राजनीतिक फायदे के लिए सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल करना चाहती है कांग्रेस: भदौरिया

राजनीति Sep 19, 2018

खबरनेशन/Khabarnation  
सुप्रीम कोर्ट ने दिखाया कांग्रेस नेता को आईना

                भोपाल। कांग्रेस नेता के.के.मिश्रा की याचिका को खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि चुनाव लड़ना है, तो मैदान में जाकर लड़ें, कोर्ट में नहीं। न्यायालय की इस टिप्पणी से स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान और उनकी पत्नी साधना सिंह के खिलाफ लगाई गई यह याचिका न्याय के लिए नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की छवि को खराब करने तथा अपने राजनीतिक लाभ के लिए लगाई गई थी। यह बात गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अरविन्द भदौरिया ने मा. सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। गौरतलब है कि कथित डंपर मामले को लेकर कांग्रेसी नेता के.के.मिश्रा द्वारा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह चौहान के खिलाफ लगाई गई याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।

                कथित डंपर मामले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के खिलाफ कांग्रेस नेता के.के.मिश्रा ने विशेष न्यायाधीश, भोपाल के समक्ष इस्तगासा प्रस्तुत किया था, जिसे मा. न्यायालय ने 28 फरवरी, 2017 को खारिज कर दिया था। के.के. मिश्रा ने विशेष न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका लगाई थी, जिसे मा. उच्च न्यायालय के 29 जनवरी, 2018 को दिए आदेश के जरिए खारिज कर दिया था। इसके बाद के.के.मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी। गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ए.के.सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बैंच ने टिप्पणी की थी कि ‘यदि चुनाव लड़ना है तो मैदान में जाकर लड़ें, कोर्ट में नहीं’। के.के. मिश्रा को जब लगा कि उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज होने वाली है, तो उन्होंने अपने वकील कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और अनूप जार्ज चैधरी के माध्यम से याचिका वापस ले ली। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण को विड्रॉल में खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रसन्नता जताते हुए भारतीय जनता पार्टी के अरविन्द भदौरिया ने कहा है कि न्यायालय की टिप्पणी से स्पष्ट है कि यह याचिका तथ्यों के आधार पर नहीं, बल्कि सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए लगाई गई थी। उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम से यह भी साबित हो गया है कि कांग्रेस अपने राजनीतिक फायदे और विपक्षी दलों तथा नेताओं की छवि खराब करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय और निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं का उपयोग करने में भी हिचकती नहीं है।

 

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