पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर का बयान मज़हब में दरार डालने की कोशिश


आखिर चुनाव के पहले क्यों याद आते हैं ऐसे मुद्दे ?

नाज़नीन नकवी /खबर नेशन/Khabar Nation

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना.. भारत में सर्वधर्म संभाव,सांप्रदायिक सौहार्द्र जैसी बुनियादी प्रकृति को उजागर करने वाले अल्लामा इकबाल की यह पंक्तियां..भले ही सालों पहले लिखी गई हो कही गई हो..लेकिन अब तक इसके मायनों को न ही समझा गया, न ही कोशिश की गई और जब कभी हुई भी तो जिम्मेदारों ने या यूं कहे कि समाज के ठेकेदारों ने हर बार उसकी परिभाषा को बदलने पूरा जोर लगा दिया...और ऐसे उदाहरण दिखाई देते हैं अमूमन हर 5 साल में..और कभी कभी सियासी उठापटक के चलते जनता पर जबरदस्ती का भार डालते हुए चुनाव की खेती में अपने वोटों की फसल काटने नेता बेतुके बयान देते से गुरेज नहीं करते...मध्यप्रदेश की आध्यात्म मंत्री उषा ठाकुर ने विवादित बयान देकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है...मदरसों को टारगेट कर कह दिया कि धर्म आधारित शिक्षा कट्टरता पनपा रही है...सारा कट्टरवाद और आतंकवादी मदरसे में पले और बढ़े हैं..मदरसों की सरकारी सहायता बंद होनी चाहिए..हालांकि मदरसों और उसे मिलने वाले फंड को लेकर बार बार ऐसे सवाल उठते रहे...लेकिन ये समझना भी लाजिमी है कि क्या राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की बात करने का मकसद किसी दूसरे धर्म को टारगेट करना है..या फिर इसकी आड़ लेकर अपना सियासी हित साधना मात्र है..क्या नहीं होती समय समय पर मदरसों की मॉनिटरिंग...क्या सवाल है इंटेलीजेंस पर,पुलिस प्रशासन पर ..? आखिर कब तक राजनीति के लिए धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जाता रहेगा...

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