वे दलीय नहीं सर्वमान्य नेता थे: अजय सिंह

राजनीति Aug 16, 2018

खबरनेशन/Khabarnation वे दलीय नेता नहीं थे सर्वमान्य नेता थे । उनकी उपस्थिति से हम जैंसे अनेक लोग जो राजनीति और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं को मार्गदर्शन मिलता था । गैर कांग्रेसी नेताओं से मेरे पूज्य पिताजी अर्जुन सिंह के जो रिश्ते रहे उनमें अटल जी का नाम सबसे ऊपर था । वे हमारे परिवार के गैर राजनीतिक कार्यक्रमों में स्थायी रूप से उपस्थित रहने वालों में से थे । हर साल दिल्ली में पिताजी के निवास पर जन्माष्टमी और रामनवमी पर भजन संध्या होती थी । अटलजी सदैव उस कार्यक्रम में उपस्थित रहते थे । इस नाते अटलजी सदैव हमारे परिवार का एक हिस्सा रहे । राजनैतिक विचारधारा दोनों की अलग-अलग थी लेकिन उससे कभी व्यक्तिगत व्यवहार, सौजन्यता और सद्भाव में कमी नहीं आई ।

वे पंडित नेहरू की परंपरा के नेता थे । गुजरात में जब दंगे हुए और सरकारी तंत्र नियंत्रण नहीं कर रहा था तब अटलजी ने ही प्रधानमंत्री रहते हुए गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राजधर्म निभाने का निर्देश दिया था । उन्होंने इस देश को जाति धर्म के आधार पर बांटने की बात नहीं की ।

अटलजी भारतीय राजनीति के आदर्श थे । उन्होंने कभी दलीय मतभेद को व्यक्तिगत भेद में शामिल नहीं किया । लोकसभा में उनका भाषण हमेशा यादगार रहा । वे उन विरले नेताओं में से थे जिन्हें सुनने के लिए लोगों को ढोकर नहीं ले जाना पढ़ता था बल्कि लोग स्वतः स्फूर्त हो कर उन्हें सुनने हजारों की संख्या में आते थे !

उनके सर्वमान्य व्यक्तित्व का उदाहरण है कि तत्कालीन प्रधाानमंत्री श्री पी.व्ही.नरसिम्हाराव ने उन्हें जेनेवा में होने वाले मानवाधिकार के सम्मेलन मे भारत का पक्ष रखते सरकार का प्रतिनिधि बनाकर भेजा था । इस सम्मेलन में पाकिस्तान कश्मीर मुद्दा उठाने वाला था ।


 अटल जी ऐसी भारतीय राजनीति के आदर्श थे । उनका निधन हम सब भारतीयों के साथ दुनिया के तमाम देशों जिन्होंने उनके व्यकित्व और कृतित्व को जाना है उनके लिए बेहद दुःखद है । उनका न रहना अखरेगा । सच में आज की राजनीति में ऐसे व्यक्ति के चले जाने से लगता है कि कही मतभेद मनभेद में न बदल जाएं और वैचारिक भिन्नता दुश्मनी न बन जाए ।

           

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