कांग्रेस में संजय गांधी की पॉलिटिकल लॉन्चिंग के रचयिता थे महेश जोशी

शख्सियत Apr 10, 2021

 

कांग्रेस का एक ऐसा निर्णय जिसने कांग्रेस की दशा और दिशा बदल दी

 महेश जोशी के पास 10 लाख कांग्रेस नेताओं के नंबर थे पते सहित 

खबर नेशन /Khabar Nation

अगर संजय गांधी राजनीति में नहीं आते तो आज के दौर की कांग्रेस एक अलग ही स्थिति में होती। इसे हम कांग्रेस की दशा कहें , दुर्दशा कहें या प्रगति। संजय गांधी के कांग्रेस से जुड़ने के बाद बहुत सारे निर्णय अलग तरीके के होते चले गए । संजय गांधी को राजनीति में लाने वाले अगर प्रमुख शख्स के तौर पर किसी का नाम लिया जाएगा तो वह नाम मध्य प्रदेश के इंदौर से बेबाक नेता के तौर पर जाने जाने वाले महेश जोशी का होगा । कल महेश जोशी का निधन हो गया। उनके साथ कार्य कर चुके एक मातहत नेता अरविंद मालवीय ने उनके शेर होने का उदाहरण कुछ इस तरह दिया । जब  महेश जोशी युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री हुआ करते थे तब प्रियरंजन दास मुंशी राष्ट्रीय अध्यक्ष होते थे । मुंशी चूंकि बंगाली थे इसलिए उन्हें जमने में थोड़ा समय लगा । इधर जोशी का हिंदी बेल्ट से होना और सांगठनिक क्षमता से समृद्ध होना उन्हें बड़े नेता के तौर पर स्थापित कर गया।
उस दौर में मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस की बागडोर बंसीलाल गांधी के पास थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी बंसीलाल गांधी को किसी भी सूरत में युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर देखना नहीं चाहते थे लेकिन महेश जोशी की ताकत के आगे सेठी भी बेबस हो जाया करते थे।  इसी दौर में सेठी के इशारे पर मध्यप्रदेश में एक समानांतर युवक कांग्रेस का गठन हो गया । जिस की बागडोर प्रताप भानु शर्मा और मानक अग्रवाल के हाथों में थी। इसी टीम का हिस्सा आज मध्य प्रदेश कांग्रेस के ताकतवर महामंत्री चंद्रप्रभाष शेखर भी हुआ करते थे। किन्ही कारणों के चलते शेखर और महेश जोशी के बीच तगड़ा विवाद हो गया । जिसको लेकर महेश जोशी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियरंजन दास मुंशी पर अपना गुस्सा उतार दिया। मुंशी महेश जोशी की ताकत को आंक नहीं पाए और उन्होंने बंसीलाल गांधी को पद से हटा दिया। इस बात से नाराज महेश जोशी मुंशी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आए और उन्हें युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटवा दिया। मुंशी भी कम ताकतवर नहीं थे। उनकी सिद्धार्थ शंकर रे के माध्यम से श्रीमती इंदिरा गांधी तक पहुंच थी । इस बात को महेश जोशी जानते थे।महेश जोशी ने अंबिका सोनी को युवक कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवा दिया और बैठक में संजय गांधी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनवाए जाने का प्रस्ताव पारित करवा लिया । बाद में जोशी ने मध्यप्रदेश में प्रताप भानु शर्मा और माणक अग्रवाल को हटवा कर मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस की बागडोर रामेश्वर नीखरा के हाथ में थमा दी।  
यह वह दौर था जब महेश जोशी तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी से तेजतर्रार लहजे में बात किया करते थे । जो बाद में भी कायम रहा । जोशी के तेजतर्रार लहजे से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी बचने की कोशिश करते थे । अगर सही मायने में देखा जाए तो आज दिग्विजय सिंह के जनाधार का मूल कारण महेश जोशी का होना रहा। जब दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे तब महेश जोशी मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री के तौर पर प्रदेश कार्यालय संभालते थे। फील्ड में दिग्विजय सिंह और कार्यालय में रणनीतिकार के तौर पर सांगठनिक क्षमता के धनी महेश जोशी जैसे नेता का होना मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवा गया । इसी के साथ ही जोशी ने दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री बनवाने में जबरदस्त मदद की। देश कार्यालय संभालने के दौरान जोशी 1-1 पत्र का जवाब देते थे और कार्यालय पर आने वाले आगंतुकों को कई दफा अपने साथ बिठाकर खाना भी खिलाते थे। उनकी इसी कार्यशैली के चलते पूरे प्रदेश भर में ही नहीं संपूर्ण देश में जोशी के व्यक्तिगत संपर्क बने हुए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी जोशी की इसी काबिलियत के मुरीद आज भी हैं । बताया जाता है कि युवक कांग्रेस के समय से महेश जोशी ने जो अपने परिचितों की टेलीफोन नंबरों की डायरी बनाना शुरू की तो पते सहित लगभग दस लाख नंबर उनके पास रजिस्टर में दर्ज हो गए। 

अरविंद मालवीय ने बताया कि जब महेश जोशी आवास पर्यावरण मंत्री हुआ करते थे उस समय उन्होंने मालवीय को इटारसी प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया था । उस वक्त भोपाल में जब भी प्राधिकरण अध्यक्षों की बैठक हुआ करती थी तब जोशी जी उस बैठक की अध्यक्षता अरविंद मालवीय से ही करवाते थे। आपत्ति आने पर जोशी जी दो टूक लहजे में कह देते थे कि मालवीय मेरी निजी पसंद है।

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