संसद सत्र सार्थक रहा, तीन तलाक

राजनीति Jan 07, 2018

विधेयक समेत 12 विधेयक लोकसभा में पारित
 

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री और सांसद मनोहर ऊंटवाल ने कहा कि शीतकालीन संसद सत्र कुल मिलाकर सार्थक रहा। बहुचर्चित तीन तलाक विधेयक लोकसभा में एक मत से पारित होने के साथ 12 विधेयक पारित किये गये। राज्यसभा में 9 विधेयक पारित किये गये। भले ही तीन तलाक विधेयक लंबित रह गया। लेकिन इस बात की पूरी संभावना हैं कि देर सबेर मुस्लिम महिलाओं के हित में यह विधेयक भी पारित होगा और राजनैतिक नाफरमानी का आरोप नहीं लगाने दिया जायेगा। क्योंकि देश का सर्वोच्च न्यायालय तीन तलाक के विरोध में शीघ्रता से कानून बनाने को कह चुका हैं। लोकतंत्र की गरिमा और संविधान के संरक्षण में न्यायालय का निर्णय सर्वोच्च हैं।
 

ऊंटवाल ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं, जहां संविधान और न्यायपालिका की भावना सभी को शिरोधार्य होती हैं। आजादी के बाद बार-बार न्यायिक समीक्षा में संविधान के अनुच्छेद 44 के व्यवहारिक रूप में क्रियान्वयन की आवश्यकता रेखांकित की जा चुकी हैं। प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू 1954 से 1956 के बीच अनेक बार दोहरा चुके थे कि अनुच्छेद 44 की भावना को व्यवहारिक रूप में बदला जायेगा। तीन तलाक जैसी कुरीति का उन्मूलन भी इस की एक कड़ी हैं।
 

उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के प्रादुर्भाव के साथ विश्वव्यापी बालिग मताधिकार और लैंगिक समानता की गारंटी संविधान दे चुके हैं। ऐसे में एक समुदाय का तीन तलाक के अभिशाप में जकड़ा रहना देश की आधी आबादी की उपेक्षा हैं। इसे समाप्त करना संसदीय लोकतंत्र की मर्यादा का सम्मान करना होगा। लोकसभा ने विधेयक को पारित करके महिलाओं का मनोबल बढ़ाया हैं। देर सबेर राज्यसभा में भी सहमति बनेगी और मुस्लिम महिलाएं सकून का अनुभव करेगी। लोकतंत्र में राजनीति की प्रमुख भूमिका होती हैं, लेकिन देश की आधी आबादी को रूढ़िगत श्रृंखला से मुक्त करने जैसे पुनीत कार्य में राजनीति नहीं होना चाहिए। (खबरनेशन / Khabarnation)
 

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