साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के लिए बड़ी चुनौती

राजनीति Sep 16, 2018

खबरनेशन/Khabarnation  
इस साल के अंत में मध्यप्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव केवल एक ही नेता के लिये बहुत बडी चुनौती

यह नेता कोई और नहीं इस वक्त मध्यप्रदेश कांग्रेस के अभी के अध्यक्ष कमलनाथ ही हैं। इस बात की बहुत सारी वजह नजर आ रही है। सब से बडी वजह यह है कि प्रदेश के बाकी कांग्रेस के नेता कभी ना कभी किसी ना किसी रूप में पार्टी के हार के साथ जुडे रहे है केवल कमलनाथ का नाम ही अभी तक किसी हार से सीधा जुडा नहीं है। सब से पहले कांग्रेस 2003 तीन में प्रदेश में दिग्विजय सिहं की लीडरशीप के रहते हारी थी। उस के बाद 2008  में कांग्रेस उस समय हारी जब सुरेश पचौरी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे और फिर 2013 में उस समय हारी जब कांतिलाल भूरिया प्रदेश अध्यक्ष थे और उन के साथ नेता प्रतिपक्ष के रूप में अजय सिहं थे। अब की बार भी अजय सिंह ही विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ हैं। अब सब से पहले यह बताना जरूरी है कि कमलनाथ कौन हैं और उन्होंने अभी तक राजनीति में क्या किया है। तो यह बताना पडेगा कि कमलनाथ 1980 में पहली बार मध्यप्रदेश के छिंदवाडा से लोक सभा के लिये चुने गये थे और एक बार जब की उन को एक उपचुनाव में भाजपा के सुंदरलाल पटवा ने हराया था वे हर वक्त ही जीतते रहे हैं। उन की खास बात यह रही कि वे ज्यादातर समय नयी दिल्ली में ही रहे और कभी भी उन्होंने मध्यप्रदेश की सक्रिय राजनीति में भाग नहीं लिया। तो कहने का मतनब यह है कि केवल कमलनाथ को छोडकर बाकी सारे कांग्रेसी नेता हार का स्वाद चख चुके हैं। इस स्वाद को अभी तक केवल कमलनाथ ही नहीं चखा है। इस कारण से उन के लिये इस साल के अंत में होने वाला विधान सभा चुनाव को जीतना उन के लिये बहुत अहम हो गया है। इस वक्त उन की उम्र 70 से भी ज्यादा की हो गई है और इस पडाव पर आ कर वे हार का स्वाद चखना नहीं चाहेंगे।

मेरी समझ से 2003 से लगातार कांग्रेस की हार के दो प्रमुख कारण रहे हैं।

सब से पहले तो लगभग सारे विधायकों को फिर से टिकट देना और दूसरे हर नेता के लिये टिकटों का कोटा बांध देना। यहा पर नाम लेने की जरूरत नहीं है पर ऐसे भी नेता रहे हैं जो खुद भी विधान सभा चुनाव हार गये हैं पर उन  के काफी सर्मथकों को टिकट दिया जाता है। जब नेता ऐसा हो कि वो खुद ही चुनाव हार जाये तो वो अपने सर्मथकों को कहा से चुनाव जिता सकता है।यह सब कहने का तात्पर्य यह है कि अगर अब की बार भी कांग्रेस ने लगभग सभी मौजूदा विधायकां को फिर से टिकट दिये और नेताआें क कोटे से टिकट बांट तो पार्टी की नैया का पार होना बहुत ही कठिन है।

Share:


Related Articles


Leave a Comment