जनजातीय वर्गों के विशेषाधिकारों का उल्लंघन कर रही है शिवराज सरकार: अजय सिंह
खबरनेशन/Khabarnation ऐच्छिक अवकाश से ज्यादा जरूरी है कि सरकार जनजातीय क्षेत्रों में पेसा एक्ट लागू करे
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
भोपाल, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि चुनावी साल में जनजातीय वर्ग के वोटों को हथियाने के लिए ऐच्छिक अवकाश तो घोषित कर दिया लेकिन पिछले 15 साल में इन लोगों के वास्तविक अधिकार दिलाने के लिए जो पेसा एक्ट कांग्रेस सरकार ने बनाया था उसे आज तक जनजातीय बहुल क्षेत्रों में लागू नहीं किया गया। यही नहीं इन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के विशेषाधिकारों का भी भाजपा की शिवराज सरकार खुला उल्लंघन कर रही है। पंद्रह साल में पहली बार दिवस मनाने की याद मुख्यमंत्री को आई है।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि वे कब तक इस प्रदेश की जनता विशेषकर कमजोर वर्गों को धोखा देते रहेंगे, उनसे झूठ बोलते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज मध्यप्रदेश जनजातीय वर्ग पर अत्याचार के मामले में पूरे देश में अव्वल है। उन्हें विशेष सुविधा पढ़ने-लिखने की घोषणा तो की, लेकिन यह नहीं बताया कि उनके कितने इन वर्गों के छात्र-छात्राएं आगे बढ़े। अपनी मेहनत और योग्यता से बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़े उनके यश को जरूर खुद का बताकर लूट लिया। उनको दी जाने वाली छात्रवृत्ति में पूरे प्रदेश में करोड़ों रूपयों का घोटाला किया। श्री सिंह ने कहा कि एन.सी.आर.बी. की रिपोर्ट में है कि प्रदेश के जिलों में साढे़ सात हजार बच्चियां गायब हुई उनमें से 8 जिले जनजातीय क्षेत्रों के हैं। ये 9 जिले बालाघाट, अलीराजपुर, मंडला, डिंडौरी, झाबुआ, सिवनी, बैतूल और छिंदवाड़ा शामिल हैं। प्रदेश के 6,51,467 जनजातीय भाइयों ने शिवराज सरकार को पट्टों के लिए आवेदन दिया है जिसमें से आधे से अधिक 3,64,166 पट्टे निरस्त कर दिए गए।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि पेसा एक्ट जनजातीय वर्ग के अधिकारों का न केवल संरक्षण देता है बल्कि उन्हें सम्मानपूर्वक जीने का विशेषाधिकार भी देता है। सिंह ने कहा कि पिछले 15 साल में इस एक्ट में अभी तक यह सरकार कोई नियम तक नहीं बना पाई। प्रदेश के 89 ब्लाक जिनमें 6 जिले पूरी तरह जनजातीय वर्ग के हैं सरकार ने उनके अधिकारों का निरंतर अतिक्रमण किया है। श्री सिंह ने कहा कि नई रेत नीति बताकर भाजपा सरकार ने पेसा एक्ट का खुला उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि एक्ट में जनजातीय क्षेत्र में गौण खनिजों के उत्खनन का पूरा अधिकार जनजातीय वर्ग को ही है। इसी तरह उनकी जमीन की खरीद-फरोख्त में भी पेसा एक्ट का खुला उल्लंघन प्रदेश सरकार कर रही है। प्रभावशाली लोग उन्हें निरंतर अपने जमीन से बेदखल कर उन्हें भूमिहीन बना रही है। प्रदेश के सभी 89 ब्लाकों में वनोपज के उत्पादन, संग्रहण और विक्रय का पूरा अधिकार जनजातीय वर्ग को है लेकिन सरकार ने उनसे यह अधिकार छीनकर उन्हें अपने अधीन बना रखा है और उनके नाम पर खुलेआम लूट हो रही है। सिंह ने कहा कि यही नहीं भूअर्जन, पुनर्वास, साहूकारी पर प्रतिबंध, भू-राजस्व संहिता जो जनजातीय वर्ग को विशेष अधिकार देता है उसको भी सरकार ने उनसे छीन रखा है।
सिंह ने कहा कि बड़ी मजबूरी में बनी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य मंत्रणा परिषद में सिर्फ अपने दल के लोगों को प्रतिनिधित्व इस सरकार ने दिया है ताकि मनमाने तरीके से वे निर्णय ले सकें। उन्होंने कहा कि इसके गठन की राज्यपाल से अनुमति भी नहीं ली गई।
सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने आदिवासी के हितों के लिए जो योजनाएं बनाईं उन्हीं का यश भाजपा सरकार लूट रही है। फिर चाहे वह वनाधिकार पट्टे देने का मामला हो, तेंदूपत्ता श्रमिकों को मजदूर से मालिक बनाने का मामला हो या फिर उन्हें सस्ता अनाज देने का निर्णय हो। सिंह ने कहा कि भाजपा की इन वर्गों के प्रति कोई आस्था नहीं है। चुनावी साल में सिर्फ और सिर्फ उनके वोट हथियाने के लिए भाजपा छटपटा रही है और गिरगिट की तरह रंग बदल कर उन्हें यह जताने का प्रयास कर रही है कि वह उनकी हितैषी है। सिंह ने कहा कि आज प्रदेश के 1 करोड़ 83 लाख जनजातीय लोगों के वोट तो सरकार चाहती है लेकिन उनके अधिकारों का संरक्षण नहीं कर रही है बल्कि उनपर कुठाराघात हो रहा है।