजीगरी मात्र है, जिससे गरीबों सहित किसी भी वर्ग को कोई खास राहत मिलने वाली नहीं है।

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