कांग्रेस ने कभी दलितों की हिफाजत की चिंता नहीं की
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप लारिया ने कहा कि कांग्रेस ने अपने 55 वर्षो के एक छत्र शासन में कभी अनुसूचित जाति, जनजाति की हिफाजत, उनकी बेहतरी की चिंता नहीं की। आज जब भारतीय जनता पार्टी सबका साथ सबका विकास करने की प्रतिबद्धता के साथ जुटी हैं तो कांग्रेस घड़ियाली आंसू बहा रही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से पहली बार जब 1989 में केन्द्र में सरकार बनी तब अजा, अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम बनाया गया।
उन्होंने कहा कि इस उत्पीड़न निरोधक कानून में प्रारंभ में केवल 22 प्रकार के अपराध शामिल थे। इस कानून को सख्त बनाने के लिए 101 किस्म के अपराधों को और शामिल किया गया। इससे वंचित और उपेक्षित समुदायों को राहत मिली। कांग्रेस ने कभी सामाजिक समरसता के प्रति गंभीर प्रयास नहीं किए। उसने हमेशा समाज को फिरको में बांटकर देखा और वोट बैंक की तलाश की। कांग्रेस का इतिहास गवाह हैं कि उसने लखनऊ अधिवेशन में अल्पसंख्यकों के लिए प्रथक विधानसभा क्षेत्रों पर भी सहमति दे दी थी। जबकि भाजपा ने इसका सतत विरोध किया, जिसका नतीजा सामने हैं। यही कारण हैं कि अनुसूचित जाति, जनजातियों ने भारतीय जनता पार्टी में अपना विश्वास व्यक्त किया हैं। आज देश में सर्वाधिक सांसद और विधायक इन वर्गो के भारतीय जनता पार्टी में ही हैं। कांग्रेस विश्वास खो चुकी हैं।
लारिया ने कहा कि कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि यदि वह अनुसूचित जाति, जनजाति की हितैषी हैं तो उसने बाबा साहेब अंबेडकर को गंवारा क्यों नहीं किया ? बाबू जगजीवन राम कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री रहे। वरिष्ठता क्रम में प्रधानमंत्री बनने की उनमें क्षमता और काबलियत थी लेकिन कांग्रेस ने उन्हें कभी प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उत्पीड़न कानून को लेकर आज अनुसूचित जाति, जनजाति में भ्रम पैदा कर रही हैं, लेकिन कांग्रेस के पास इस बात का कोई उत्तर नहीं हैं कि कांग्रेस शासित कर्नाटक में अनुसूचित जाति, जनजाति पर अत्याचार बढ़े हैं। सिद्धरमैया सरकार के दौरान दलितों पर अत्याचारों की संख्या बढ़ रही हैं। महिलाओं पर अत्याचार दिन दूने रात चौगुने बढ़े हैं। हरियाणा में कांग्रेस सरकार के दौर में अनुसूचित जाति बहुल गांवों में इन वर्गो को भाग कर दिल्ली में शरण लेना पड़ी थी। (खबरनेशन / Khabarnation)