अर्जुन पुत्र राहुल और किसान पुत्र शिवराज एक नाव पर सवार

यूं ही Feb 10, 2019

खबर नेशन/Khabarnation 
लेखक अरविंद शर्मा मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं ।

पिछले साल के अंत में हुये मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कम से कम दो नेताओं की प्रदेश में हालत खस्ता या पहले से कुछ पतली हो गई है।

इन में से एक नेता कांग्रेस के हैं और दूसरे भाजपा से आते हैं। ये हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधान सभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और भाजपा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। अजय सिंह'राहुल' भारतीय राजनीति के स्थापित नेताओं में शुमार रहे स्वर्गीय अर्जुन सिंह के सुपुत्र हैं ।

मजे की बात यह है कि अजय तो खुद चनाव हार गये पर उन की पार्टी चुनाव जीत गई। चौहान के साथ कुछ उल्टा ही हुआ है। वे खुद तो चुनाव जीत गये पर उन की पार्टी चुनाव हार गई।

जब भाजपा सत्ता में थी तो दोनाें एक दूसरे के विरोधी हुआ करते थे पर इस वक्त तो ऐसा लगता है कि दोनाें एक ही कश्ती में सवार है। ऐसा इस कारण से कहा जा रहा है क्योंकि दोनाें की हालत अब वो नहीं है जो चुनाव के पहले रही थी।

अब तो चौहान को भाजपा में भी पहले जैसी तवज्जो नहीं मिल रही है और बहुत सारे अफवाहों के बाद भी अजय की हालत में जरा भी सुधार नहीं हुआ है।
पहले यह कहा गया कि उन को चुनाव हारने के बाद भी मंत्री बनाया जा रहा है पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

फिर यह कहा गया कि कम से कम 15 कांग्रेस के विधायक उन के लिये अपनी खुद की सीट छोडने के लिये तैयार हैं पर यह बात भी आई गई हो गई। इसी के साथ ही अजय सिंह को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबर जोर शोर से सामने आई थी और अंततः मुख्यमंत्री कमलनाथ के दखल के बाद यह खबर भी अजय सिंह के खिलाफ गई ।

अब यह बताया जा रहा है कि इस साल होने वाले लोक सभा चुनाव अजय सीधी या सतना से लड सकते है।
अगर यह बात सच है तो उन के पास चुनाव जीतने के अलावा कोई भी विकल्प नहीं है।

वे इस के पहले 2014 में सतना से लोक सभा चुनाव हार चुके है और अभी हाल ही में वे चुरहट से विधान सभा चुनाव भी हार चुके है।

अब अगर वो तीसरा चुनाव भी हार जाते हैं तो राजनीति में उन के लिये रहना कुछ तो कठिन हो ही जायेगा। चौहान की हालत कुछ और कारणों से खराब चल रही है।

सब से पहले तो उन को भाजपा ने विधान सभा में विपक्ष का नेता नहीं बनाया गया और इसी के साथ ही शिवराज के धुर विरोधी रहे गोपाल भार्गव को भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष बना दिया । बाद में विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए भी पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान की राय को तवज्जों नही दी । भाजपा ने शिवराज को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना तो दिया लेकिन यह पार्टी की उस परंपरा के अनुसार रहा जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री को उपाध्यक्ष बनाया जाता है । भाजपा ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को भी साथ में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है । इसके अलावा भी पार्टी के वरिष्ठ नेता मौके बेमौके शिवराज सिंह चौहान को नीचा दिखाने का अवसर भी नहीं छोड़ रहे हैं । जिस का मतलब यह है कि उन को नयी दिल्ली जाना पड सकता है।

वैसे तो चौहान हर वक्त यह कहते रहे है कि वो अपनी आखरी सांस तक मध्यप्रदेश की ही सेवा करना चाहते हैंअब इस बात में जरा भी शक नहीं है कि आने वाला समय इन दोनाें नेताओं के लिये चुनौती से भरा हुआ होगा।

अब हर बार की तरह आज का समापन भी एक बढिया शेर के साथ दुनिया की सारी चीजें ठोकर लगने से टूट जाती है।
सिर्फ इंसान वो चीज है जो ठोकर लगने के बाद बनता हैै।

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