कूडनकुलम प्लांट बंद करो के नारे गूंजे

समाजवादी विचार यात्रा 9 राज्यों से कुडंकुलम होकर मदुरई पहुंची

कुडंकुलम विरोधी आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस ले  तमिलनाडु सरकार

30 जनवरी को गांधी स्मृति, दिल्ली से निकली भारत जोड़ो - संविधान बचाओ समाजवादी विचार यात्रा, 33वें दिन कन्याकुमारी और इडिंदकराई होते हुए मदुरई पहुंची। एस पी उदय कुमार, अरुल और कडल पुरुतान के साथियों ने यात्रियों का कन्याकुमारी में स्वागत किया। कन्याकुमारी मुस्लिम जमात के जनाब मसक्लाम और साथियों द्वारा स्टेशन के नज़दीक यात्रियों का स्वागत किया गया।

प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। प्रेस को संबोधित करते हुए डॉ. सुनीलम ने कहा कि चेर्नोवैल और फुकुशिमा की तरह कुडंकुलम में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, इस आशंका से लोग डरे हुए हैं, उन्होंने कहा कि तमाम देश अपने न्यूक्लिअर प्लांट बन्द कर रहे, भारत को भी कुडंकुलम प्लांट को बंद करने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कुडंकुलम विरोधी आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को तमिलनाडु सरकार से वापस लेने की मांग की।

देश और दुनिया में ऐंटी न्यूक्लिअर प्लांट के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक बन चुके कूडमकुलम एन्टी न्यूक्लिअर मूवमेंट के नेता डॉ. उदय कुमार ने कहा कि हम न्यूक्लियरिजम और फासिज़्म  दोनों के खिलाफ है। यह दोनो खतरे देश ही नहीं दुनिया के सामने भी हैं। उन्होंने कहा कि देश नाज़ुक दौर से गुज़र रहा है। ऐसे समय में यात्रा रौशनी की किरण है उन्होंने कहा कि जल्दी ही वह दिन आएगा जब भारत सरकार की न्यूक्लियर एनर्जी के खतरों को लेकर समझ बनेगी । इडिंदकराई में मिलरेट और केपिस्टन ने यात्रियों का स्वागत किया।

पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी की नेत्री सुश्री मिलरेट ने बताया कि 4 वर्ष  चले कूडम कुलम प्लांट विरोधी आंदोलन के दौरान 3000 से अधिक आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किये गए। हमारे चार साथी शहीद भी हुए। परंतु हम डरे और घबराएं नही। हमनें न्यूक्लियर एनर्जी के खतरों के बारे में देश और दुनिया में जागरूकता पैदा करने में सफलता हासिल की है।

आंदोलन के दौरान 4 शहीदों में से एक, सगायन के घर यात्रियों ने जाकर सगायन की पत्नी सबीना और बच्चों से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि शहीद अमर होते है उनके बलिदान से समाज और देश प्रेरणा लेता है। सबीना जी ने बताया कि सगायन का देहांत 14 सितंबर 2012 में हुआ था। उन्होंने सरकार का 5 लाख का मुआवज़ा नामंज़ूर किया लेकिन गाँव के मछुआरों ने 5 लाख इकट्ठा  कर उन्हें दिए। डॉ. सुनीलम ने कहा कि वे सरकार से मांग करते है कि आंदोलनों के दौरान पुलिस फायरिंग पर रोक लगाई जाए जाने का क़ानून पारित करें।

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के संयोजक अरुल ने कहा कि तमिल नाडू की सरकार दिल्ली के मोदी सरकार की कटपुतली बनी हुई है। हमें नई किस्म की राजनीति की ज़रूरत है जो ए आई डी एम के, डी एम के, कांग्रेस, भाजपा और सिने अभिनेताओं की राजनीति से अलग हो तथा जिसके लिए जनता की समस्याओं को हल करना तथा संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित करना पहली प्राथमिकता हो।

यात्री इडिंदकराई बीच गए जहां कूडन कुलम प्लांट के खिलाफ जल सत्याग्रह किया गया था।

पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी के प्रमुख नेता, केपिस्टन ने बताया कि वे कूडन कुलम प्लांट के खिलाफ इसलिए है क्योंकि रूस के चर्नोबिल और जापान में फुकुशीमा हादसे के बाद लोगों को ज्ञात हुआ कि न्यूक्लियर प्लांट में छोटे से छोटे हादसे से निकला रेडिएशन कितना तबाही मचा सकता है। उन्होंने कहा कि लगभग 4 वर्ष चले आंदोलन के दौरान उनका घर जला दिया गया था और उन्हें 15 लाख का नुकसान उठाना पड़ा उसके बाबजूद वे संघर्ष के मैदान में डटे हुए है।

शाम को यात्री मदुरई के शाहीन बाग़ पहुंचे जहां उन्होंने आंदोलनकारियों के साथ एकजुटता प्रदर्शन किया।

यात्रा के बारे में बताते हुए यात्रा संयोजक अरुण श्रीवास्तव ने कहा की गांधीजी की 150वीं जयंती और समाजवादी आंदोलन के 85 वर्ष पूरा होने के अवसर पर स्वतंत्रता आन्दोलन, समाजवादी आन्दोलन के मूल्यों की पुनर्स्थापना तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थापना हेतु यह यात्रा निकाली है। अब तक यात्रा में 9 राज्यों में 111 कार्यक्रम हो चुके हैं। पहले चरण की यात्रा 16 राज्यों में होकर 23 मार्च को हैदराबाद में पूरी होगी जहां डॉ. लोहिया के जन्मदिवस और शहीद भगत सिंह जी के शहादत दिवस के अवसर पर समाजवादी समागम आयोजित किया जाएगा।

इनके अलावा इस यात्रा में यात्रीगण - अधिवक्ता आराधना भार्गव (मध्य प्रदेश), सुशीला ताई मोराले (महाराष्ट्र), रोहन गुप्ता (झारखण्ड), बाले भाई (मध्य प्रदेश), महाराष्ट्र से संगीता, विनायक, दुर्योधन अनिल और बापू भी शामिल हुए।

यात्रा का आयोजन समाजवादी समागम द्वारा किया गया है, जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन, समाजवादी आन्दोलन एवं संवैधानिक मूल्यों की पुर्नस्थापना के साथ-साथ देशभर के समाजवादी, गांधीवादी, सर्वोदयी, वामपंथी, अंबेडकरवादी विचारधारा से जुड़े जन आंदोलनकारियों, मानव अधिकारवादियों, पर्यावरणवादियों एवं सभी लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले संगठनों और व्यक्तियों को स्थानीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से एकजुट करना है।

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