राहुल मोदी से गले मिले या गले पडे


खबरनेशन/Khabarnation
 

पिछले शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने के बाद लोक सभा में जिस ढंग से कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गले लगाया इस की अपेक्षा किसी को भी हो नहीं सकती थी। सब से बडी बात यह है कि इस बात की अपेक्षा शायद खुद मोदी को भी नहीं रही होगी और वो राहुल के इस तरह उन के पास आने से कुछ आश्चर्य में पड गये थे।राहुल का इस तरह से मोदी को गले मिलना अखबारों और टी वी चैनलों पर छाया रहा और ऐसा लगा कि इस बात की किसी को भी चिंता ही नहीं थी कि राहुल क्या बोले। जो भी हो राहुल का इस तरह से मोदी को जा कर गले मिलने ने देश में एक चर्चा को छेड दिया। सब से पहले तो मोदी ने कहा कि राहुल ने यह बता दिया कि उन को प्रधानमंत्री की कुर्सी कितनी प्यारी है और उस को वो हथियाने चाहते हैं। मोदी से गले मिलने के बाद राहुल ने आंख भी मारी और इस से उन के गले मिलने की बात जरा हल्की हो गई। अब यह कहा जा सकता है कि उन को आंख नहीं मारनी चाहिए थी। पर यह तो अब हो चुका है और क्या होना चाहिए था उस पर बात करने से कुछ फायदा नहंी है। राहुल के विरोधियों द्वारा यह कहा गया कि वे मोदी के गले नहीं मिले थे पर उन के गले पड गये थे। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि गले मिलना और आंख मारने का आपसे में कुछ भी लेना देना नहीं है। भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि राहुल ने कोई भी गलती नहीं की थी। एक और आवाज यह आई कि राहुल ने अमेरिका या किसी भी बाहर के देश के नेता को गले नहीं लगाया था बल्कि अपने ही प्रधानमंत्री को गले लगाया था और इस कारण से गलत नहीं है।एक और राय यह थी कि राहुल ने फिर से अपना बचपना दिखा दिया और उन के इस गले मिलने की तारीफ करने कीे जरूरत नहीं है। लोक सभा की अध्यक्षा सुमित्रा महाजन के अनुसार प्रधानमंत्री को इस तरह से गले मिलना असंसदीय है। इस सब का मतलब यह है कि जितने मुंह उतनी बातें। इस का अर्थ यह है कि जिस को जो बोलना है वो उस बात को कहने के लिये स्वतंत्र है। राहुल का मोदी को गले मिलने से देश में एक तरह से वाल ही आ गया है। यह भी कहा जाने लगा कि जब मोदी विदेश जाते हैं तो वो बाहर के नेताओं से गले मिलते हैं और तक किसी को कोई परेशानी नहीं होती। एक बयान यह भी आया कि राहुल उस आदमी को जा कर गले मिला जिस ने कि  उन के पूरे खनदान को कोसने में कभी भी कोई कसर नहीं छोडी। तो क्या राहुल ने यह दिखा दिया कि वो भले ही मोदी के खिलाफ कुछ भी बोलें उन के दिल में उन के खिलाफ कुछ भी नहीं है।

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