रामायण के सुषेण, भारत चीन युद्ध के सैनिक और कोरोना वारियर्स
हालात में कोई फर्क नहीं
खबर नेशन / Khabar Nation
आज रामायण देख के एक बात का तो पता लगा की भारत मे डॉक्टर की इतनी स्थिती इतनी ख़राब क्यों हैं ? ये रामायण के वक्त से ही चल रहा हैं ! एक तो डॉक्टर सुषेण को बिना खुद की अनुमति के हनुमानजी उठा के लेके आ गए फिर उनको ज़बर्दस्ती शपथ का हवाला देकर इलाज करवाया गया । हनुमान जी को बिना Prescription दिए दवाई लेने भेज दिया गया ! और वो पुरा मेडिकल स्टोर ही लेकर आ गए! और जब लक्ष्मण ठीक हो गए तो सारा credit हनुमानजी को दे दिया और बेचारा डॉक्टर सुषेण को कोई पुछ ही नही रहा था ! काम निकल जाने के बाद डॉक्टर सुषेण की कोई इज्ज़त नही! राम जी भी कहते हैं की संकट मोचन हनुमान ने ही ठीक किया हैं लखन को! उसके बाद डॉक्टर सुषेण को credit तो छोड़ो , ना तो फ़ीस दी गई और ना ही उनको वापस घर पर छोड कर आये ! उसके बाद मे डॉक्टर का पता नही क्या हुआ?????
आज से लाखो साल पहले भी डॉक्टर के साथ ऐसा ही होता था
यह एक चुटकुला हैं जो इंदौर में एक डॉक्टर ने कोरोना वायरस संकट में अपनी व्यथा और कोरोना वारियर्स की हौसला अफजाई या माहौल को हल्का करने की गरज से सुनाया है । यह एक संयोग है जब दूरदर्शन पर रामायण का पुनः प्रसारण किया जा रहा है और विश्व को संकट में डालने वाला कोरोना वायरस भी चीन ने उपहार में दिया है ।
जब कोरोना वायरस से संक्रमित लगभग 200 मरीज अपने घर जा रहे हैं। जिन पर फूलों की पंखुड़ियों की बरसात की जा रही हो ऐसे में एक कोरोना वारियर्स की शहादत इंदौर के जूनी इंदौर थाने में पदस्थ देवेन्द्र चंद्रवंशी पर भी फूलों की पंखुड़ियों बरसाई जा रही थी। शहादत सवाल खड़े कर रही है और भारत चीन युद्ध की याद ताजा कर रही है । तब सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों के हाथ में 315 की बंदूकें थी और आज कोरोना वारियर्स को जो संसाधन दिए जाना चाहिए वो मुहैया नहीं कराये जा रहे हैं ।
इंदौर में कोरोना योद्धाओं पर पत्थरों की बरसात करने वाले रासुका लगाकर सतना जेल भेजे गए अपराधी कोरोना संक्रमित निकले । आप ताज्जुब करेंगे इनका इलाज करने वाले चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ पीपीई किट की बजाय एच आई वी एड्स की रोकथाम के लिए उपयोग में आने वाली किट्स पहनकर इलाज करते रहे ।
धार जिले में तो और भी गज़ब हो गया यहां पर डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ महिलाओं की डिलेवरी के दौरान पहनी जाने वाली किट पहनकर इलाज करते रहे ।
मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश में चिकित्सकीय सुविधाओं के लिहाज से सर्वसुविधायुक्त मानें जानें वाले शहर में भी मानक स्तर की पीपीई किट का इस्तेमाल नहीं किया गया । एक बारगी तो ये किट बारिश के मौसम में पहनी जाने वाली बरसाती के समान नज़र आती हैं ।
मेडिकल साइंस में गंभीरतम जानकारी रखने वाले मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शशिकांत त्रिवेदी वर्तमान हालात और व्यवस्था पर द्रवित होकर कहते हैं जब हमसे बेहतर संसाधन से युक्त विदेशों में काम कर रहे डॉक्टर सुरक्षित नहीं रह पाए तो हमारे देश में आधे अधूरे संसाधन में कोरोना वारियर्स कैसे सुरक्षित रह पाएंगे । उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि दो दो किट भी सुरक्षित नहीं रख सकती ।